नई दिल्ली : केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने सोमवार को यहां आईपी भवन में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री का पदभार संभाल लिया। पिछले गुरुवार को केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिल माधव दवे का आकस्मिक निधन हो गया था। हर्षवर्धन ने आईपी भवन परिसर में दिवंगत अनिल माधव दवे की याद में एक पौधा लगाकर अपने कार्य की शुरुआत की।
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पदभार ग्रहण करते हुए उन्होंने कहा कि वे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन का मंत्री पद पाकर अनुग्रहीत हैं। उन्होंने दिवंगत अनिल माधव दवे को याद करते हुए कहा, "वह नदी संरक्षण तथा पर्यावरण के प्रति समर्पित थे। दवे पर्यावरण का संरक्षण बच्चों के लिए करना चाहते थे। इसमें बच्चों के प्रति उनका स्नेह दिखाई पड़ता है। दवे जी ने देश की नदियों, वनों तथा पारितंत्र के संरक्षण के लिए लगातार प्रयास किए। पर्यावरण के प्रति उनका यह समर्पण उन्हें एक महान पर्यावरणविद बनाता है।"
हर्षवर्धन ने कहा कि अनिल माधव दवे कहा करते थे, 'यदि मैं कर सकता हूं तो हम सभी कर सकते हैं।' मंत्री ने जोर देते हुए कहा, "मंत्रालय, दिवंगत श्री दवे की अंतिम इच्छा - पौधे लगाने, पेड़ों को पोषित व संरक्षित करने तथा नदियों व तालाबों की सफाई व रखरखाव- को सदैव याद रखेगा।"
हर्षवर्धन ने मंत्रालय के सचिव व अन्य अधिकारियों के साथ प्रमुख विषयों पर विचार-विमर्श किया। पिछले तीन वर्षो में मंत्रालय द्वारा किए गए कार्यों की प्रगति तथा प्रमुख कार्य योजनाओं की समीक्षा की गई।
उन्होंने माना कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन के मामले में कई जटिल समस्याएं हैं, जिसके लिए समन्वित व ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की चिंताओं को विकास की नीतियों और कार्यक्रमों से जोड़ा जाए, ताकि भारत के सतत विकास और प्रगति हेतु दोनों में संतुलन स्थापित किया जा सके। इसके लिए यह आवश्यक है कि मंत्रालय आधुनिक तकनीक को अंगीकृत कर मंजूरी देने की प्रक्रिया में तेजी लाए तथा नीतिगत प्रयासों को विकसित करे, ताकि पारदर्शिता, जवाबदेही तथा समय पर कार्य-निष्पादन में तेजी आ सके।
मंत्री ने जलवायु परिवर्तन, जैव-विविधता संरक्षण, प्रदूषण की रोकथाम, चार 'आर' (रिड्यूस, रिकवर, रियूज, रिसाइकल) की अवधारणा के अंतर्गत अपशिष्ट प्रबंधन, जैव-पर्यटन, वानिकी तथा राज्यों को सीएएमपीए कोष प्रदान किए जाने पर विशेष ध्यान देने की बात कही।
उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कहा कि जल तथा वायु प्रदूषण पूरे देश के लिए विशेषकर दिल्ली तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र हेतु चिंता का विषय है। मंत्रालय प्राथमिकता के साथ इस समस्या के निदान का प्रयास करेगा। उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन तथा पेरिस समझौते हेतु भारत की प्रतिबद्धता मंत्रालय के समक्ष अन्य चुनौतियां हैं।
इससे पहले, उन्होंने पूरे कार्यालय भवन का निरीक्षण किया। यह भवन अपनी वार्षिक आवश्यकता के अनुरूप बिजली का उत्पादन कर लेता है।