Constitution Day 2022: अतुल्‍य विरासत को जारी रखने का संकल्प

Constitution Day 2022: भारतीय संविधान समय की कसौटी पर पूरी तरह खरा उतरा है। यह पवित्र, सारगर्भित और जीवंत दस्‍तावेज भारत के लिए एक महान मार्गदर्शक है।

Update:2022-11-26 08:35 IST

Constitution Day 2022 (Pic: Social Media)

Constitution Day 2022: मानव सभ्यता का एक लंबा इतिहास रहा है जिसके दौरान अब तक असंख्‍य उपलब्धियां दर्ज हुई हैं। एकजुटता की भावना, नैतिक निर्णय लेने की क्षमता, सत्ता समीकरणों की संतुलित स्थिति, क्षेत्रीय और सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और प्रसार, प्राचीन काल से लेकर अब तक चिंतन के महत्वपूर्ण क्षेत्र रहे हैं। इंसानों ने, सामाजिक जीव होने के नाते अपनी व्‍यक्तिगत स्‍वतंत्रता को अभिव्‍यक्‍त करने के लिए इस दिशा में हमेशा से  प्रयास किए हैं। इसके दूसरी ओर विश्‍व के संविधानों ने आकांक्षाओं, संबंधित लक्ष्‍यों, वैयक्तिक और सामूहिक सामाजिक प्रगति को सुनिश्चित करने के लिए महत्‍वपूर्ण मार्गदर्शकों की हैसयित से कार्य किया है। भारत लोकतंत्र की जननी है और यहां सांस्‍कृतिक विरासत की लंबी परंपरा रही है। 26 नवम्‍बर को मनाया जाने वाला संविधान दिवस अमृत काल में मनाए जाने के कारण विशेष महत्‍व रखता है।

मोदी सरकार ने 2015 में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। आज हम संविधान निर्माण की 73वीं वर्षगांठ मना रहे हैं जिसके माध्‍यम से हम उन पूर्वजों को पूरी तरह से सम्मान देने का प्रयास कर रहे हैं जिन्‍होंने संबंधित मूल्यों को अक्षुण्‍ण बनाए रखने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी और जिसके आधार पर संविधान निर्माताओं को भावी पीढ़ी की आकांक्षाओं को पूरा करने में मदद मिली थी। उनकी दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि आज कई देशों के संविधान विविध हितों और असंतुलित शक्ति समीकरण के आगे नतमस्‍तक हो गए हैं। तथापि, भारतीय संविधान समय की कसौटी पर पूरी तरह खरा उतरा है। यह पवित्र, सारगर्भित और जीवंत दस्‍तावेज भारत के लिए एक महान मार्गदर्शक है।

सामाजिक आवश्‍यकताओं के अनुसार परिवर्तन को अंगीकार करने के लिए इसमें निहित लचीलेपन की विशेषता एक सर्वोत्‍तम एवं आदर्श संवैधानिक आधार में परिणत हो गई है। संविधान के भीतर यह वाक्‍यांश कि ''हम भारत के नागरिक'' से यह सुस्‍पष्‍ट रूप से विदित होता है कि हमारे संविधान में नागरिकों के प्रति एक सतत् केन्‍द्रीयता को प्रस्‍तावित पारिस्थितिकी के रूप में निर्धारित किया गया है। यह विकसित संस्थानों, शासन व्‍यवस्‍था और न्यायपालिका, विधायी व्‍यवस्‍था, कार्यपालिका, परिसंघवाद, स्थानीय सरकार और अन्य स्वतंत्र संस्थाओं की परिभाषित भूमिका से मिलता-जुलता है जिसके तहत व्‍यक्ति की निजता पर सामूहिक रूप से ध्‍यान केन्द्रित किया गया है। नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का सम्मिश्रण एक ही सिक्के के दो पहलू हैं जिनकी अभिव्‍यक्ति व्यापक राष्ट्र-निर्माण के लक्ष्य के तहत की गई है। केंद्र और राज्यों के मध्य विधायी शक्तियों का संविधान के अनुच्छेद 246 और 7वीं अनुसूची में स्पष्ट बँटवारा और अधिकारों व कर्तव्यों के मध्य समन्वय भारतीय संविधान को और महान बनाता है ।

संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ बी आर अंबेडकर ने 25 नवंबर, 1949 को समापन बहस के दौरान एक व्यक्ति, एक वोट, एक मूल्य के सिद्धांत के माध्यम से राजनीतिक समानता रखने के लिए विरोधाभासी जीवन में प्रवेश के बारे में टिप्पणी करते हुए असमानता के बारे में चेतावनी दी थी जिसमें सामाजिक और आर्थिक जीवन को भी दृष्टिगत रखा गया। संविधान की शुरुआत करने के दौरान उन्‍होंने इस विषय पर चिंतन करना छोड़ दिया था कि "हम कब तक इन अंतर्विरोधों का जीवन जीते रहेंगे?''

