भारत-इजरायल का कमाल: 1 मिनट में पता चलेगा कोरोना है या नहीं, करना होगा ये काम

इजरायल के भारत में दूतावास अधिकारी रॉन मल्का ने कहा कि इजरायल चाहता है कि भारत इस रैपिड टेस्टिंग किट के उत्पादन का हब बने।

Update: 2020-10-10 04:38 GMT
भारत और इजरायल के वैज्ञानिकों ने मिलकर कोरोना वायरस की नई जांच तकनीक बनाई है जो कुछ दिनों आ सकती है। इस तकनीक को ओपन स्काई नाम दिया गया है।

 

लखनऊ: देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अब इस बीच वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी मिली है। भारत और इजरायल के वैज्ञानिकों ने मिलकर कोरोना वायरस की नई जांच तकनीक बनाई है जो कुछ दिनों आ सकती है। इस तकनीक को ओपन स्काई नाम दिया गया है। इस तकनीक में व्यक्ति को एक विशेष तरह के ट्यूब में फूंक मारना होगा। इसके बाद एक मिनट के भीतर जांच रिपोर्ट आ जाएगी और पता चल जाएगा कि वह कोरोना से संक्रमित है या नहीं। इस तकनीक को बड़े गेम चेजर के तौर पर देख जा रहा है।

इजरायल के भारत में दूतावास अधिकारी रॉन मल्का ने कहा कि इजरायल चाहता है कि भारत इस रैपिड टेस्टिंग किट के उत्पादन का हब बने। उन्होंने कहा कि इस जांच किट का प्रोजेक्ट एडवांस्ड स्टेज में हैं, मुझे लगता है कि ये कुछ चंद दिनों की बात है जैसा की मैंने इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों से सुना है। उन्होंने संभावना ने जताई कि दो से तीन सप्ताह में इसपर फैसला हो जाएगा और महामारी में इसका लाभ लोगों को मिल सकेगा।

मल्का ने कहा कि यह पूरी दुनिया के लिए अच्छी खबर है। इसका एयरपोर्ट और दूसरे जगहों पर इस्तेमाल हो सकता है। इसके साथ ही इसपर लागत भी बहुत कम है, क्योंकि रिजल्ट के लिए सैंपल को लैब भेजने की जरूरत ही नहीं है। वहीं पर तुंरत नतीजे मिल जाएंगे।

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ऐसी तकनीकों का परीक्षण

भारत और इजरायल के वैज्ञानिकों ने बड़ी संख्या में सैंपल इकट्ठा कर चार तरह की तकनीक पर परीक्षण किया था। इसमें ब्रेथ एनालाइजर और आवाज की जांच से कोरोना संक्रमण की पहचान की तकनीक सबसे अहम थी। इसके अलावा आइसोथर्मल टेस्टिंग तकनीक से लार में वायरस की मौजूदगी का पता लगा तो वहीं पॉली एमिनो एसिड की सहायता से वायरस के प्रोटीन को अलग कर उसकी पहचान करना संभव है। वैज्ञानिकों ने कुल दस तरह की तकनीक पर परीक्षण किया जिसके बाद उन्होंने इन चार तकनीकों को अंतिम परीक्षण के लिए चुना था।

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भविष्य की राह होगी आसान

रॉन का कहना है कि ट्यूब में बोलने से संक्रमण की पहचान होने की तकनीक से भविष्य की राह आसान हो जाएगी। एयरपोर्ट जैसे दूसरे स्थानों पर इसकी सहायता से सेकंडों में वायरस की पहचान की जा सकती है। सबसे अच्छी बात ये है कि ये सस्ती है और सैंपल को भेजने की फिक्र नहीं होगी। जो इस पर लागत खर्च होती है वह बचेगी।

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