योगी-केशव में तानातनी! UP सरकार में भी शुरू हुई बगावत, यहां जाने पूरा मामला

हाल ही के घटनाक्रम पर नजर डाला जाये तो यूपी सरकार के शीर्ष नेतृत्व के दो शिखर एक-दूसरे के खिलाफ सामने आते रहें है। यूं तो योगी और मौर्य के बीच मनमुटाव की खबरें इनके सत्ता संभालने के बाद से ही सत्ता के गलियारों और मीडिया

Update:2019-12-04 17:23 IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुखिया सीएम योगी और उनके ही सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, सुगबुगाहट के बीच दोनों के मध्य एक नया धुआं उठता दिखाई दे रहा है।

दरअसल, हाल ही के घटनाक्रम पर नजर डाला जाये तो यूपी सरकार के शीर्ष नेतृत्व के दो शिखर एक-दूसरे के खिलाफ सामने आते रहें है।

यूं तो योगी और मौर्य के बीच मनमुटाव की खबरें इनके सत्ता संभालने के बाद से ही सत्ता के गलियारों और मीडिया की सुर्खियों में आ रही थीं, लेकिन अब मामला थोड़ा गंभीर सा होता दिख रहा है, हालत ये हो गई है कि चाहे योगी हों या मौर्य दोनों एक-दूसरे के अधीनस्थ विभागों की गड़बड़ियों पर सक्रियता दिखाकर खुद को बीस साबित करने पर तुले नजर आते हैं। लगातार एक दूसरे की कमियां निकालते नजर आ रहे हैं।

यह है पूरा मामला...

गौरतलब है कि 2019 में सीएम योगी ने केशव प्रसाद मौर्य के पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा पिछले 2 साल में कराए गए टेंडर और बड़े निर्माण कार्यो की जांच करने का निर्देश दिया, ये ठेके और निर्माण कार्य करीब दो हजार करोड़ रुपये के हैं।

बता दें कि सीएम योगी को संदेह है कि पीडब्ल्यूडी विभाग में ठेकों और निर्माण कार्यों में जमकर धांधली हुई है, लोगों के सामने ये संदेश ये गया कि योगी इसके जरिए केशव प्रसाद मौर्य पर नकेल कसे रखना चाहते हैं।

सीएम के अधीन विभाग के अफसरों पर आरोप...

सीएम योगी के आदेश के बाद नाराज केशव मौर्य ने मुख्यमंत्री को उनके नेतृत्व वाले विभाग एलडीए में फैले भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के बारे में एक चिट्ठी लिख डाली, केशव मौर्य ने अपनी चिट्ठी में एलडीए के कई अफसरों पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और इनकी जांच की जानी चाहिए।

दिलचस्प बात यह है कि केशव मौर्य की 'गोपनीय' चिट्ठी मीडिया में लीक हो गई, इससे मुख्यमंत्री के अधीन वाले एलडीए में करप्शन की बात सार्वजनिक हो गई, इसे योगी के एक्शन का मौर्य की ओर से जवाब माना गया।

सीएम योगी ने लगाई थी मौर्य के अधिकारियों की क्लास...

अक्टूबर में सीएम योगी ने पीडब्ल्यूडी की रोड मेंटेनेंस यूनिट की एक रिव्यू बैठक की, इसमें केशव प्रसाद मौर्य शामिल नहीं हुए।

इस मीटिंग में सीएम योगी ने उत्तर प्रदेश में सड़कों की बदतर हालत और उनके रखरखाव को लेकर अधिकारियों की क्लास लगाई और सड़क के गड्ढे भरने की तारीख पंद्रह नवंबर तक तय कर दी।

सूत्रों के मुताबिक...

बताया जा रहा है कि आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक योगी आदित्यनाथ इस मीटिंग में इतने नाराज हुए कि उन्होंने प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी को उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के भी आदेश दिए जो कि जिलों में फंड होने के बावजूद सड़कों की मरम्मत और निर्माण का काम नहीं कर रहे हैं।

इसी मीटिंग में सीएम योगी ने पीडब्ल्यूडी, शहरी विकास और सिंचाई विभाग के 2 साल के सभी कार्यों की जांच के भी आदेश दिए।

केशव मौर्य ने लगाया आरोप...

