देहरादून: उत्तराखंड का संत समाज काफी आंदोलित और आक्रोशित है। वजह है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता और उदासी अखाड़ा के महंत मोहन दास 18 सितंबर से लापता हैं और उन्हें ढूंढने की पुलिस, प्रशासन की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं।
बीती 18 तारीख को महंत मोहनदास हरिद्वार से कल्याण (मुंबई) की यात्रा के दौरान रास्ते में लापता हो गए। उनके मोबाइल की अंतिम लोकेशन मेरठ में मिली, लेकिन उनका कोई पता नहीं चल पाया है। रेलवे पुलिस के अनुसार अंतिम बार उन्हें निजामुद्दीन स्टेशन पर देखा गया था। उसके बाद से उनका कुछ पता नहीं चला।
महंत मोहनदास जिस डिब्बे में यात्रा कर रहे थे, उसकी सवारियों ने भी जीआरपी को बताया कि वे निजामुद्दीन स्टेशन के बाद कोच में नहीं आए। उनका सामान वहीं रखा रहा। महंत के लापता होने की बात तब सामने आई, जब गाड़ी रविवार को कल्याण रेलवे स्टेशन पहुंची और उनकी अगवानी के लिए आए लोगों को महंत नहीं सिर्फ उनका सामान मिला।
हरिद्वार में अखाड़ा परिषद और संत समाज लगातार ही महंत को ढूंढने की मांग कर रहा है। उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री और हरिद्वार से विधायक मदन कौशिक लगातार संतों और पुलिस के संपर्क में रहे और मामले को सुलझाने की कोशिशें करते रहे लेकिन संतों का आक्रोश बढ़ता गया और उन्होंने सड़क पर उतरने का ऐलान कर दिया। इसके बाद राज्य के धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज संतों से मुलाकात करने पहुंच गए।
हरिद्वार में बड़ा उदासीन अखाड़ा पहुंचे सतपाल महाराज ने संतों से बात और आश्वासन दिया कि सरकार महंत मोहनदास की बरामदगी को लेकर बेहद संजीदा है। उन्होंने संतों को कहा कि सरकार इस प्रकरण को प्राथमिकता के आधार पर लेकर चल रही है। उन्होंने स्वीकार किया कि संतों में चिंता का माहौल है और कहा कि जांच में शामिल सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि जल्द ही कोई परिणाम सामने लाएं। सतपाल महाराज ने यह भी कहा कि उन्होंने वह इस संबंध में केंद्र और उत्तर प्रदेश दोनों से सहयोग मांगा है। उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निजी सचिव से भी बात की और महंत मोहनदास की खोज तेज करने को कहा।
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इस बीच संतों ने हर की पौड़ी स्थित सुभाष घाट पहुंचकर पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े किए हालांकि बारिश होने की वजह से जो उम्मीद संत समाज ने धरना स्थल पर संतों की जुटने की लगाई थी। उसकी तुलना में संख्या काफी कम रही। सुभाष घाट में जूना अखाड़े के उपाध्यक्ष प्रेम गिरी महाराज ने कहा कि पुलिस पर विश्वास किए बैठे जरूर हैं, लेकिन कुछ होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती तो अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारी और अखाड़े लोग मिलकर भारत भर में विशाल आंदोलन खड़ा करेंगे।
संपत्ति विवाद
पुलिस एसटीएफ के साथ मिलकर संत की गुमशुदगी के पीछे संपत्ति विवाद को भी खंगालने में जुटी है। दरअसल, कनखल में बड़ा अखाड़े की संपत्तियों पर पिछले कुछ साल में बड़े पैमाने पर फ्लैट्स का निर्माण किया गया था। निर्माण को लेकर अखाड़े पर कुछ देनदारी बकाया भी बताई जा रही है। पड़ताल में यह भी सामने आया है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी एक कांग्रेस नेता को उपहार स्वरूप अखाड़े ने फ्लैट दिया था। यह उपहार महंत ने क्यों दिया और ऐसे कौन-कौन लोग महंत की कृपा पात्रों की सूची में है, एसटीएफ इसकी जानकारी भी जुटा रही है।
बड़ा अखाड़ा के महंत मोहनदास स्वभाव से सरल मृदभाषी और मिलनसार बताए जाते हैं। उनके अखाड़े की सपंत्ति अरबों में बताई जाती है, लेकिन करोड़ों का लेन-देन संभालने वाले कोठारी महंत मोहनदास के चार पांच खातों को मिलाकर कुछ हजार की ही नगदी इन खातों में है। जांच में यह भी सामने आया है कि मुंबई के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने 40 हजार रुपए एटीएम से निकाले थे। महंत की गुमशुदगी में शहर के एक बड़े होटल के मालिक व रत्न कारोबारी भी पुलिस राडार पर हैं।
एसआईटी करेगी जांच
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत 26 सितंबर को हरिद्वार पहुंचे और संत समाज से मुलाकात की। सरकार ने 18 तारीख से लापता महंत मोहन दास को ढूंढने की जिम्मेदारी एसआईटी को दे दी है। 26 सितंबर को ही शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने घोषणा की कि महंत मोहन दास की तलाश एसआईटी करेगी। इसी शाम सीएम त्रिवेंद्र रावत भी हरिद्वार पहुंच गए और बड़ा उदासीन अखाड़ा में संतों से वार्ता की। मुख्यमंत्री के साथ शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक, उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत और हरिद्वार के मेयर मनोज गर्ग भी मौजूद रहे।