क्या है सश्रम कारावास: क्यों सिद्धू को सुनाई एक साल की सजा, जानिए पूरी जानकारी यहां

सिद्धू को एक साल सश्रम यानि 'कठोर कारावास' की सजा सुनाई है। पाठकों को हम बता रहे हैं, कि आखिर नवजोत सिद्धू को अदालत ने जो कठोर कारावास की सजा सुनाई है, उसका मतलब क्या है?

Written By :  Krishna Chaudhary
Published By :  aman
Update: 2022-05-19 15:03 GMT

नवजोत सिंह सिद्धू (photo : सोशल मीडिया ) 

Rigorous Imprisonment Navjot Singh Sidhu Case : पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रमुख और टीम इंडिया के दिग्गज क्रिकेटर रहे नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने जोर का झटका दिया। शीर्ष अदालत ने 34 साल पुराने रोडरेज मामले में उन्हें एक साल 'सश्रम कारावास' की सजा सुनाई है। दरअसल, नवजोत सिद्धू ने साल 1988 में पार्किंग विवाद में एक बुजुर्ग के साथ मारपीट की थी। गंभीर रूप से घायल बुजुर्ग की अस्पताल में बाद में मौत हो गई थी। 

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस ए.एम.खानविलकर और जस्टिस एस.के. कौल की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। पीठ ने पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिद्धू को दी गई सजा मामले पर पीड़ित परिवार की तरफ से दायर पुनर्विचार याचिका को स्वीकार कर लिया था। बहुतेरे ही ऐसे मामले देखने को मिलते हैं, जब रिव्यु पिटीशन में सुप्रीम कोर्ट अपने ही फैसले को पलटती दिखती है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सजा सुनाए जाने पर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि, 'वो कानून का पालन करेंगे।' 

सिद्धू को 'सश्रम कारावास 

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए नवजोत सिद्धू को एक साल सश्रम यानि 'कठोर कारावास' की सजा सुनाई है। ऐसे में पाठकों को हम बताते हैं, कि आखिर नवजोत सिद्धू को अदालत ने जो सश्रम यानि कठोर कारावास की सजा सुनाई है, उसका मतलब क्या है ?

क्या होता है 'सश्रम' या कठोर कारावास?

सश्रम यानी कठोर कारावास का मतलब है, कि किसी मामले में दोषी पाए गए व्यक्ति को कारावास की सजा के दौरान कठिन परिश्रम वाला काम करवाया जाता है। सश्रम कारावास पाए लोगों से जेल प्रबंधन कठोर परिश्रम करवाता है। उन्हें मुश्किल से मुश्किल काम दिया जाता है। जिसे तय समय में कैदी को पूरा करना होता है। उस काम के लिए उस कैदी को जेल प्रबंधन द्वारा मेहनताना भी रोज के हिसाब से दिया जाता है।

ये भी जानें 

आईपीसी 1860 की धारा 73 के अनुसार, अदालत द्वारा किसी अपराधी को कठोर कारावास की सजा दी जाती है। यदि किसी मुजरिम को एक वर्ष की सश्रम कारावास की सजा दी गई है तो जेल प्रशासन उसे दो माह से अधिक समय तक एकान्त कारावास में नहीं रख सकता। एकान्त कारावास पूरा करने के बाद कैदी को शेष सजा कड़ी श्रम के साथ पूरा करना होता है। उस दौरान जेल प्रशासन द्वारा दिया गया काम कैदी को निर्धारित अवधि में पूरा करना होता है। यह प्रक्रिया सजा पूरी होने तक चलती है। सजा पूरी होने के बाद दोषी को रिहा कर दिया जाता है। 

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