CJI DY Chandrachud: रिटायरमेंट तक मत बेचना पुणे का फ्लैट, सीजेआई ने सुनाया पिता से जुड़ा भावुक कर देने वाला किस्सा

CJI DY Chandrachud: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के पिता ने कहा था कि मैं उसमें नहीं रह पाऊंगा और मुझे ये भी नहीं पता कि मैं कब तक तुम लोगों के साथ रहूंगा, लेकिन इस फ्लैट को तब तक अपने पास रखना, जब तक तुम बतौर जज सेवानिवृत्त न हो जाओ।

Report :  Network
Update:2024-11-10 12:44 IST

CJI DY Chandrachud (Pic: Social Media)

CJI DY Chandrachud: मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ आज यानी 10 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। बतौर सीजेआई कई अहम मामलों पर अपना फैसला सुना चुके मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पिता की एक बात का जिक्र किया। दरअसल सीजेआई सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित किए गए विदाई समारोह में शिरकत करने पहुंचे थे। इसी दौरान उन्होंने अपने पिता से जुड़ा एक किस्सा सुनाया और बताया कि किस तरह से उनके पिता और देश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़ ने उन्हें पुणे का एक फ्लैट रिटायरमेंट तक बेचने से मना किया था और इसकी वजह क्या थी।

सीजेआई ने सुनाया फ्लैट वाला किस्सा

इस मौके पर मुख्य न्यायाधीश ने अपने संबोधन में उनके और उनके पिता के बीच हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने (पिता वाईवी चंद्रचूड़) पुणे में एक छोटा सा फ्लैट खरीदा था। जब मैंने उनसे पूछा कि आपने पुणे में फ्लैट क्यों लिया? जबकि आप इसमें रहेंगे भी नहीं। इस पर उन्होंने मुझे कहा कि मुझे पता है कि मैं उसमें नहीं रह पाऊंगा और मुझे ये भी नहीं पता कि मैं कब तक तुम लोगों के साथ रहूंगा, लेकिन इस फ्लैट को तब तक अपने पास रखना, जब तक तुम बतौर जज सेवानिवृत्त न हो जाओ।

कभी भी बतौर वकील या न्यायाधीश इसलिए समझौता मत करना कि... 

सीजेआई ने कहा कि जब इस पर मैंने अपने पिता से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि अगर तुम्हें कभी लगे कि तुम्हारी नैतिक और बौद्धिक ईमानदारी से समझौता हो रहा है। तो मैं चाहता हूं कि तुम्हें ये पता रहे कि तुम्हारे सिर पर एक छत है। कभी भी बतौर वकील या न्यायाधीश इसलिए समझौता मत करना कि तुम्हे लगे कि तुम्हारे पास रहने के लिए अपनी कोई जगह नहीं है।

सीजेआई आज रिटायर हो रहे हैं। वैसे तो उनका लास्ट वर्किंग डे शुक्रवार यानी 8 नवंबर था, लेकिन वे 10 नवंबर यानी रविवार को रिटायर हो रहे हैं। चीफ जस्टिस रहते हुए उन्होंने कई अहम मसलों पर अपना फैसला सुनाया, जिसके लिए उन्हें याद भी किया जाएगा। 

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