श्मशान घाटों पर कोरोना-लॉकडाउन का असर, कम हुई शवों की संख्या

कोरोना वायरस के चलते हर जगह सावधानी बरती जा रही है। ऐसे में लोगों का अंतिम संस्कार होने वाले श्मशान घाटों पर भी इस वायरस के चलते सतर्कता बरती जा रही है।

Update:2020-04-22 17:05 IST

पूरे देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। वायरस से बचाव करने के लिए सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किया जा रहा है। सरकार लगातार लोगों को जागरूक भी कर रही है। लोगों से लगातार अपने घरों को और खुद को स्वच्छ रखने की अपील कर रही है। लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग के पालन की लगातार लोगों से अपील की जा रही है। ऐसे में ऑफिस स्कूल और व्यवसाय के तरीके तो बदले ही हैं लेकिन इस कोरोना के कहर के चलते श्मशान घाटों के भी कार्य करने के तरीके पूरी तरह से बदल गए हैं। श्मशान घाटों पर भी लगातार सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा जा रहा है। इसके अलावा श्मशान घाटों पर इस समय अंतिम संस्कारों की संख्या में भी कमी आई है।

श्मशान घाटों पर बरती जा रही पूरी सावधानी

देश में कोरोना वायरस के चलते हर जगह सावधानी बरती जा रही है। ऐसे में लोगों का अंतिम संस्कार होने वाले श्मशान घाटों पर भी इस वायरस के चलते सतर्कता बरती जा रही है। श्मशान घाटों पर अब सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कड़ाई से किया जा रहा है। इसके अलावा देश कुछ श्मशान घाटों पर तो पीपीई किट भी मुहैया कराई जा रही है। अब श्मशान घाटों पर एक लाश को जलाने के बाद श्मशान घाट को पूरी तरह से सैनिटाइज किया जा रहा है।

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यहां तक की कुछ सरकारों ने तो श्मशान घाटों पर सैनिटाइजर टनल भी लगाया है। अभी कुछ दिन पहेल यूपी के गाजियाबाद से एक मामला सामने आया था जहां श्मशान घाट में अंतिम संस्कार में शामिल होने गए कुछ लोग कोरोना से संक्रमित हो गए। जिसके बाद श्मशान घाटों पर ऐसी सुविधाओं के इंतजाम किए गए हैं।

कम हुई घाटों पर शवों की संख्या

दिल्ली के सबसे पुराने निगम बोध घाट का नजारा भी कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते पहले से काफी बदल गया है। 110 साल से इस श्मशान घाट का रखरखाव कर रही वैश्य-अग्रवाल समाज के सुपरवाइजर अनिल गुप्ता ने एक ख़ास जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना के प्रकोप के चलते श्मशान में आने वाले शवों की संख्या में 30 से 40 फीसदी की कमी आई है। श्री गुप्ता ने बताया कि एनसीआर से आने वाले शवों की संख्या में काफी कमी आई है।

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सुपरवाइजर ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान पिछले एक महीने से ज्यादातर शव जो आए हैं वो दिल्ली से ही आए हैं। कोरोना वायरस के खौफ के चलते लोग ज्यादा दूर नहीं जाना चाहते अगर उनके पास में कोई घाट है तो वो वहां ही उनका अंतिम संस्कार कर देते हैं। सुपरवाइजर अनिल गुप्ता ने अब बताया कि अब सिर्फ 25-30 शव ही आते हैं उन्हें भी सेनिटाइज करके रखा जाता है।

सीएनजी से होता कोरोना शवों का अंतिम संस्कार

सुपरवाइजर अनिल गुप्ता बताते हैं कि पहले इस घाट पर 50 से 60 शव लगभग रोज आते थे। लेकिन अब इस संख्या में काफी कमी आई है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि जबसे कोरोना ने दस्तक दी है तबसे यहां का पूरा स्टाफ हमेशा मास्क पहन के रहता है। यहां पर रोज मशीनों से दवा छिड़की जाती है। वहीं गुप्ता ने बताया कि कोरोना और लॉकडाउन के चलते एक्सीडेंट और प्रदूषण से होने वाली मौतों की संख्या में काफी कमी आई है। पहले लगभग 5 से 10 मामले एक्सीडेंट के आते थे। जिनमे अब कमी आई है।

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वहीं कोरोना से आने वाले शवों के बारे में जानकारी देते हुए निगम बोध घाट के संचालक सुमन कुमार गुप्ता ने बताया कि इस घाट पर कोरोना वायरस से मरने वाले अभी तक सिर्फ 30 शव आए हैं। इन शवो को अच्छे से सेनिटाइज किया जाता है उसके बाद इन्हें जलाया जाता है। घाट संचालक ने बताया इन शवों का अंतिम संस्कार सीएनजी से होता है। इन शवों को अस्पताल का स्टाफ ही लेकर आता है। संचालक सुमन कुमार ने बताया कि अभी तक किसी भी कोरोना से मरे व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार उसके परिजनों ने नहीं किया है।

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