JNU की वीसी के बयान पर बड़ा विवाद, भगवान शिव को बताया SC, कोई भी देवता अगड़ी जाति का नहीं

Delhi JNU: भगवान जगन्नाथ को आदिवासी बताया है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मनुस्मृति के मुताबिक सभी महिलाएं शूद्र हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2022-08-23 09:42 IST

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (PHOTO: social media ) 

Delhi JNU:जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की वाइसचांसलर शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित ने देवताओं को जातियों में बांटकर बड़ा विवाद पैदा कर दिया है। उनका कहना है कि यदि एंथ्रोपोलॉजी के नजरिए से देखा जाए तो कोई भी देवता उच्च जाति का नहीं है। उनका कहना है कि भगवान शिव अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के हो सकते हैं। उन्होंने भगवान जगन्नाथ को आदिवासी बताया है। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मनुस्मृति के मुताबिक सभी महिलाएं शूद्र हैं। इसलिए कोई भी महिला यह दावा नहीं कर सकती कि वह ब्राह्मण या कुछ और है। 

कोई भी भगवान उच्च जाति का नहीं 

जेएनयू की वीसी ने 'डॉ. बीआर अंबेडकर्स थॉट्स आन जेंडर जस्टिस: डिकोडिंग द यूनिफॉर्म सिविल कोड' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए देवी-देवताओं को लेकर विवादित टिप्पणी की। उन्होंने हाल में एक दलित बच्चे के साथ हुई जातीय हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे कोई भी भगवान उच्च जाति के नहीं है। ब्राह्मण तो कतई नहीं है। 

उन्होंने कहा कि हमें देवताओं की उत्पत्ति को एंथ्रोपोलॉजी के नजरिए से देखने की कोशिश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि हम इस नजरिए से देखें तो कोई भी देवता ब्राह्मण नहीं है और क्षत्रिय सबसे ऊंचा नहीं है। उन्होंने करोड़ों भारतीयों के आराध्य भगवान शिव को लेकर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भगवान शिव अनुसूचित जाति या जनजाति के हो सकते हैं।

इस कारण भगवान शिव को बताया एससी

उन्होंने भगवान शिव के अनुसूचित जाति या जनजाति से जुड़े होने का कारण भी बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे देवता जो श्मशान पर बैठते हों, अपने शरीर पर सांप लपेटते हों और बेहद कम कपड़े पहने वाले हैं, वह ब्राह्मण तो नहीं हो सकते। मुझे नहीं लगता कि कोई ब्राह्मण श्मशान में बैठकर यह सबकुछ कर सकता है।

उन्होंने कहा कि इस बात को समझने की जरूरत है कि हिंदू कोई धर्म नहीं है बल्कि जीवन जीने का तरीका है। यदि यह जीवन जीने का तरीका है तो इसकी आलोचना करने में कोई डर नहीं पैदा होना चाहिए। उन्होंने आलोचना का विरोध करने वालों पर भी सवाल खड़े किए।

सभी महिलाओं को बताया शूद्र 

उन्होंने कहा कि लक्ष्मी, शक्ति और भगवान जगन्नाथ सहित सभी देवी-देवताओं को यदि मानवशास्त्रीय नजरिए से देखा जाए तो वे उच्च जाति के नहीं है। उन्होंने भगवान जगन्नाथ को आदिवासी मूल का बताया। जेएनयू की वीसी ने सभी महिलाओं को शूद्र भी बताया। उन्होंने कहा कि कोई भी महिला खुद के ब्राह्मण या कुछ और होने का दावा नहीं कर सकते। उन्होंने समाज में जाति का भेदभाव पैदा होने पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि जब हमारे सारे देवी-देवता और यहां तक की महिलाएं भी ऊंची जाति के नहीं है तो फिर समाज में जाति से जुड़ा हुआ भेदभाव क्यों पैदा किया जाता है। 

उन्होंने बाबासाहेब अंबेडकर को सबसे महान विचारक बताते हुए उनके विचारों को आत्मसात करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के विचारों को समझना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने गौतम बुद्ध को याद करते हुए कहा कि वे उन पहले लोगों में थे जिन्होंने समाज में भेदभाव और जातीय नफरत के खिलाफ हमें जगाने की कोशिश की।

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