Corona and H3N2: कोरोना और फ्लू का एक साथ संक्रमण, जीनोम निगरानी पर जोर
Corona and H3N2: एक 10 साल की बच्ची को लो ग्रेड बुखार, खांसी और सर्दी की तकलीफ थी।उसके गले के स्वैब के एक पूरे-जीनोम सीक्वेंस ने पुष्टि की कि उसे कोरोना वायरस का ओमीक्रान बीए4.1 संक्रमण और एच3एन2 इन्फ्लूएंजा का 2ए.3 संक्रमण था।
Corona and H3N2: एक ही मरीज में कोरोना के साथ साथ फ्लू का संक्रमण भी पाया गया है। यानी दो संक्रमण एक साथ। ये मामला केरल में एक स्कूली बच्ची का है जिसे खांसी, हल्का बुखार और जुकाम के लक्षण थे। एक्सपर्ट्स का कहना है कि सांस की बीमारी के बढ़ते मामलों पर तेजी से प्रतिक्रिया के लिए जीनोमिक निगरानी की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
अध्ययन में खुलासा
"रिसर्च स्क्वायर" में प्रकाशित एक अध्ययन में कहा गया है कि एक 10 साल की बच्ची को लो ग्रेड बुखार, खांसी और सर्दी की तकलीफ थी।उसके गले के स्वैब के एक पूरे-जीनोम सीक्वेंस ने पुष्टि की कि उसे कोरोना वायरस का ओमीक्रान बीए4.1 संक्रमण और एच3एन2 इन्फ्लूएंजा का 2ए.3 संक्रमण था।
आईसीएमआर की स्टडी
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी चेन्नई, द्वारा किए गए अध्ययन में कहा गया है कि अगस्त 2022 में इन्फ्लूएंजा के कारण केरल के कासरगोड में एक मरीज की मौत हो गई थी। रोगी के इतिहास में जाने पर, पता चला कि उसे सीने में दर्द या सांस लेने में तकलीफ नहीं थी, और उसकी छाती साफ थी। उसका कोई यात्रा इतिहास नहीं था, लेकिन उसके परिवार के तीन सदस्यों में समान लक्षण थे और वे इलाज के बाद ठीक हो गए। जीनोम अनुक्रम ने बाद में कोरोना और इन्फ्लुएंजा सह-संक्रमण की पुष्टि की। इस केस के बाद सर्विलांस और प्रकोप प्रबंधन की दिशा बदल गई।
जीनोम निगरानी की आवश्यकता
स्टडी में कहा गया है कि यह रिपोर्ट सह-संक्रमणों की व्यापकता को समझने और उनकी तेजी से पहचान और रोकथाम के लिए अन्य श्वसन बीमारियों के साथ कोरोना सह-संक्रमणों की जीनोमिक निगरानी के महत्व पर प्रकाश डालती है।
बच्चों में ज्यादा मामले
शुरुआत में सह-संक्रमण के अधिकांश मामले बच्चों में पाए गए थे। 2021-22 में, भारत में कोरोनाऔर इन्फ्लूएंजा सह-संक्रमण कम थे, और कोई मृत्यु दर नहीं देखी गई थी। अध्ययन में कहा गया है कि "भारत से रिपोर्ट किए गए अधिकांश मामले बाल रोगियों में हुए, हालांकि ये सह-संक्रमण मुख्य रूप से इन्फ्लुएंजा बी प्रकार के थे। सभी रिपोर्ट किए गए अध्ययनों में, सह-संक्रमित वायरस के लिए संबद्ध जीनोमिक डेटा की कमी है।" इस स्टडी के सह-लेखक विनोद स्कारिया हैं, जो सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) में वैज्ञानिक हैं। अध्ययन में शामिल अन्य लोगों में सीएसआईआर इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी, जिला चिकित्सा कार्यालय, कासरगोड, केरल और माइक्रोबायोलॉजी विभाग, गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज कालीकट, केरल शामिल थे।