CJI On Collegium System: कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना पर बोले CJI चंद्रचूड़- लोकतंत्र में कोई संस्था पूर्ण नहीं

CJI On Collegium System: संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर CJI डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, लोकतंत्र में कोई भी संस्था पूर्ण नहीं है। सभी जज संविधान के सिपाही हैं।

Written By :  aman
Update: 2022-11-25 15:52 GMT

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (Social Media) 

CJI On Collegium System: संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित एक कार्यक्रम को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, 'संविधान का सही से काम करना इस बात पर निर्भर करता है कि जिला अदालतें कैसे काम कर रही हैं। उन्होंने कहा, जब हम संविधान का जश्न मनाते हैं तो हमें संविधान को अपनाने से पहले के इतिहास के बारे में जानना चाहिए।' अपने संबोधन में CJI ने कॉलेजियम सिस्टम पर उठ रहे सवालों का जवाब दिया।

आपको बता दें कि, हर साल 26 नवंबर को देश में संविधान दिवस मनाया जाता है। 2015 में मोदी सरकार ने इस दिवस की शुरुआत की थी। संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर सुप्रीम कोर्ट में एक कार्यक्रम आयोजित की गई। जिसमें कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Law Minister Kiren Rijiju) के साथ-साथ चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हुए। इस प्रोग्राम में केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने भारतीय संविधान (Indian Constitution) पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम का भी शुभारंभ किया।

कॉलेजियम की आलोचनाओं पर क्या कहा?

अपने संबोधन में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, आज कॉलेजियम की आलोचना होती है। लोकतंत्र में कोई भी संस्था पूर्ण नहीं है। लेकिन, हम संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर काम करते हैं जैसा कि इसकी व्याख्या की जाती है।' उन्होंने आगे कहा, कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना होती है, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि सभी जज संविधान के सिपाही हैं। लोगों का हित सिर्फ जनहित याचिका से नहीं होता। बल्कि, इस बात से होता है कि न्याय तक सभी की पहुंच हो।'

गर्मियों में वकीलों के ड्रेस कोड पर हो पुनर्विचार

सीजेआई ने आगे कहा, कि कानूनी पेशे को अपने औपनिवेशिक (Colonial) आधारों से दूर करना चाहिए। उन्होंने कहा, भारत में गर्मियों में जलवायु परिवर्तन (Climate change) की वजह से अत्यधिक गर्मी होती है। ऐसे में हमें विशेष रूप से गर्मियों में वकीलों के लिए सख्त ड्रेस कोड (Strict dress code for lawyers) पर फिर से विचार करना चाहिए।' 

रिजिजू- आपसी टकराव का कोई फायदा नहीं

संविधान दिवस की पूर्व संध्या पर सुप्रीम कोर्ट में आयोजित कार्यक्रम में देश के कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी आमंत्रित थे। उन्होंने अपने भाषण में कहा, 'आठ वर्षों से अधिक के कार्यकाल में हमारी सरकार ने न्यायपालिका के सम्मान को चोट पहुंचाने वाली कोई बात नहीं की। हम जुडिशरी को और अधिक मजबूत बनाने के लिए सब कुछ करेंगे। कार्यपालिका (Executive) और न्यायपालिका (Judiciary) एक ही माता-पिता यानी संविधान की संतान हैं। आपसी टकराव का कोई फायदा नहीं।'

'लचक और कठोरता का अनोखा संगम'

किरेन रिजिजू ने आगे कहा, दुनिया के संविधानों में सबसे विशाल होते हुए भी भारतीय संविधान हमेशा ही जीवंत और प्रासंगिक बना हुआ है। क्योंकि, इसमें लचक और कठोरता का अनोखा संगम है। कानून मंत्री ने जोर देकर कहा कि, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का नागरिक होने के नाते यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम संविधान की मूल भावना को जानें। ताकि सार्थक रूप से अपने अधिकारों को समझ सकें।'

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