Digital Rape: डिजिटल रेप के साथ पॉक्सो एक्ट लगा तो बहुत कड़ी सजा का है प्रावधान
Digital Rape Case: डिजिटल रेप को निर्भया कांड के बाद बलात्कार की श्रेणी में रखा गया है। डिजिटल रेप में दो शब्द इस्तेमाल हुए हैं डिजिटल और रेप।
Digital Rape Case: ग्रेटर नोएडा के प्ले स्कूल में एक अधिकारी की तीन साल की बेटी (3 year old girl) के साथ डिजिटल रेप का मामला बिसरेख कोतवाली पुलिस ने दर्ज किया है। मामले की रिपोर्ट बच्ची के पिता ने दर्ज करायी है। घटना स्कूल परिसर के भीतर हुई है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है। आपको बता दें कि लोगों में कानूनी जानकारी का अभाव होने के कारण अधिकांश लोग डिजिटल रेप (Digital Rape) का मतलब नहीं जानते हैं लोग इसे इंटरनेट या मोबाइल फोन से किया जाने वाला अपराध समझते हैं। इसके अलावा जानकारी न होने की वजह से ही लोग इस तरह के अपराधों की प्राथमिकी संकोचवश दर्ज नहीं कराते हैं जबकि डिजिटल रेप उतना ही संगीन माना जाता है जितना किसी दूसरी तरह का रेप। और इसमें सजा भी उतनी ही कठोर दी जाती है जितना रेप के अपराधी को।
दरअसल आम बोलचाल की भाषा में किसी बालिग नाबालिग लड़की, महिला से प्रलोभन देकर, धमका कर, हथियार के जोर पर, मारपीटकर संबंध बनाना बलात्कार माना जाता है। जब किसी लड़की या महिला से एक से अधिक लोग संबंध बनाते हैं तो उसे सामूहिक दुष्कर्म या बलात्कार कहा जाता है। मैरिटल रेप में अपने देश में कोई सजा नहीं है।
वैसे बलात्कार किसी भी महिला के जीवन की सबसे बुरी घटना होती है जो उसे शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़कर रख देती है। बच्चों से किया गया ये अपराध उनके पूरे जीवन पर एक गंभीर मनोवैज्ञानिक असर छोड़ता है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि डिजिटल रेप क्या होता है और इसमें कितनी सजा है।
बलात्कार की श्रेणी डिजिटल रेप
डिजिटल रेप को निर्भया कांड के बाद बलात्कार की श्रेणी में रखा गया है। डिजिटल रेप में दो शब्द इस्तेमाल हुए हैं डिजिटल और रेप। रेप का अर्थ का अर्थ तो हम सब जानते हैं लेकिन डिजिटल का यहां आनलाइन मीडिया, इंटरनेट या मोबाइल से नहीं है। यहां डिजिटल का अर्थ डिजिट से है। साधारणतः डिजिट का अर्थ अंकों से लगाया जाता है। लेकिन डिजिट का एक और अर्थ होता है, हाथ की उंगली, पैर की उंगली और अंगूठा। इस प्रकार शरीर के इन अंगों द्वारा यदि किसी बच्ची, किशोरी, युवती या महिला का यौन उत्पीड़न होता है तो यह मामला डिजिटल रेप कहलाता है। इसमें लिंग का योनी में प्रवेश नहीं होता लेकिन हाथ पैर की उंगलियों से बलपूर्वक या जबरन प्रवेश कराया जाता है तो यह बलात्कार ही माना जाता है।
परिभाषा के मुताबिक
1. किसी भी महिला की मर्जी के बगैर उसके शरीर में अपने शरीर का कोई भी अंग डालना रेप है।
2. उसके प्राइवेट पार्ट को पेनेट्रेशन के उद्देश्य से नुकसान से पहुंचाना भी रेप है।
3. इसमें ओरल सेक्स को भी रेप की कैटेगरी में रखा गया।
यदि किसी आरोपित पर डिजिटल रेप का आरोप सिद्ध होता है तो उसे पॉक्सो एक्ट की धारा 3 के अंतर्गत न्यूनतम 7 वर्ष के कारावास का प्रावधान है और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा भी दी जा सकती है।