Delhi Liquor Scam: मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, 153 दिनों से बंद हैं तिहाड़ जेल में

Delhi Liquor Scam: दिल्ली की शराब नीति केस में कथित घोटाले के आरोप में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रहें हैं।

Update: 2023-07-28 02:07 GMT
मनीष सिसोदिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई ( सोशल मीडिया)

Delhi Liquor Scam: दिल्ली की शराब नीति केस में कथित घोटाले के आरोप में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रहें हैं। सिसोदिया इन दिनों दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। सिसोदिया की जमानत याचिका पर आज शुक्रवार (28 जुलाई) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।

तीन सदस्यीय बेंच कर रही है सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस तीन सदस्यीय बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस उज्जवल भुइयां शामिल है। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दोनों जांच एजेंसियों सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी करके जवाब मांगा था। दोनों एजेंसियां आज अपना जवाब दाखिल करेंगी।

26 फरवरी से जेल में बंद हैं सिसोदिया

बता दें कि मनीष सिसोदिया करीब 153 दिनों से तिहाड़ जेल में बंद हैं। सीबाआई ने सिसोदिया को 26 फरवरी को लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। वहीं, ईडी ने मनी लांड्रिंग मामले के तहत 9 मार्च को सिसोदिया की गिरफ्तारी की थी। इसके बाद सिसोदिया ने दोनों मामलों में जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने सिसोदिया को तीन जुलाई को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इससे पहले ट्रायल कोर्ट ने 31 मार्च को जमानत देने से इनकार कर चुकी है। आखिर में मनीष सिसोदिया ने 6 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में पिछली सुनवाई 14 जुलाई को हुई थी।

उपराज्यपाल ने दिए थे जांच के आदेश

गौरतलब है कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने नई शराब नीति के बाद निकले टेंडर को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दिए था। एलजी ऑफिस की ओर से कहा गया कि मनीष सिसोदिया की भूमिका जानबूझकर की गई गल्तियों के चलते जांच के दायरे में हैं। सिसोदिया ने 2021-22 के लिए शऱाब लाइसेंस धारकों के लिए टेंडर में 144 करोड़ की अवैध रूप से लाभ पहुंचाने का काम किया गया।

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