Niti Aayog: अरविंद केजरीवाल नीति आयोग की बैठक का करेंगे बहिष्कार, दिल्ली में लाए गए अध्यादेश से हैं नाराज
Niti Aayog: अरविन्द केजरी वाल ने केन्द्र सरकार द्वारा दिल्ली में लाए गए अध्यादेश के विरोध में यह फैसला लिया।
Niti Aayog: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल नें 27 मई को होने वाले नीति आयोग की मीटिंग का भहिष्कार करने का फैसला किया है। उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा दिल्ली में लाए गए अध्यादेश के विरोध में यह फैसला लिया।
उन्होने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को को पत्र लिखा, जिसमें कहा कि, “अगर देश के प्रधानमंत्री ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को मानने से मना करते हैं तो लोग फिर न्याय के लिए कहाँ जाएँगे? प्रधानमंत्री जी, आप देश के पिता समान हैं। आप ग़ैर बीजेपी सरकारों को काम करने दें, उनका काम रोकें नहीं लोग आपके अध्यादेश से बहुत नाराज़ हैं। मेरे लिए कल की नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होना संभव नहीं होगा।“
अगर देश के प्रधानमंत्री ही सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को मानने से मना करते हैं तो लोग फिर न्याय के लिए कहाँ जाएँगे ?
प्रधानमंत्री जी, आप देश के पिता समान हैं। आप ग़ैर बीजेपी सरकारों को काम करने दें, उनका काम रोकें नहीं
लोग आपके अध्यादेश से बहुत नाराज़ हैं। मेरे लिए कल की नीति आयोग… pic.twitter.com/LN3YtFnfDs— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 26, 2023
उन्होने दो पेज के चिट्टी में लिखा है...
कल नीति आयोग की मीटिंग है। नीति आयोग के उद्देश्य हैं भारतवर्ष का विज़न तैयार करना और सहकारी संघवाद (cooperative federalism) को बढ़ावा देना।
पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह जनतंत्र पर हमला हुआ है, गैर भाजपा सरकारों को गिराया जा रहा है, तोड़ा जा रहा है या काम नहीं करने दिया जा रहा, ये ना ही हमारे भारतवर्ष का विज़न है और ना ही सहकारी संघवाद (cooperative federalism) |
पिछले कुछ वर्षों से देश भर में एक संदेश दिया जा रहा है यदि किसी राज्य में लोगों ने ग़ैर भाजपा पार्टी की सरकार बनायी तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
1. या तो गैर भाजपा सरकार को विधायक ख़रीद कर गिरा दिया जाता है,
2. या ED / CBI का डर दिखाकर विधायक तोड़कर सरकार को गिरा दिया जाता है,
3. और अगर किसी पार्टी के विधायक ना बिके और ना टूटे तो अध्यादेश लागू करके या गवर्नर के ज़रिये उस सरकार को काम नहीं करने दिया जाता।
आठ साल की लड़ाई के बाद दिल्ली वालों ने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जीती, दिल्ली वालों को न्याय मिला मात्र आठ दिन में आपने अध्यादेश पारित करके सुप्रीम कोर्ट का आदेश पलट दिया।
तो आज अगर दिल्ली सरकार का कोई अधिकारी काम ना करे तो लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार उस बारे में कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। ऐसे सरकार कैसे काम करेगी? ये तो सरकार को बिलकुल पंगु बनाया जा रहा है। आप दिल्ली सरकार को पंगु क्यों बनाना चाहते हैं? क्या यही भारतदेश का विज़न है? क्या यही सहकारी संघवाद (cooperative federalism) है?
आपके अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली ही नहीं, पूरे देश के लोगों में ज़बरदस्त विरोध है। सुप्रीम कोर्ट को न्याय का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। लोग पूछ रहे हैं अगर प्रधान मंत्री जी सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं मानते तो लोग न्याय के लिए फिर कहाँ जायेंगे?
जब इस तरह खुलेआम संविधान और जनतंत्र की अवहेलना हो रही है और सहकारी संघवाद (cooperative federalism) का मज़ाक़ बनाया जा रहा है तो फिर नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होने का कोई मतलब नहीं रह जाता। इसलिए लोगों कहना है कि हमें कल होने वाली नीति आयोग की मीटिंग में नहीं जाना चाहिए। इसलिए कल की मीटिंग में मेरा शामिल होना संभव नहीं होगा।
देश के प्रधान मंत्री परिवार के पिता और बड़े भाई के समान होते हैं। किसी राज्य में चाहे किसी पार्टी की सरकार हो, प्रधान मंत्री को सबको साथ लेकर चलना चाहिए। देश के सभी लोग, सभी राज्य सभी सरकारें जब मिलकर काम करेंगी, तभी तो देश आगे बढ़ेगा। आप यदि केवल बीजेपी सरकारों का साथ देंगे और ग़ैर बीजेपी सरकारों के काम रोकेंगे तो इस से तो देश का विकास रुक जाएगा।
मेरा आपसे आग्रह है कि गैर भाजपा सरकारों को काम करने दिया जाये और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान किया जाये तब सहकारी संघवाद (cooperative federalism) आगे बढ़ेगा। तभी हमारा देश आगे बढ़ेगा।