सीएम योगी के इस कदम के बाद 13 नवंबर को केशव प्रसाद मौर्य ने सीएम योगी आदित्यनाथ को एलडीए विभाग में फैले भ्रष्टाचार के बारे में चिट्ठी लिखी और जांच कराने की मांग की।

इसमें मुख्य रूप से अपार्टमेंट के कंस्ट्रक्शन और भ्रष्टाचार के तमाम मामलों का जिक्र किया गया था, जिसमें साफ तौर पर केशव मौर्य ने आरोप लगाया था कि प्राइवेट बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए एलडीए ने नियमों को ताक पर रख दिया है।

इसके साथ ही केशव मौर्य ने अपनी चिट्ठी में पारिजात, पंचशील, स्मृति, सृष्टि और सहज अपार्टमेंट्स के कंस्ट्रक्शन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि आखिरकार इन लोगों को ब्लैक लिस्ट क्यों नहीं किया गया, सिर्फ 9 दिन पुरानी कंपनियों को कंस्ट्रक्शन का काम अलॉट कर दिया गया है।

बताते चलें कि केशव मौर्य ने अपनी चिट्ठी में क्षेत्रीय अखबारों की कटिंग को भी लगाया जिससे कि उनके दावे की पुष्टि हो सके।

चिट्ठी पर बवाल, हुआ एक्शन तो...

केशव मौर्य के चिट्ठी लिखने के बाद योगी सरकार ने जांच करके लखनऊ विकास प्राधिकरण में रजिस्टर्ड 11 कॉन्ट्रैक्टर फर्म को ब्लैक लिस्ट कर दिया और कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई के भी निर्देश दिए, लेकिन सीएम और डिप्टी सीएम के बीच का कोल्ड वॉर सभी के सामने आ गया।

सूत्र बताते हैं कि केशव मौर्य के पीडब्ल्यूडी विभाग पर नजर रखने के लिए कुछ खास अधिकारियों की तैनाती की गई है, साथ ही उन अधिकारियों को विभाग से हटाया गया है, जिनके ऊपर केशव मौर्य भरोसा करते थे।

विभागाध्यक्ष आरसी बरनवाल...

ऐसा ही ताजा मामला रमेश कुमार बरनवाल के खिलाफ जांच का है, पीडब्ल्यूडी के विभागाध्यक्ष आरसी बरनवाल सहित तीन इंजीनियरों के खिलाफ ईओडब्ल्यू, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत बनी सड़कों में हुई धांधली की जांच कर रही है।

आर्थिक अपराध शाखा...

सीएम योगी ने आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को यह जांच सौंपी है, बरनवाल को हाल ही में प्रमुख अभियंता (विकास) एवं विभागाध्यक्ष का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था, जबकि, पहले बरनवाल को ही निर्माण कार्य के कई मामलों की जांच का भी जिम्मा भी दिया गया था।

सूत्रों के मुताबिक बरनवाल की जगह सीएम योगी अपने विश्वसनीय पीडब्लूडी के अधिकारी आरआर सिंह को बैठाना चाहते थे, जबकि, बरनवाल केश के करीबी हैं यही वजह रही है कि बरनवाल की ईमानदारी को लेकर केशव सार्वजनिक रूप से तरफदारी कर चुके हैं।

विपक्ष को मिला मौका, केंद्र ने साधी चुप्पी...

कांग्रेस के नेता अखिलेश प्रताप सिंह इस विवाद की वजह सरकार में शीर्ष स्तर पर फैले भृ्ष्टाचार को मानते हैं, उनका कहना है कि दोनों एक दूसरे के विभागों पर आरोप लगा रहे हैं, लेकिन कार्यवाही कोई नहीं हो रही है।

इस मामले की मौजूदा जज से जांच कराई जाने की मांग करते हुए अखिलेश प्रताप सिंह कहते हैं कि इसमें राज्यपाल को दखलंदाजी करनी चाहिए और दोनों लोगों के खिलाफ जांच करनी चाहिए।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के दो शीर्ष नेताओं के बीच मचे घमासान की जानकारी केंद्र और संगठन मे बैठे बड़े लोगों को भी है।

सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री ने केशव मौर्य को लेकर संगठन के बड़े लोगों से बात भी की है और हाल के दिनों में हुए तमाम मामलों की जानकारी भी दी है, दूसरी तरफ केशव मौर्य ने भी संगठन के अपने भरोसेमंद लोगों से इस बारे में बात की है। दोनों नेताओं की अपनी-अपनी लॉबीइंग है।

ताजपोशी से ही ठनी है गहमा-गहमी...

