कोरोना वायरस: गाड़ी में बैठे-बैठे हो जाएगा टेस्ट, यहां जानें पूरी डिटेल्स

कोरोना महामारी अब भारत में पूरी तरह फैल चुकी है।  इससे बचने के लिए वैज्ञानिक तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। देश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। इसी बीच इससे बचने के लिए देश में पहला ड्राइव थ्रू टेस्ट टेस्टिंग सेंटर का इजाद किया गया हैं। इसके तरह कोरोना संक्रमित व्यक्ति का राह चलते टेस्ट होगा।

Update: 2020-04-07 05:24 GMT

नई दिल्ली कोरोना महामारी अब भारत में पूरी तरह फैल चुकी है। इससे बचने के लिए वैज्ञानिक तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। देश में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन है। इसी बीच इससे बचने के लिए देश में पहला ड्राइव थ्रू टेस्ट टेस्टिंग सेंटर का इजाद किया गया हैं। इसके तरह कोरोना संक्रमित व्यक्ति का राह चलते टेस्ट होगा। हाल में सरकार ने देश के चुनिंदा लैब को कोविड-19 के टेस्ट की अनुमति दी है। इसके तहत दिल्ली के डॉ. डैंग लैब टेस्टिंग सेंटर ने ड्राइव थ्रू टेस्ट की अनुमती दी है।

 

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ऐसे टेस्ट होता है

फिलहाल ये टेस्ट दिल्ली के पंजाबी बाग एरिया में ये टेस्ट शुरू किया गया है। इसमें राह चलते मरीजों का सैंपल कलेक्ट करती है। मरीज अपनी गाड़ी में बैठे-बैठे सैंपल दे सकते हैं। सैंपल लेने का यह एडवांस तरीका इस संक्रमण से मरीजों को बचाने और लैब जांच में लगे टेक्नीशियन को भी सुरक्षित रखने का तरीका है।

वेस्ट पंजाबी बाग के सेंट्रल मार्केट स्थित लैब पर यह सैंपल क्लेक्शन किया जा रहा है। एडवांस में 20 मिनट के लिए यह बुकिंग होती है, जिसमें पूरा प्रोसीजर साइन लैंग्वेंज में समझाया जाता है और सिर्फ दो से तीन मिनट में सैंपल ले लिया जाता है।

ऑनलाइन बुकिंग

डैंग लैब के सीईओ डॉ. अर्जुन डैंग ने बताया कि मरीज को जांच कराने के लिए सबसे पहले लैब की वेबसाइट पर जाना होगा। वहां पर सरकारी मान्यता प्राप्त आईडी, जांच के लिए डॉक्टर का लिखा हुआ प्रिसक्रिप्शन अपलोड करना होता है। इसके बाद हमारी टीम उनसे संपर्क करती है। इसे हमने ड्राइव थ्रू टेस्टिंग का नाम दिया है। इसके लिए सैंपल क्लेक्शन का सेंटर पंजाबी बाग में है। यहां पर मरीज को एडवांस में बुकिंग लेनी होती है। हालांकि इसमें थोड़ी कमियां हैं। संक्रमण होने के पांच से छह दिन में हो सकता है कि निगेटिव रिपोर्ट आए। मगर, बड़े स्तर पर जांच के लिए यह जरूरी है, ताकि पॉजिटिव मरीज की पहचान की जा सके।

 

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साइन लैंग्वेज पहचान

मरीज किस समय आएगा, उसका टाइम दिया जाता है। एक मरीज को 20 मिनट का समय दिया जाता है। मरीज को उसी समय पर आना होता है और उन्हें यह पहले बाताना होता है कि किस गाड़ी से आ रहे हैं, गाड़ी का नंबर क्या है? डॉ. अर्जुन ने बताया कि यह पूरा प्रोसीजर साइनेज के जरिए दर्शाया गया है, गाड़ी नंबर मिलते ही मरीज को एंट्री दी जाती है। मरीज जब सैंपल क्लेक्शन के पास पहुंचता है तो वहां पर टेक्नीशियन उनसे साइन लैंग्वेज में ही बात करते हैं। इधर कोरोना मरीजों की बढ़ती तदाद को देखते हुए लॉकडाउन को बढ़ाने की मांग की जा रही है।

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