Karnataka Election Result 2023: कर्नाटक का चुनाव 2024 का कतई इशारा नहीं
Karnataka Election Result 2023: जमीनी स्तर पर ये सच्चाई हो सकता है कि मतदाता अपनी प्राथमिकताओं में बेंगलुरू के लिए सिद्धारमैया और दिल्ली के लिए नरेंद्र मोदी को पसंद करते हैं। सो कांग्रेस और उसके समर्थकों का ये सोचना गलत होगा कि कर्नाटक की सफलता स्वत: 2024 में बेहतर प्रदर्शन में तब्दील हो जाएगी।
Karnataka Election Result 2023: बड़ा सवाल ये है कि कर्नाटक के नतीजों का 2024 के लिए क्या कोई मतलब है? यह कहना सरासर गलत होगा कि इसका कोई मतलब नहीं है, और इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन कर्नाटक के फैसले का एक बड़ा राष्ट्रीय अर्थ खोजना भी विश्लेषणात्मक रूप से गलत और राजनीतिक रूप से नासमझी होगी। एक कारण तो ये है कि राष्ट्रीय चुनाव और राज्यों के चुनावों के संदर्भ हमेशा अलग रहे हैं। बीते वर्षों में राज्य और राष्ट्रीय चुनावों ने अक्सर ही विपरीत नतीजे दिखाए हैं। मिसाल के तौर पर 2019 के दिसंबर में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सरकार बनाई; लेकिन चार महीने बाद, भाजपा ने तीन राज्यों की कुल 65 लोकसभा सीटों में से 62 सीटों पर जीत हासिल की।
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इस बार भी जमीनी स्तर पर ये सच्चाई हो सकता है कि मतदाता अपनी प्राथमिकताओं में बेंगलुरू के लिए सिद्धारमैया और दिल्ली के लिए नरेंद्र मोदी को पसंद करते हैं। सो कांग्रेस और उसके समर्थकों का ये सोचना गलत होगा कि कर्नाटक की सफलता स्वत: 2024 में बेहतर प्रदर्शन में तब्दील हो जाएगी।
अलग राजनीतिक हालात
कर्नाटक के परिणामों को राष्ट्रीय मंच पर दोहराने के बारे में कोई गलतफहमी न पालने का दूसरा कारण यह है कि राज्य की स्थिति उन स्थितियों से बहुत अलग है जो राजनीतिक रूप से दोनों पार्टियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद हैं। बेंगलुरु में भाजपा की एक कमजोर नेता वाली अलोकप्रिय सरकार थी; जबकि दिल्ली में इसकी सरकार लोकप्रिय बनी हुई है, और पार्टी के नेताओं की मजबूत और हाई अप्रूवल रेटिंग है। अधिकांश राज्यों में जहां से बीजेपी अपनी लोकसभा ताकत खींचती है, पार्टी को इन पिछड़ी जातीय समूहों का समर्थन है। भले ही कर्नाटक में कांग्रेस को बड़ी संख्या में महिला मतदाताओं का समर्थन मिला लेकिन राष्ट्रीय मंच पर, विशेष रूप से उत्तर, पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के राज्यों में, मोदी और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में महिला मतदाताओं का विश्वास बना हुआ है।
कांग्रेस पर असर
फिर भी, खासकर इन नतीजों का कांग्रेस के मामले में विशेष रूप असर पड़ेगा। यह जीत जमीनी कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाने में मदद करेगी जो हार के इतने आदी हो चुके हैं कि वे अक्सर लड़ाई शुरू होने से पहले ही हार मान लेते हैं। यह नतीजे कांग्रेस के लिए संसाधन जुटाने का जबर्दस्त अवसर भी देंगे जिसकी चुनावी राजनीति में बेहद जरूरतपड़ती है। कर्नाटक जैसे बड़े और समृद्ध राज्य से कांग्रेस को बेहतरीन अवसर मिल गया है।
इसके अलावा, भले ही जीत में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के संयुक्त प्रयासों की बड़ी भूमिका हो, लेकिन यह राहुल गांधी की प्रतिष्ठा को अगले लेवल पर ले जाने में मदद करेगी। क्योंकि कर्नाटक एक ऐसा राज्य है जहां भारत जोड़ो यात्रा का चुनावी प्रभाव दिखाई देता है। यह बड़े फलक पर राष्ट्रीय विपक्ष के भीतर कांग्रेस की छवि को भी ऊपर उठाएगा। जो दल कांग्रेस की क्षमताओं के बारे में बहुत संदिग्ध रहे हैं, वे सब एक साथ काम करने पर अब गंभीर हो सकते हैं। बता दें कि 2019 में कर्नाटक से कांग्रेस को सिर्फ एक लोकसभा सीट मिल पाई थी। दूसरी तरफ, भाजपा ने 2019 में कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों में से 26 पर जीत हासिल की थी। 2024 में ये प्रदर्शन दोहरा पाना बहुत बड़ी चुनौती होगी। यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि भाजपा 2024 के चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों का चयन कैसे करती है।