नई दिल्ली: दिल्ली में सेल्स टैक्स बार एसोसिएशन ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है। याचिका में जीएसटीएन के पोर्टल या सॉफ्टवेयर की कई गड़बड़ियों का जिक्र किया गया है और अदालत को बताया गया कि इन गड़बड़ियों से जीएसटी के प्रावधानों पर अमल करने में कंसलटेंट्स या कर निर्धारकों को काफी परेशानी हो रही है।
सेल्स टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर सांगल ने बताया, "अदालत ने छह नवंबर को जीएसटीएन के साथ बैठक और 11 दिसंबर को अगली सुनवाई निर्धारित की है।"
याचिका में बताया गया कि यह व्यवस्था पुराने टैक्स का क्रेडिट आगे ले जाने की इजाजत के लिए आवश्यक फॉर्म (टीआरएएन-1/2) मुहैया नहीं करवा रही है। रिटर्न भरने का तरीका और पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह से दोषपूर्ण है। जीएसटीएन ने नए नियमों को 20 अक्टूबर तक जारी करने का वादा किया गया था, लेकिन अब जीएसटीएन का कहना है कि नया मॉड्यूल पूरी तरह तैयार नहीं है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति प्रतिमा एम. सिंह की पीठ ने सिस्टम की तमाम गड़बड़ियों को संज्ञान में लिया और जीएसटीएन की उपाध्यक्ष काजल सिंह को जीएसटीएन के तकनीकी और लीगल विभाग का काम संभालने वाले व्यक्तियों की टीम के साथ बार एसोसिएशन के तीन प्रतिनिधियों से छह नवंबर को मिलने का निर्देश दिया ताकि वह उनकी परेशानियों, चिंताओं और सिस्टम में गड़बड़ियों को समझ सकें।
अदालत ने जीएसटीएन को खुले दिमाग से इन मुद्दों पर विचार करने को कहा और इसे अपने खिलाफ विरोधी याचिका न मानने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने जीएसटीएन को सीलबंद लिफाफे में अपनी स्टेटस रिपोर्ट अदालत के समक्ष 11 दिसंबर को पेश करने का निर्देश दिया।
सेल्स टैक्स बार एसोसिएशन 1,700 से ज्यादा सदस्यों का एक संघ है, जिसमें वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट शामिल हैं।
--आईएएनएस