Delhi elections 2025: 132 प्रत्याशियों पर हैं क्रिमिनल केस
Delhi elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार भी कई धनी और कई क्रिमिनल केस वाले उम्मीदवार नजर आ रहे हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने 699 उम्मीदवारों के हलफनामों का आकलन कर पता लगाया है कि एक प्रतिशत यानी पांच उम्मीदवार अरबपति हैं।;
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Delhi elections 2025 132 candidates have criminal cases against (Photo: Social Media)
Delhi elections 2025: दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार भी कई धनी और कई क्रिमिनल केस वाले उम्मीदवार नजर आ रहे हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने 699 उम्मीदवारों के हलफनामों का आकलन कर पता लगाया है कि एक प्रतिशत यानी पांच उम्मीदवार अरबपति हैं। ये सभी उम्मीदवार दिल्ली की प्रमुख पार्टियों के सदस्य हैं। भाजपा के 68 में से तीन, कांग्रेस के 70 में से एक और आम आदमी पार्टी के भी 70 में से एक उम्मीदवार ने 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति घोषित की है। इसके अलावा भाजपा ने आठ, कांग्रेस ने सात और आम आदमी पार्टी ने छह ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है जिन्होंने 50 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति घोषित की है। 699 उम्मीदवारों की कुल संपत्ति 3,952 करोड़ पाई गई। प्रति उम्मीदवार औसत संपत्ति का मूल्य है 5.65 करोड़। इस बार 132 (19 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
कौन है सबसे धनी उम्मीदवार
2020 के चुनावों के समय औसत संपत्ति 4.34 करोड़ थी। इसकी अगर दिल्ली के आम आदमी की औसत कमाई से तुलना करें तो यह कम से कम 100 गुना ज्यादा है। 2023-24 में दिल्ली सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक दिल्ली में सालाना प्रति व्यक्ति आय 4.61 लाख रुपये थी।
दिल्ली के पांच सबसे धनी उम्मीदवारों में से दो भाजपा से हैं। शकूर बस्ती से चुनाव लड़ने वाले करनैल सिंह सबसे धनी उम्मीदवार हैं। उनकी कुल संपत्ति है 259 करोड़ रुपये।
दूसरे नंबर पर हैं राजौरी गार्डन से चुनाव लड़ने वाले मनजिंदर सिंह सिरसा। उनकी कुल संपत्ति है 248 करोड़ रुपये। इनके अलावा भाजपा के परवेश साहिब सिंह के पास 115 करोड़, कांग्रेस के गुरचरण सिंह के पास 130 करोड़ और ‘आप' की धनवंती चंदेला के पास 109 करोड़ रुपये की संपत्ति है।
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में सबसे अमीर उम्मीदवार रहे धर्मपाल लाकड़ा ने इस बार अपनी संपत्ति 76 करोड़ रुपये घोषित की है। यह पिछले विधानसभा चुनाव में उनकी 292 करोड़ रुपये की संपत्ति में 75 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
आधे उम्मीदवार ग्रेजुएट
- - सभी उम्मीदवारों में 46 प्रतिशत (322) उम्मीदवार ऐसे हैं जो ग्रेजुएट हैं। 18 उम्मीदवारों के पास डिप्लोमा है। छह ने खुद को बस साक्षर बताया है और 29 ने खुद को अशिक्षित बताया है।
- - 56 प्रतिशत उम्मीदवारों (394) की उम्र 41 से 60 साल के बीच है। 28 प्रतिशत 25 से 40 साल के हैं। 15 प्रतिशत उम्मीदवारों की उम्र 61 से 80 साल है। 80 साल से ऊपर के भी तीन उम्मीदवार हैं।
- - उम्मीदवारों में लैंगिक गैर बराबरी साफ दिखाई दे रही है। सिर्फ 14 प्रतिशत उम्मीदवार (96) महिलाएं हैं। 2020 में कुल उम्मीदवारों में महिलाओं की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत थी।
कई उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले
एडीआर ने 699 प्रत्याशियों के हलफनामों का विश्लेषण किया। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार 132 (19 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनावों की बात करें तो तब 672 में से 133 प्रत्याशियों (20 फीसदी) ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले बताए थे। यानी इस बार दागी उम्मीदवारों की संख्या में कमी दर्ज की गई है।
2025 में किस्मत आजमा रहे 81 उम्मीदवारों (12 फीसदी) ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज किए हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में 104 (करीब 15 प्रतिशत) ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए थे।
किस पार्टी के कितने दागी उम्मीदवार
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रमुख दलों में सबसे ज्यादा दागी उम्मीदवार आम आदमी पार्टी (आप) के हैं। आप ने इस बार 70 में से 44 आपराधिक मामलों वाले प्रत्याशी उतारे हैं। यानी करीब 63 फीसदी। इसके बाद कांग्रेस का नंबर है, जिसके 70 में से 29 (41 फीसदी) उम्मीदवार दागी हैं। भाजपा के 68 में से 29 उम्मीदवारों (29 फीसदी) ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
एडीआर ने गंभीर आपराधिक मामलों वाले पार्टीवार उम्मीदवार के आंकड़े भी जारी किए हैं। सबसे ज्यादा आप के 70 में से 29 प्रत्याशियों (41 फीसदी) पर गंभीर आरोप हैं। कांग्रेस के 70 में से 13 (19 फीसदी) और भाजपा के 68 में से 9 प्रत्याशियों (13 फीसदी) पर गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में 13 उम्मीदवारों ने महिलाओं के ऊपर अत्याचार से जुड़े आपराधिक मामले घोषित किए हैं। वहीं, दो उम्मीवारों ने अपने ऊपर हत्या से जुड़े मामले (आईपीसी धारा-302) का खुलासा किया है। इसके अलावा पांच प्रत्याशियों पर हत्या के प्रयास (आईपीसी धारा-307) के तहत केस दर्ज हैं।
एडीआर के मुताबिक गंभीर मामले वे होते हैं, जिनमें पांच साल से ज्यादा की सजा का प्रावधान है। इनमें मारपीट, हत्या, अपहरण, बलात्कार, भ्रष्टाचार, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध जैसे मामले शामिल हैं।
2020 में गंभीर मामलों वाले उम्मीदवारों की संख्या 15 प्रतिशत थी, यानी इनकी संख्या में गिरावट आई है। 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि भारत की राजनीतिक पार्टियां अगर आपराधिक रिकॉर्ड के लोगों को उम्मीदवार बनाती हैं, तो उन्हें लिखित में बताना होगा कि वो बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार को क्यों नहीं चुन सकीं। पार्टियों ने अभी तक यह जानकारी दी है या नहीं इसकी जानकारी अभी नहीं मिली है।