Digital Data Protection Bill 2023: जानिए आखिर क्या है डेटा प्रोटेक्शन बिल में
Digital Data Protection Bill 2023: आपको एहसास ही नहीं कि कॉरपोरेट्स और एजेंसियां आपके बारे में क्या क्या जानती हैं। इस बारे में यूरोप और अमेरिका में खासतौर पर चिंता है और लोगों के निजी डेटा को सुरक्षित बनाने और डेटा जमा करने पर कंट्रोल लगाने के लिए सख्त कानून और नियम बने हैं।
Digital Data Protection Bill 2023: लोगों की निजी जानकारियां बड़े काम की होती हैं। उत्पाद या सेवाएं बेचने, लोगों के निर्णयों को प्रभावित करने, सुरक्षा संबंधी उपयोग के लिए, वित्तीय लेनदेन जैसे ढेरों उद्देश्यों के लिए निजी डेटा बहुत इस्तेमाल किया जाता है। हर व्यक्ति को उसकी जानकारी के हिसाब से टारगेट किया जा सकता है। आपके मोबाइल पर सेवाएं और उत्पाद बेचने की कॉल, इंटरनेट पर विज्ञापन आपके निजी डेटा की ही देन है।
आपको एहसास ही नहीं कि कॉरपोरेट्स और एजेंसियां आपके बारे में क्या क्या जानती हैं। इस बारे में यूरोप और अमेरिका में खासतौर पर चिंता है और लोगों के निजी डेटा को सुरक्षित बनाने और डेटा जमा करने पर कंट्रोल लगाने के लिए सख्त कानून और नियम बने हैं। अब भारत में भी इसी की तैयारी है। साथ ही साथ विधेयक में ये प्रावधान भी है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले को देखते हुए सरकार को डेटा हासिल करने का अधिकार होगा।
केंद्र सरकार ने प्रौद्योगिकी कंपनियों और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों के साथ लगभग पांच साल की बातचीत के बाद संसद में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 पेश किया है। ये विधेयक इस बात की प्रक्रिया बताता है कि कॉरपोरेट्स और सरकार, भारत के नागरिकों की जानकारी और उनके निजी डेटा को कैसे एकत्र करें और उसका उपयोग करें।
यह बिल मुख्य रूप से उन संस्था या के लिए लेकर आया गया है जोकि लोगों के निजी डेटा को संभालते हैं और लोगों के अधिकारों को संरक्षित रखना इसका मुख्य उद्देश्य है। सीमा पार डेटा को शेयर करने को सीमित करने के उद्देश्य से भी इस बिल को लाया गया। जो कंपनियां डेटा का दुरुपयोग करती हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करने के उद्देश्य से भी इस बिल को सरकार लेकर आई है।
कंपनियों पर असर
डेटा प्रोटेक्शन कानून बनने के बाद अगर किसी कंपनी ने यूजर का डेटा लिया है और उस डेटा की अब कंपनी को बिजनेस के तौर पर उसकी जरूरत नहीं है तो फिर उस डेटा का इस्तेमाल बंद करना होगा और लोगों से उनकी जानकारी लेना भी बंद करना होगा।
अगर बच्चे के ऊपर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव पड़ता है तो किसी भी कंपनी या संस्थान को यह अधिकार नहीं होगा कि वह निजी जानकारी का इस्तेमाल कर सके।
विधेयक की यात्रा
बीते पांच वर्षों में इस विधेयक में कई बदलाव हुए हैं। ये मूल रूप से एक मसौदा कानून के रूप में शुरू हुआ था जिसमें यूरोप की गोपनीयता सुरक्षा के व्यापक सिद्धांतों को शामिल किया गया था। बाद में विधेयक में ऐसे प्रावधानों का समावेश किया गया जिससे प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए कुछ प्रस्ताव कमजोर हो गए। ये कुछ हद तक अमेरिकी कानून की तर्ज पर था।
क्या कहता है विधेयक
प्रस्तावित कानून का प्राथमिक उद्देश्य डेटा के उपयोग के संबंध में यूजर के अधिकारों को स्थापित करना है। इस क्रम में डेटा एकत्र करने और प्रोसेस करने वाली कंपनी या सरकारी एजेंसी के दायित्वों को निर्धारित किया गया है।
- विधेयक के अनुसार, सरकार का लक्ष्य इंटरनेट कंपनियों, मोबाइल ऐप और व्यावसायिक घरानों जैसी संस्थाओं को गोपनीयता के अधिकार के हिस्से के रूप में नागरिकों के डेटा के संग्रह, भंडारण और प्रोसेसिंग के बारे में अधिक जवाबदेह बनाना है।
लोगों की निजी सुरक्षा
प्रस्तावित कानून कुछ हद तकलोगों के निजी डेटा की सुरक्षा करता है। मिसाल के तौर पर सोशल मीडिया से डेटा स्क्रैप करने वाली कंपनियां केवल वही डेटा ले सकती हैं जो यूजर द्वारा स्वयं पोस्ट किया गया हो। अगर डेटा किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा पोस्ट किया गया है, तो कंपनियों को इस डेटा को स्क्रैप करने के लिए अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता होगी।
ये बिल व्यक्तिगत यूजर डेटा के भंडारण और प्रोसेसिंग को भी प्रतिबंधित करता है, जिसके लिए यूजर ने स्पष्ट रूप से सहमति दी है। यूजर की सहमति लेने की प्रक्रिया को भी काफी जटिल बना दिया गया है।
- विधेयक के अनुसार डेटा एकत्र करने वाले व्यक्ति को "स्पष्ट और सरल भाषा में" एक नोटिस भी देना होगा जिसमें मांगे गए व्यक्तिगत डेटा का प्रकार और उद्देश्य शामिल हो। हालाँकि, कुछ मामलों में यह माना जाएगा कि किसी व्यक्ति ने व्यक्तिगत डेटा के लिए अपनी सहमति दे दी है। इनमें चिकित्सा आपात स्थिति के मामलों में, किसी महामारी के दौरान किसी व्यक्ति को चिकित्सा उपचार प्रदान करने के लिए, और आपदा के दौरान या सार्वजनिक व्यवस्था के टूटने के दौरान व्यक्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसी भी कानून के तहत जारी किए गए किसी भी निर्णय या आदेश का अनुपालन शामिल है।
चिंताएं भी हैं
- ये विधेयक कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अदालतों को कुछ प्रमुख छूट प्रदान करता है।
- चिंता ये भी है कि यह विधेयक सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों को कमजोर करता है क्योंकि यह सरकारी विभागों को सार्वजनिक कार्यालय धारकों की व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से प्रतिबंधित करेगा।
- चिंता ये भी है कि यह बिल निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है क्योंकि प्रस्तावित कानून के जरिए सरकार लोगों को नजर रख सकती है।