SC Collegium: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम पर सीजेआई चंद्रचूड़ का अहम बयान, बोले- 'ये कहना गलत है कि जजों का मूल्यांकन...'
CJI DY Chandrachud Remarks: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कॉलेजियम को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। जानें उन्होंने क्या कहा...
CJI On Supreme Court Collegium: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने शुक्रवार (15 सितंबर) को कॉलेजियम से संबंधित एक बड़ा बयान दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से सीजेआई ने कहा, 'ये कहना गलत है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (DY Chandrachud on SC Collegium) के पास नियुक्ति के लिए विचार किए जा रहे जजों का मूल्यांकन करने के लिए कोई तथ्यात्मक आंकड़ा नहीं है।'
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, 'हमने व्यापक मंच तैयार किया है। जहां हमने सर्वोच्च अदालत के जजों के रूप में विचार के लिए देश के शीर्ष 50 न्यायाधीशों का मूल्यांकन किया है।' उन्होंने ये भी कहा, हमारा उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के लिए जजों के चयन के वास्ते वस्तुनिष्ठ मानदंड (Objective Criteria) निर्धारित करना है।'
'हमारा लक्ष्य अदालतों को संस्थागत बनाना'
सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, 'उनका लक्ष्य अदालतों को संस्थागत बनाना और संचालन के तदर्थ मॉडल से दूर जाना है। अक्सर व्यक्ति आते हैं और विचार रख देते हैं लेकिन जब वे अगले व्यक्ति को जिम्मेदारी सौंप देते हैं तो भूल जाते हैं। अदालतों को संस्थागत बनाने से पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है।'
CJI- कॉलेजियम ने एक व्यापक मंच तैयार किया है
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने ये बातें 'राम जेठमलानी स्मृति व्याख्यान' के दौरान कही। सीजेआई ने कहा कि, 'कॉलेजियम ने एक व्यापक मंच तैयार किया है जहां उसने शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में विचार के लिए देश के शीर्ष 50 न्यायाधीशों का मूल्यांकन किया है। वो आगे बोले, हमारा उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट के लिए जजों के चयन के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंड निर्धारित करना है।'
कॉलेजियम सिस्टम का पहले भी किया बचाव
गौरतलब है कि, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ पहले भी सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति-तबादले के लिए तय कॉलेजियम प्रणाली (collegium system) का बचाव करते नजर आए हैं। पिछले महीने कुछ प्रमुख न्यायविदों द्वारा की गई आलोचना का जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि, कुछ न्यायविदों और बुद्धिजीवियों ने हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस मुरलीधर के नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए नहीं करने के लिए मीडिया में लेख और बयानों के जरिए आलोचना की।
सुप्रीम कोर्ट के जज देश की विविधता के प्रतीक
चीफ जस्टिस ने कहा था, 'सुप्रीम कोर्ट के जज देश की विविधता के प्रतीक हैं। कॉलेजियम यह सुनिश्चित करने के मिशन से काम करता है कि भारत में विविधता, एकता की समृद्ध परंपरा के प्रतिनिधि भी हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि अनेक लोग सुप्रीम कोर्ट के बहुभाषी न्यायालय होने की वजह से इसकी आलोचना करते रहे हैं। उन्हें इसका दूसरा पहलू नहीं दिखता। उन्हें देखना चाहिए कि हमारे बहुभाषी होने का कारण यह नहीं है कि दो जज एक जैसे नहीं हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया कि, सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा के एक मामले पर महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के जज बेंच में एक साथ बैठते हैं।'