कांग्रेस भुनाएगी किसानों का गुस्सा, पंजाब में सफल, अब इन राज्यों पर पार्टी की नजर
केंद्र सरकार की ओर से पारित तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन नवंबर के आखिरी हफ्ते से ही चल रहा है। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद अभी तक आंदोलन खत्म होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं।
नई दिल्ली: पंजाब में स्थानीय निकाय के चुनावी नतीजों से कांग्रेस में उत्साह दिख रहा है। पंजाब में कांग्रेस की चुनावी कामयाबी के पीछे किसानों की नाराजगी को बड़ा कारण माना जा रहा है। पांच राज्यों में होने वाले चुनावों से पहले पंजाब के नतीजों ने भाजपा को भारी झटका दिया है। सियासी जानकारों का मानना है कि इन नतीजों से उत्साहित कांग्रेस अब किसानों के मुद्दों को लेकर अपना संघर्ष और तेज करेगी। कांग्रेस की नजर अब पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में किसानों का गुस्सा भुनाने पर लग गई है। चुनाव में लगातार हार के झटके झेलने वाली कांग्रेस अब किसानों के गुस्से के जरिए खुद को मजबूत बनाने की कोशिश में जुट गई है।
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नहीं सुना जा रहा किसानों का मुद्दा
केंद्र सरकार की ओर से पारित तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन नवंबर के आखिरी हफ्ते से ही चल रहा है। केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद अभी तक आंदोलन खत्म होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं।
दोनों पक्षों के अड़ियल रवैये के बीच किसान अपने आंदोलन को और मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
पंजाब में कांग्रेस को जबर्दस्त फायदा
पंजाब और हरियाणा में इस आंदोलन का ज्यादा असर देखा जा रहा है। ऐसे में पंजाब में स्थानीय निकाय के चुनावों को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था। कांग्रेस ने इस चुनाव में भाजपा और अकाली दल को जबर्दस्त झटका देते हुए 8 में से 6 नगर निगमों पर कब्जा कर लिया। बठिंडा में तो कांग्रेस 53 साल बाद नगर निगम पर कब्जा करने में कामयाब हुई है। इसके अलावा पार्टी ने 109 नगरपरिषद एवं नगर पंचायतों में भी अधिकांश पर जीत हासिल की है।
गठबंधन टूटने का भी दिखा असर
पंजाब कांग्रेस के पदाधिकारी भी स्थानीय निकायों के नतीजों से काफी खुश नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी इसी तरह लोगों का समर्थन पाने में कामयाब रही तो कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में पार्टी को विधानसभा चुनाव जीतने में भी कोई दिक्कत नहीं होगी।
वैसे सियासी जानकारों का मानना है कि किसानों के मुद्दे पर अकाली दल और भाजपा का गठबंधन टूटने का भी कांग्रेस को फायदा मिला है।
अन्य राज्यों पर कांग्रेस की नजर
अब कांग्रेस की नजर किसान आंदोलन के जरिए अन्य राज्यों के लोगों का भी भरोसा जीतने पर टिक गई है। किसान आंदोलन के प्रभाव वाले राज्यों में पंजाब के अलावा हरियाणा और राजस्थान में भी कांग्रेस का संगठन काफी मजबूत है और इन राज्यों में पार्टी अपनी पकड़ बनाए रखना चाहती है।
अन्य राज्यों में भी पार्टी किसानों का गुस्सा भुनाकर खुद को मजबूत करने की कोशिश में जुट गई है। माना जा रहा है कि किसानों की मांगों का खुलकर समर्थन करने से पार्टी को सियासी फायदा मिला है और पार्टी आगे भी यही रवैया जारी रखेगी।
चुनावी राज्यों में पार्टी दिखाएगी ताकत
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि कृषि कानूनों के मुखर विरोध और किसान आंदोलन का खुलकर समर्थन करने से पार्टी को मजबूती मिली है। नेताओं का कहना है कि पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी निश्चित तौर पर किसान आंदोलन का असर दिखेगा।
भाजपा को इसका सियासी नुकसान उठाना पड़ सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि किसानों के आंदोलन के कारण बढ़ रही चुनौतियों का सामना भाजपा कैसे करती है।
खट्टर सरकार पर बढ़ा दबाव
पंजाब में कांग्रेस की जीत के बाद हरियाणा में खट्टर सरकार पर भी दबाव बढ़ने लगा है। राज्य के उपमुख्यमंत्री और जजपा के मुखिया दुष्यंत चौटाला किसान आंदोलन के कारण पहले ही काफी दबाव में है।
उन पर इस्तीफे का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। उनकी पार्टी के विधायक भी किसानों के मुद्दे पर खुलकर सामने आने के लिए बेकरार हैं। दुष्यंत चौटाला के सत्ता से अलग होते ही खट्टर सरकार गिर जाएगी। इसलिए भाजपा की चिंताएं भी बढ़ती जा रही हैं।
शाह ने नहीं मानी पार्टी को झटके की बात
भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का मानना है कि पंजाब में अकाली दल से गठबंधन होने के कारण अभी तक भाजपा का रोल काफी सीमित था। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में भाजपा की भूमिका और बड़ी होगी और हम सियासी रूप से अपनी ताकत दिखाने में कामयाब होंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी पार्टी रातों-रात कोई कमाल नहीं दिखाती। इसलिए चुनाव के नतीजों को भाजपा के लिए झटका नहीं माना जाना चाहिए।
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उनका कहना है कि हमने कृषि सेक्टर में सुधार के लिए कदम बढ़ाए हैं और ऐसे में किसानों की नाराजगी का कोई मतलब नहीं था। उन्होंने सवाल किया कि एमएसपी पर पहले भी कानून नहीं था मगर अभी तक इसे लेकर कोई आंदोलन नहीं चलाया गया। उन्होंने सियासी दलों पर किसानों को भड़काकर अपना स्वार्थ साधने का भी आरोप लगाया है।
रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी
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