स्वास्थ्य मंत्रालय का बड़ा बयान, लॉकडाउन न होता तो 78000 की जाती जान
लेकिन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि लॉकडाउन की वजह से देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या कम है। वरना ये और ज्यादा होती।
नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है। देश में आए दिन संक्रमितों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी होती जा रही है। भारत में पिछले कुच्घ्ह दिन से एक- एक दिन में 5 हजार से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। ऐसे में देश में ये वायरस अपने पैर पसारता जा रहा है। देश में कोरोना के बढ़ते प्रकोप पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा देश में लॉकडाउन का चौथा चरण जारी है। लेकिन फिर भी आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस पर जानकारी देते हुए कहा है कि तमाम प्रयासों की वजह से देश में मामलों के दोगुने होने की दर में काफी कमी आई है।
लॉकडाउन न होता तो होती 37 से 78 हजार लोगों की मौत- स्वास्थ्य मंत्रालय
देश में एक एक दिन में कोरोना के मरीजों में 5 हजार और साढ़े 5 हजार की बढ़ोत्तरी हो रही है। जबकि इस वायरस पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा देश में 25 मार्च से लगातार लॉकडाउन लागू है। लेकिन फिर भी देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में इस कदर की बढ़ोत्तरी सोचने पर मजबूर करती है। लेकिन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का मानना है कि लॉकडाउन की वजह से देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या कम है। वरना ये और ज्यादा होती।
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शुक्रवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्रालय, आईसीएमआर और अन्य विभागों ने सरकार की कोशिशों की जानकारी दी। साथ ही इन प्रयासों की वजह से वायरस के मामलों को नियंत्रण में रखने के बारे में बताया। केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि विभिन्न अध्ययनों के मुताबिक हमने लॉकडाउन करके बहुत सी जानें बचाई हैं। अगर लॉकडाउन नहीं होता, तो देश में संक्रमित लोगों की संख्या 29 लाख तक पहुंच सकती थी। जबकि 37 से 78 हजार लोगों की मौत हो जाती।
लगातार चौथे दिन हुए 1 लाख से ज्यादा टेस्ट
इस बीच आईसीएमआर के डॉक्टर रमन आर गंगाखेड़कर ने प्रतिदिन हो रही टेस्टिंग की जानकारी दी। डॉ रमन ने जानकारी देते हुए बताया कि शुक्रवार को लगातार चौथे दिन एक लाख से ज्यादा टेस्ट किए गए हैं। उन्होंने बताया कि शुक्रवार दोपहर एक बजे तक देश में 27,55,714 टेस्ट किए जा चुके हैं। इनमें से 18,287 टेस्ट निजी लैब में किए गए। वहीं सशक्त समूह-1 के चेयरमैन व नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने केंद्र सरकार की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत हम 1 करोड़ लोगों को इलाज मुहैया करवा रहे हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है।
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उन्होंने कहा कि महामारी का प्रकोप सीमित स्थानों तक ही सीमित रहा। 70 फीसदी मामले शहरों तक ही सीमित रहे। साथ ही लॉकडाउन की वजह हजारों लोगों की जान बच गई। वीके पाल ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से 3 अप्रैल के बाद कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से कमी आई है। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना के कुल मामलों में से 90 फीसदी 10 राज्यों तक सीमित है। इनमें से भी 70 फीसदी 10 शहरों तक ही है।