सावधान दुश्मन देश! भारत की ये मिसाइल कर देगी चूर-चूर, हुआ सफल परीक्षण

पहली मिसाइल का प्रक्षेपण ओडिशा के एक लैंड बेस्ड मोबाइल लांचर से हुआ था, जिसमें अधिकांश उपकरण स्वदेशी थे। इसमें मिसाइल एयर फ्रेम, फ्यूल मैनेजमेंट सिस्टम को डीआरडीओ ने डिजाइन किया था।

Update: 2019-12-17 14:14 GMT

नई दिल्ली: भारत सैन्य शक्ति को बढ़ाते हुए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के चांदीपुर से दो ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का मंगलवार को सफल परीक्षण किया। रक्षा सूत्रों ने बताया कि ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों को जमीन और हवाई प्लेटफार्मों से सफलतापूर्वक लांच किया गया। पहली मिसाइल का प्रक्षेपण ओडिशा के एक लैंड बेस्ड मोबाइल लांचर से हुआ था, जिसमें अधिकांश उपकरण स्वदेशी थे। इसमें मिसाइल एयर फ्रेम, फ्यूल मैनेजमेंट सिस्टम को डीआरडीओ ने डिजाइन किया था।

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मिसाइल को मोबाइल ऑटोनॉमस लांचर से किया गया लांच

पहले जमीन पर मार करने में सक्षम इस मिसाइल को मोबाइल ऑटोनॉमस लांचर से सुबह करीब साढ़े आठ बजे चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज में लांच कॉम्प्लेक्स-3 से परीक्षण किया गया। मिसाइल का दूसरा प्रक्षेपण भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा एसयू -30 एमकेआई मंच से एक समुद्री लक्ष्य के खिलाफ किया गया।

डीआरडीओ के एक सूत्र ने बताया कि सतह से सतह पर मार करने में सक्षम मिसाइल का परीक्षण सफल रहा। परीक्षण सभी मापदंडों पर खरा रहा। ब्रह्मोस मिसाइल मध्यम दूरी तक मार करने वाली रामजेट सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसे पनडुब्बी, जहाज, लड़ाकू विमान अथवा जमीन से लांच किया जा सकता है।

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सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है ये

वर्तमान में चीन और पाकिस्तान के पास अभी तक ऐसी मिसाइल नहीं है जिसे जमीन, समुद्र और आसमान तीनों जगहों से दागा जा सके। वर्तमान में भारत और रूस इस मिसाइल की मारक दूरी बढ़ाने के साथ इसे हाइपरसोनिक गति पर उड़ाने पर भी काम कर रहे हैं। ब्रह्मोस कम दूरी की रैमजेट इंजन युक्त, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।

इस मिसाइल को दिन अथवा रात तथा हर मौसम में दागा जा सकता है। इस मिसाइल की मारक क्षमता अचूक होती है। रैमजेट इंजन की मदद से मिसाइल की क्षमता तीन गुना तक बढ़ाई जा सकती है। अगर किसी मिसाइल की क्षमता 100 किमी दूरी तक है तो उसे रैमजेट इंजन की मदद से 320 किमी तक किया जा सकता है।

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रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित

रूस की एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया और भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने संयुक्त रूप से इसका विकास किया है। यह रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस मिसाइल का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है।

इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की गति ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना अधिक है। ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल ध्वनि के वेग से करीब तीन गुना अधिक 2.8 मैक गति से लक्ष्य पर प्रहार करती है। इसके दागे जाने के बाद दुश्मन को संभलने का मौका भी नहीं मिलता है।

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