कोरोना से जंग: भारत में तैयार हो चुकी होगी हर्ड इम्यूनिटी? स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया

कोरोना के मामले दुनिया में लगातार बढ़ते जा रहे हैं। दुनिया में कोरोना मरीजों की संख्या 1.70 करोड़ को पार कर चुकी है जबकि 6.64 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।

Update: 2020-07-30 16:02 GMT
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नई दिल्ली: कोरोना के मामले दुनिया में लगातार बढ़ते जा रहे हैं। दुनिया में कोरोना मरीजों की संख्या 1.70 करोड़ को पार कर चुकी है जबकि 6.64 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। भारत में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। बीते 24 घंटों में देश भर में 52,123 नए मामले सामने आए हैं। पहली बार भारत में एक दिन के आंकड़ों की संख्या 50 हजार को पार कर गई है।

अब इसके बीच भारत के लिए खुशखबरी है कि रिकवरी रेट 64.44 प्रतिशत है। वैज्ञानिकों ने बताया कि नई दिल्ली व आसपास के जिलों में 30 प्रतिशत से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसकी वजह से तीन माह में हर्ड इम्युनिटी बन जाएगी।

अब ऐसा माना जा रहा है कि वैक्सीन आने से पहले ही ज्यादातर लोगों में कोविड-19 वायरस के प्रति एंटीबॉडी बन चुकी होगी। अब इसकी वजह से बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन की जरूरत नहीं होगी।

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हर्ड इम्यूनिटी पर स्वास्थ्य मंत्रालय के ओएसडी राजेश भूषण ने बताया कि हर्ड इम्यूनिटी या तो वैक्सीन के जरिए या फिर एंटीबॉडी के जरिए बनती है। यानी कि पहले बीमारी होने के बाद लोग उससे ठीक हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि हर्ड इम्यूनिटी बनना भारत जैसे देश के लिए बहुत जटिल है। इसलिए हर्ड इम्यूनिटी का इस्तेमाल करना संभव नहीं है।

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जानिए क्या है हर्ड इम्यूनिटी?

बता दें कि कोई बीमारी विश्व या किसी देश के बड़े हिस्से में फैल जाती है। इसके बाद मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता उस बीमारी के संक्रमण को रोकने में सहायता करती है। अगर लोग बीमारी से लड़कर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, तो वो उस बीमारी से 'इम्यून' हो जाते हैं, मतलब कि उनमें प्रतिरक्षात्मक गुण विकसित हो जाते हैं। उनके शरी में वायरस का मुक़ाबला करने वाली सक्षम एंटी-बॉडीज़ तैयार हो जाता है।

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स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक हर्ड इम्यूनिटी संक्रमण को रोकने में दो-तरफा कारगर साबित होती है। 80 प्रतिशत लोगों के इम्यून होने पर 20 प्रतिशत लोगों तक संक्रमण नहीं पहुंच पाता है। उसी तरह अगर किन्हीं विपरीत परिस्थितियों में यह 20 प्रतिशत लोग कोरोना संक्रमित हो जाते हैं तो वह बाकी 80 प्रतिशत तक नहीं पहुंचेगा, क्योंकि वे पहले से इम्यून हैं। इसकी वजह से वायरस के फैलाव की प्रक्रिया रुक जाती है। महामारी से छुटकारा मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

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