दरअसल सीएम योगी और केशव प्रसाद मौर्य के बीच वर्चस्व की जंग 2017 में ताजपोशी के दौरान से ही शुरू हो गई थी, इनके बीच विवाद की शुरुआत तभी से हो गई थी, जब साल 2017 में बीजेपी यूपी में केशव प्रसाद मौर्य के अध्यक्ष में प्रचंड जीत के साथ में वापसी की थी और बाद में सीएम योगी को मुख्यमंत्री बना दिया गया था।

केशव प्रसाद मौर्य अध्यक्ष होने के नाते और उत्तर प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड जीत के चलते खुद को मुख्यमंत्री का सबसे प्रबल दावेदार मान रहे थे, लेकिन ऐन मौके पर योगी आदित्यनाथ ने बाजी मार ली थी।

ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य की नाराजगी के बावजूद मुख्यमंत्री का सेहरा योगी आदित्यनाथ के सिर पर सजा था, उस वक्त केशव प्रसाद मौर्य ने विरोध भी जताया था, लेकिन शीर्ष संगठन ने उन्हें किसी तरह से समझा-बुझाकर शांत कर दिया था और उपमुख्यमंत्री के पद से नवाजा था।

यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के चंद दिनों बाद ही एक के बाद से ही लगातार सीएम योगी और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बीच की तकरार सामने आती रही है।

मामला सब के सामने...

योगी-केशव के बीच वर्चस्व की जंग 2018 की जनवरी में साफ हो हुई, जब 24 जनवरी को मनाया जाने वाले पहले यूपी दिवस में सभी सीनियर नेताओं को शामिल होना था. केशव प्रसाद मौर्य उसमें शामिल नहीं हुए।

सूत्र बताते हैं केशव प्रसाद मौर्य इस बात से नाराज थे कि यूपी दिवस के तमाम बोर्ड और फ्लेक्स में उनकी फोटो को नहीं छापा गया था।

हालांकि बाद में ना शामिल होने के पीछे नेताओं द्वारा कारण यह बताया गया कि उस दिन उनका मुंबई में पहले से कार्यक्रम था और जब केशव मौर्य प्रोग्राम में यूपी में शामिल ही नहीं हो रहे थे तो उनकी फोटो छपने का सवाल ही नहीं उठता।

हालांकि किसी के पास इस बात का माकूल जवाब नहीं था कि आखिर प्रदेश का बड़ा प्रोग्राम छोडकर मौर्य दूसरे प्रदेश क्यों गए।

लंबे समय से चल रहा संघर्ष पर कब लगेगा विराम...

इसके बाद साल 2018 के में कई ऐसे मौके आए जिसमें केशव प्रसाद मौर्य बड़े कार्यक्रमों से नदारद रहे, 20 जनवरी को वाराणसी में युवा उद्घोष कार्यक्रम में केशव मौर्य को नहीं बुलाया गया तो 23 जनवरी को मंत्रियों की बैठक में केशव मौर्य नहीं पहुंचे।

इसके बाद सूबे में लगातार हो रही इन घटनाओं की भनक दिल्ली में लगी तो धीरे-धीरे बात अघोषित तरीके से इस बात पर संतुलित की गई कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के विभाग में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ज्यादा हस्तक्षेप नहीं रहेगा।

इसके बाद से दोनों नेताओं के बीच सब कुछ सामान्य चल रहा था, लेकिन अचानक इस साल के जुलाई महीने में सीएम योगी ने केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व वाले पीडब्ल्यूडी विभाग को अपने निशाने पर ले लिया, इसी के बाद केशव मौर्य ने पलटवार किया, जिसके बाद यह बात सार्वजनिक होने लगी कि दोनों शीर्ष नेताओं के बीच वर्चस्व की जंग अब भी जारी है।

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