Supreme Court: सीजेआई बोले-तरीख पे तारीख वाली अदालत नहीं बनेगी सुप्रीम कोर्ट, रोज 154 केस टाले जाते हैं

Supreme Court: सीजेआई ने एक मामले की सुनवाई के दौरान पेश हुए वकील की ओर से एडजर्नमेंट की मांग पर नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट लगातार लिस्टेड मामलों की सुनवाई कर रहा है और सबसे ज्यादा एडजर्नमेंट की मांग इन्हीं मामलों में की जाती है।

Update:2023-11-03 17:20 IST

Chief Justice DY Chandrachud (Pic: Social Media)

Supreme Court: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों को सुलझाने में देरी और सुनवाई टालने पर चिंता जताई। उन्होंने वकीलों से कहा कि हम नहीं चाहते कि ये (सुप्रीम कोर्ट) तारीख पर तारीख वाली अदालतें बन जाए।

हर रोज टाले जाते हैं 154 मामले

सीजेआई ने कहा कि हर रोज औसतन 154 मामले टाले जाते हैं। अगर इतने सारे मामले एडजर्नमेंट (स्थगन या टालना) में रहेंगे तो ये कोर्ट की अच्छी छवि नहीं दिखाता।

साथ ही सीजेआई ने वकीलों से अपील की- जब तक जरूरत न हो, तब तक सुनवाई टालने की मांग न करें।

यह था मामला

दरअसल, सीजेआई चंद्रचूड़ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान पेश हुए वकील की ओर से एडजर्नमेंट की मांग पर नाराजगी जाहिर की। सुप्रीम कोर्ट लगातार लिस्टेड मामलों की सुनवाई कर रहा है और सबसे ज्यादा एडजर्नमेंट की मांग इन्हीं मामलों में की जाती है।


बोले सीजेआई- दो महीने में 3 हजार बार एडजर्नमेंट हुआ

सीजेआई ने कोर्ट में एडजर्नमेंट के मामलों के बारे में डेटा एकत्र किया। इस डेटा का एनालिसिस कर उन्होंने शुक्रवार को कोर्ट में कहा कि केवल सितंबर और अक्टूबर में 3,688 बार कोर्ट में सुनवाई टालने की मांग की गई। आज ही यानी 3 नवंबर को 178 मामलों की सुनवाई टालने की मांग की गई। औसतन हर रोज 154 मामले एडजर्न होते हैं। उन्होंने कहा कि मैं कोर्ट में मामले के दाखिल होने से लेकर पहली सुनवाई के लिए आने तक की प्रक्रिया की निगरानी कर रहा हूं, ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि न्याय मिलने में कम से कम समय लगे।

लिस्टेड मामलों से 3 गुना ज्यादा मामले एडजर्न

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि बीते दो महीने में एडजर्न किए गए मामलों की संख्या लिस्टेड मामलों से तीन गुना ज्यादा थी। हम मामलों की सुनवाई जल्द कर रहे हैं, लेकिन फिर उन्हीं मामलों में एडजर्नमेंट मांग लिया जाता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के सदस्यों और वकीलों से अपील की कि जब तक जरूरी न हो सुनवाई टालने की मांग न करें।

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