Ban on Strike: अब संसद परिसर में धरने और भूख हड़ताल पर रोक, कांग्रेस ने फरमान पर मोदी सरकार को घेरा

Ban on Strike: मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस आदेश पर भड़क गए गई है। पार्टी ने इस आदेश को लेकर तीखी आपत्ति जताई है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-07-15 06:30 GMT

संसद परिसर में धरने और भूख हड़ताल पर रोक (photo; social media )

Ban on Strike: संसद के सोमवार से शुरू होने वाले मानसून सत्र से पहले जारी एक आदेश पर खासा विवाद पैदा हो गया है। मानसून सत्र के काफी हंगामेदार होने की उम्मीद जताई जा रही है मगर उससे पहले जारी आदेश में संसद परिसर में धरने पर पाबंदी लगा दी गई है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस आदेश पर भड़क गए गई है। पार्टी ने इस आदेश को लेकर तीखी आपत्ति जताई है।

इससे पहले असंसदीय शब्दों की लिस्ट को लेकर भी विवाद पैदा हो चुका है। विपक्ष की तैयारियों को देखते हुए इस बार मानसून सत्र के दौरान काफी हंगामा होने के आसार हैं। महंगाई, बेरोजगारी, अग्निपथ स्कीम और नूपुर शर्मा की टिप्पणियों को लेकर इस बार विपक्ष हमलावर रुख अपना सकता है। मानसून सत्र की शुरुआत के पहले धरने पर लगी पाबंदी को लेकर भी हंगामा होने की उम्मीद है।

राज्यसभा महासचिव ने जारी किया आदेश

राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी की ओर से जारी आदेश में संसद परिसर में धरने पर पाबंदी की बात कही गई है। मोदी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अब संसद सदस्य संसद परिसर का उपयोग किसी भी धरने या हड़ताल के लिए नहीं कर सकते। मोदी ने अपने आदेश पर स्पष्ट तौर पर कहा है कि किसी भी प्रदर्शन, धरना, उपवास, हड़ताल या किसी धार्मिक समारोह के लिए संसद भवन के परिसर का उपयोग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने संसद के सभी सदस्यों से आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए सहयोग की अपेक्षा भी की है।

कांग्रेसी ने जताई तीखी आपत्ति

राज्यसभा महासचिव की ओर से जारी इस आदेश पर कांग्रेस ने तीखी आपत्ति जताई है। पार्टी के मीडिया सेल के प्रभारी जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए इस आदेश को लेकर मोदी सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने आदेश की चिट्ठी को ट्वीट करते हुए लिखा है कि विश्व गुरु की नवीनतम सलाह- धरना मना है। कांग्रेस के तेवर से साफ हो गया है कि संसद के मानसून सत्र के दौरान धरने पर रोक लगाने के इस आदेश को लेकर संसद में हंगामा हो सकता है।

असंसदीय और शब्दों पर भी पैदा हुआ विवाद

संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से पहले यह दूसरा विवाद पैदा हुआ है। इससे पहले लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी एक लिस्ट को लेकर भी खासा विवाद पैदा हुआ था। सचिवालय की ओर से जारी सूची में कई शब्दों को असंसदीय बताते हुए उसके उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई है।

इसका मतलब है कि राज्यसभा और लोकसभा में इन शब्दों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इन शब्दों में तानाशाह, शकुनी, जुमलाजीवी, जयचंद, विनाश पुरुष, खून की खेती आदि शामिल है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है।

बिरला बोले:कोई शब्द प्रतिबंधित नहीं

दूसरी ओर लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने इस मामले में सफाई पेश की है। उन्होंने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हुए भ्रम पैदा न करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसी भी शब्द को प्रतिबंधित नहीं किया गया है। लोकसभा के स्पीकर ने कहा कि 1954 से ही असंसदीय शब्दों की बुकलेट सचिवालय की ओर से तैयार की जाती रही है। इस बुकलेट में ऐसे शब्दों को शामिल किया जाता रहा है जिन्हें पीठासीन अधिकारी कार्यवाही से हटाने का आदेश देते रहे हैं।

उन्होंने कहा कि शब्दों को लेकर प्रतिबंध का आरोप लगाने वालों को संसदीय परंपरा की पूरी जानकारी नहीं है। बिरला ने कहा कि असंसदीय शब्दों का कोष करीब 11 सौ पन्नों का है। 2009 से ही इसे हर साल जारी किया जाता रहा है।

Tags:    

Similar News