लखनऊ : सत्ता में आने के बाद से योगी सरकार भ्रष्टाचार पर प्रहार के दावे कर रही है। कई प्रोजेक्टस की जांचें भी चल रही हैं। सरकार की तरफ से लखनऊ मेट्रो निर्माण पर भी निशाना साधा गया। यूपी सरकार ने लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे की जांच के आदेश दिए थे लेकिन वहां कुछ हाथ नहीं लगा उल्टे सरकार ने ही इस सड़क पर फाइटर प्लेन उतरवा इसकी उपयोगिता पर मुहर लगा दी।
सीएम के आफिसियल टिवटर हैंडिल से जब इन्हीं दावों को सोशल मीडिया में उड़ेला गया तो लोगों ने योगी प्रहार के इस दावों की परतें उधेड़नी शुरू कर दी, दिलचस्प जवाबों का रेला चल पड़ा।
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हुआ यूं कि मंगलवार को सीएम के आफिसयिल टिवटर हैंडिल @CMOfficeUP पर एक पोस्ट डाली गई। इसमें कहा गया है। लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के घोटालों पर सरकार ने सख्त रवैया अपनाया है। सरकार एलडीए घोटाले की जांच सीएजी से करा रही है। मेट्रो और जनेश्वर मिश्र पार्क सहित कई योजनाओं में खूब मनमानी हुई थी। इसमें करीब 500 करोड़ का घोटाला हुआ था।
इसके जवाब में राकेश कुमार ने लिखा है कि जांच के नाम पर सिर्फ राजनीति होगी, आज तक का इतिहास रहा है कि जांच सिर्फ दबाव बनाने के लिए की जाती है। जब सजा देने की बात आती है तो दबाव की स्थिति में विभाग के छोटे अधिकारियों और कर्मचारियों को बलि का बकरा बना दिया जाता है।
अमित चौधरी का कहना है कि GDA की जांच भी CAG से करवाई गई थी उसकी रिपोर्ट आज तक नही आई, क्या लाभ है ऐसी जांच का जब जनता को कुछ कार्यवाही होती दिखाई नही देती हैं, केवल जांच के आदेश देने से जनता का कोई लाभ नही होता।
दीपक का कहना है कि अथारिटी के अधिकारी हमारे सवालों का जवाब ठीक से नहीं देते हैं। बस एक जनसुनवाई ही सहारा है। पर अधिकारी फर्जी या बिना सही समाधान के ही समस्याओं का निस्तारित करके दबा देते हैं। जनसुनवाई का आडिट जरूरी है ताकि इसके फर्जी निस्तारण या समाधान से पहले निस्तारण की गलत प्रक्रिया रोकी जा सके। सीएम के टिवटर हैंडिल पर भ्रष्टाचार पर प्रहार के तौर पर कई पोस्टर पोस्ट किए गए हैं।
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