Lateral Entry: लेटरल एंट्री मामले में NDA में उभरे मतभेद, जदयू, लोजपा और टीडीपी ने साफ किया रुख

Lateral Entry: विपक्षी दलों के विरोध के बीच एनडीए में भी इस मुद्दे पर मतभेद उभरते हुए दिख रहे हैं। गठबंधन के कई दलों ने इसका विरोध किया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-08-20 05:07 GMT

Lateral Entry (Pic: Social Media)

Lateral Entry:  केंद्र में रिक्त संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के 45 पदों को लेटरल एंट्री के जरिए भरने के मुद्दे पर देश की सियासत गरमाई हुई है। भाजपा नेताओं की ओर से इसकी मजबूत वकालत की जा रही है जबकि विपक्षी दलों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत कई विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए इस आरक्षण छीनने की कोशिश बताया है। विपक्षी दलों के विरोध के बीच एनडीए में भी इस मुद्दे पर मतभेद उभरते हुए दिख रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी ऐसी नियुक्तियों के पक्ष में नहीं है। एनडीए के प्रमुख घटक दल जदयू ने भी इस मुद्दे पर चिराग पासवान के सुर में सुर मिलाया है। हालांकि सरकार के लिए राहत की बात यह है कि टीडीपी ने सरकार के इस कदम का खुलकर समर्थन किया है।


चिराग पासवान ने किया फैसले का विरोध

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान लेटरल एंट्री की आलोचना करने वाले एनडीए के पहले पार्टनर हैं। पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी इस कदम से कतई सहमत नहीं है। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे को केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण के प्रावधान का पालन किया ही जाना चाहिए। इसमें कोई किंतु-परंतु का सवाल नहीं है। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र में कोई आरक्षण लागू नहीं होता मगर यदि सरकारी पदों की भर्ती में भी इसे लागू नहीं किया गया तो यह चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि रविवार को यह जानकारी मेरे सामने आई है और मेरे और मेरी पार्टी के लिए यह चिंता का विषय है। सरकार के सदस्य के रूप में उनके पास इस मुद्दे को उठाने का मंच है और वे इसे उठाएंगे।


जदयू भी सरकार के फैसले से नाराज

जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने भी चिराग पासवान के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी शुरू से ही शुरू से ही सरकारी भर्तियों में आरक्षण के नियमों का पालन करने और आरक्षित सीटों को भरने की मांग करती आई है। उन्होंने कहा कि हम राम मनोहर लोहिया की नीतियों को मानते हैं। जब लोगों को सदियों से समाज में पिछड़ेपन का सामना करना पड़ा तो आप मेरिट क्यों ढूंढ रहे हैं? विपक्ष की ओर से किए जा रहे तीखे विरोध की चर्चा करते हुए त्यागी ने कहा कि ऐसे फैसलों के जरिए सरकार विपक्ष को हमला करने का हथियार दे रही है।


टीडीपी ने किया सरकार का समर्थन

वैसे मोदी सरकार के लिए राहत की बात यह है कि एनडीए के प्रमुख घटक दल टीडीपी ने सरकार के इस कदम का समर्थन किया है। टीडीपी के महासचिव नारा लोकेश ने कहा कि हम लेटरल एंट्री के केंद्र सरकार के कदम का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि कई मंत्रालय में विशेषज्ञों की आवश्यकता है और इस कारण लेटरल एंट्री के जरिए भर्तियों का हम समर्थन करते हैं। लोकेश ने कहा कि प्राइवेट सेक्टर में तमाम अनुभवी और जानकार लोग हैं और उनके आने से नीतियों को बनाने और उनके अनुपालन में फायदा होगा।


कांग्रेस कर रही फैसले का तीखा विरोध

दूसरी ओर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी का कहना है कि केंद्र सरकार एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग का अधिकार छीनने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि वंचित वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है। कांग्रेस अध्‍यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि यूपीए सरकार ने कुछ क्षेत्रों में चुनिंदा विशेषज्ञों की नियुक्ति के लिए लेटरल एंट्री की शुरुआत की थी मगर एनडीए सरकार इसका इस्तेमाल दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों के अधिकारों को छीनने के लिए कर रही है। उन्होंने कहा कि आरएसएस के लोगों को केंद्र के वरिष्ठ पदों पर भरने की साजिश रची जा रही है। 

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