अब राष्‍ट्र विस्‍मृत और यशवंचित स्‍वतंत्रता सेनानियों के मूल्‍यों को पहचाने के साथ स्‍वतंत्रता शती के अवसर पर आने वाले अमृत काल में राष्‍ट्र के विकास की अवसंरचना तैयार करते हुए हमें डॉ. अम्‍बेडकर के चिंतन-मनन के नजदीक ले जा रहा है। वर्ष 2014 के बाद मोदी सरकार का दृष्टिकोण, उनके द्वारा निष्‍पादित कार्यकलाप और उनसे अर्जित निष्‍कर्षों का उद्देश्‍य सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में निहित विरोधाभास को समाप्‍त करना है। 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' के परिप्रेक्ष्‍य में सरकार की पहल यह है कि राष्ट्र निर्माण संबंधी गतिविधियों में किसी को पीछे न रखा जाए और उसके माध्‍यम से ऐसी सारगर्भित एवं सुदृढ़ व्‍यवस्‍था को सामने रखा जाए जिनमें संवैधानिक मूल्‍यों का विशेष समावेश हो। व्यक्तिगत क्षमता को पहचानने के लिए स्वास्थ्य सेवा, आवास, ऊर्जा, शिक्षा, उद्योग, अंतरिक्ष और संस्कृति से लेकर बहुआयामी तरीके से हर क्षेत्र में कल्‍याणकारी कार्य किए जा रहे हैं। नीति और निष्‍पादन से जुड़ी कार्य पद्धति लोकतांत्रिक तरीके से समाज की प्रगति का मार्ग प्रशस्‍त करती है।

क्षेत्र-विशिष्ट योजनाओं पर आधारित दृष्टिकोणों का सामंजस्य और क्रियान्‍वयन जनता के जीवन को सहज बना रहा है। लोगों पर अनुपालन बोझ को कम करना, संतृप्ति स्तर के कार्यान्वयन लक्ष्यों के लिए प्रभावी योजना तैयार करना और परिणामस्‍वरूप मोदी सरकार के शासन में बेहतरी को प्रदर्शित करना इनका लक्ष्‍य है। मोदी शासन ने आम आदमी के विश्वास को बढ़ाया है। आकांक्षी जिला कार्यक्रम की सफलता मोदी सरकार की संवैधानिक भावना के पालन का एक और स्‍पष्‍ट प्रमाण है।

अगले सप्ताह से जी-20 समूह में भारत की अध्‍यक्षता उन संवैधानिक मूल्यों को प्रदर्शित करने का एक उपयुक्त अवसर है जिनकी गूंज संपूर्ण विश्‍व में है। भारत पहले ही विकासशील देशों के स्‍वर के रूप में उभरा है। संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के माध्यम से अंतरराष्‍ट्रीय शासन में सुधार की आवश्यकता, सुधार किया हुआ बहुपक्षवाद, आतंकवाद के खतरे को समाप्त करने के लिए जारी प्रयास और स्‍पष्‍ट दृष्टिकोण, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय संधारणीयता के उपायों में लाभ और जिम्‍मेदारी को समान रूप से साझा करना, चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में वैश्विक शांति के पक्ष में सतर्कतापूर्ण रुख, आवश्यकता-आधारित बहु-संरेखण, महामारी के कठिन समय के दौरान विकासशील देशों हेतु मानवीय पहल जैसे कि वैक्सीन मैत्री के माध्यम से सहायता प्रदान करना,  संवैधानिक मूल्यों का अनुकरण करना है और वैश्विक हित के लिए प्रबल प्रयास है। एक बहुसांस्कृतिक समाज होने के नाते, भारत की 'विविधता में एकता' को अपनाने की स्‍वाभाविक क्षमता और अनोखा सामर्थ्‍य अंतरराष्ट्रीय मंच पर विविध और परस्पर विरोधी विचारों पर आम सहमति कायम करने में सक्षम है। संवैधानिक मूल्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता में वैश्विक विमर्श को आकार देने और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर एवं संवहनीय भविष्य के लिए लोकतांत्रिक बुनियादी बातों के आधार पर मजबूत संस्थानों का निर्माण करने की क्षमता मौजूद है।

संविधान दिवस हमारे विचारों, दृष्टि और कार्यों में व्‍यक्तिगत और सामूहिक तरीके से संवैधानिक मूल्यों को समाहित करने हेतु विचार करने और उत्प्रेरक प्रभाव उत्‍पन्‍न करने के लिए एक उपयुक्त क्षण है। यह हम पर अमिट प्रभाव छोड़ता है कि संविधान से निकलने वाले प्रभावशाली मूल्य और प्रस्तावित ज्ञान न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए मूल्‍यवान है। हमें उन मूल्यों की गंभीरता, ग्रंथों के भाव को समझना चाहिए, उन्हें आत्मसात करना चाहिए और उन्‍हें और अधिक बोधगम्‍य बनाने की दिशा में निरंतर कार्य करना चाहिए। आइए उन विस्‍मृत और यशवंचित वीरों से जुड़ी अतुल्‍य विरासत को कायम रखने का संकल्प लें। एक गौरवान्वित नागरिक होने के नाते, दुनिया को फिर से दर्शाने का समय आ गया है कि 'हम, भारत के लोग..!!! 


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