Congress presidential elections: राजस्थान में 'केजरीवाल मॉडल' की वकालत, CM कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते गहलोत
Congress : गहलोत के समर्थकों ने केजरीवाल मॉडल की वकालत शुरू कर दी है। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के साथ ही पार्टी के मुखिया की जिम्मेदारी भी संभाल रखी है।
Congress presidential elections: कांग्रेस अध्यक्ष पद की दौड़ में प्रमुख दावेदार के रूप में उभरे अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते। गहलोत 25 सितंबर को दिल्ली पहुंचने वाले हैं और माना जा रहा है कि वे 26 से 28 सितंबर के बीच कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर सकते हैं। इस बीच गहलोत के समर्थकों ने केजरीवाल मॉडल की वकालत शुरू कर दी है। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के साथ ही पार्टी के मुखिया की जिम्मेदारी भी संभाल रखी है। समर्थकों की दलील है कि केजरीवाल की तरह गहलोत भी यह दोहरी जिम्मेदारी संभाल सकते हैं।
जानकार सूत्रों के मुताबिक गहलोत को इस बात का डर सता रहा है कि मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के बाद उनके विरोधी सचिन पायलट मजबूत होकर उभर सकते हैं। इसी कारण गहलोत राजस्थान के सीएम की कुर्सी नहीं छोड़ना चाहते। गहलोत के समर्थक माने जाने वाले राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री ने खुलकर कहा है कि गहलोत राजस्थान छोड़कर नहीं जाएंगे।
नहीं छोड़ेंगे राजस्थान के सीएम का पद
अध्यक्ष पद के नामांकन की तारीख नजदीक आने के साथ ही राजस्थान में सियासी गतिविधियां काफी तेज हो गई हैं। गहलोत समर्थक खेमा इन दिनों काफी सक्रिय दिख रहा है। गहलोत के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे किसी भी सूरत में राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद नहीं छोड़ना चाहते। इस संबंध में उन्होंने पार्टी हाईकमान से भी चर्चा की है। राज्य के वरिष्ठ मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि गहलोत ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे राजस्थान छोड़कर नहीं जाएंगे।
वैसे कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गहलोत का नाम काफी दिनों से चर्चाओं में है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से गहलोत की मुलाकात के बाद ही उनकी उम्मीदवारी की बात सामने आई थी। गहलोत के प्रस्तावित दिल्ली दौरे को भी उनके अध्यक्ष पद के नामांकन से जोड़कर देखा जा रहा है। हालांकि गहलोत ने अभी तक इस मुद्दे पर खुलकर कोई भी बयान नहीं दिया है।
केजरीवाल की तरह दोहरी जिम्मेदारी की वकालत
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गहलोत के नामांकन की स्थिति में उनके समर्थकों की ओर से केजरीवाल मॉडल की वकालत की जा रही है। उनके समर्थकों का कहना है कि वे पार्टी प्रमुख के साथ राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी भी संभालते रहेंगे। इस दोहरी जिम्मेदारी को केजरीवाल मॉडल बताया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीएम की कुर्सी के साथ पार्टी के मुखिया का पद भी संभाल रखा है। गहलोत के समर्थकों की ओर से दावा किया जा रहा है कि गहलोत भी केजरीवाल की तरह दोहरी जिम्मेदारी संभाल सकते हैं।
राजस्थान कांग्रेस पर गहलोत की मजबूत पकड़ मानी जाती है और वे समय-समय पर अपनी ताकत भी दिखा चुके हैं। 2020 में सचिन पायलट की अगुवाई में कई कांग्रेस विधायकों की बगावत के समय भी उन्होंने राजस्थान में अपनी सरकार बचाने की जादूगरी दिखाई थी। हाल में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान भी वे कांग्रेस के तीनों बाहरी उम्मीदवारों को जिताने में कामयाब रहे थे। गहलोत की इस सियासी बाजीगरी से भाजपा को करारा झटका लगा था।
गहलोत को सता रहा है इस बात का डर
दरअसल गहलोत मौजूदा सियासी हालात में सचिन पायलट खेमे की बढ़ती चुनौतियों के कारण राजस्थान नहीं छोड़ना चाहते। सियासी जानकारों के मुताबिक गहलोत के राजस्थान छोड़ने पर सचिन पायलट मजबूत दावेदार बनकर उभरेंगे और यह गहलोत को मंजूर नहीं है। सचिन खेमे ने हाल के दिनों में सक्रियता बढ़ाई है और उनके समर्थकों की ओर से सचिन की नए मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी की मांग की जा रही है।
गहलोत के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व को स्पष्ट कर दिया है कि कुछ समय तक राजस्थान के मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख का पद संभालने के बाद अगर वे पूरी तरह राष्ट्रीय राजनीति में आए तो उनके किसी समर्थक को ही राज्य की कमान सौंपी जाए। अगर यह बात हाईकमान की ओर से नहीं मानी जाती है तो वे राजस्थान में अगले विधानसभा चुनाव तक दोहरी जिम्मेदारी संभालना चाहते हैं।