CPCB को इसलिए भरना पड़ सकता है एक करोड़ रुपये का हर्जाना

एनजीटी के आदेश के अनुसार राज्यों को सीपीसीबी को 30 अप्रैल तक कार्ययोजना जमा करनी थी। ऐसा नहीं होने पर उन्हें एक करोड़ रुपये प्रति माह की दर से हर्जाना भरना होगा।

Update: 2019-05-26 10:25 GMT

नई दिल्ली: प्लास्टिक कचरे के व्यवस्थित निस्तारण की कार्ययोजना केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को जमा नहीं करने पर करीब 25 राज्य सरकारों को एक-एक करोड़ रुपये का पर्यावरण हर्जाना भरना पड़ सकता है। कार्ययोजना जमा करने की राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा तय 30 अप्रैल की समयसीमा निकल चुकी है।

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एनजीटी के आदेश के अनुसार राज्यों को सीपीसीबी को 30 अप्रैल तक कार्ययोजना जमा करनी थी। ऐसा नहीं होने पर उन्हें एक करोड़ रुपये प्रति माह की दर से हर्जाना भरना होगा।

इस मामले में राज्यों के खिलाफ कानूनी रुख अख्तियार करने वाले सीपीसीबी के पूर्व अतिरिक्त निदेशक एस के निगम ने पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘‘राज्यों ने हमारे आदेश का पालन नहीं किया, इसलिए हम एनजीटी गये। अब वे एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं तो उन्हें इसका हर्जाना भरना होगा। सजा में केवल जुर्माना नहीं, बल्कि कुछ मामलों में कैद भी शामिल है।’’

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निगम ने कहा कि प्लास्टिक और ठोस कचरा प्रबंधन के मामले में हालात बहुत खराब हैं तथा राज्य इन्हें प्राथमिकता नहीं देते।

उन्होंने कहा, ‘‘हालत बहुत खराब है। नगर निगमों की प्राथमिकताओं की सूची में कचरा प्रबंधन अंतिम है। सीपीसीबी अब एनजीटी को आदेश का पालन नहीं होने के बारे में बताएगा और राज्यों को इस चूक के लिए भारी राशि जमा करनी होगी।’’

(भाषा)

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