Dumka-Delhi Girl Incident: क्या 'वहशी आशिकों' के खिलाफ सरकारें पेश करेंगी 'नजीर', जैसे इन राज्यों ने दिखाई हिम्मत
Crime Against Teenage Girls: दोनों मामलों को गौर से देखें तो एक जैसा ही प्रतीत होता है। इसलिए अब लोगों के मन में एक प्रश्न उठने लगा है कि सियासत करने वाले इसे अंजाम तक पहुंचाएंगे।
Crime Against Teenage Girls in India : झारखंड (Jharkhand) का दुमका जिला हो या राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi)। एकतरफा प्यार में सिरफिरे आशिकों ने देश की बेटियों के साथ जो किया वह सभ्य समाज के लिए कतई बर्दाश्त लायक नहीं है। दिल दहलाने वाली इन वारदातों को जिस बेरहमी से अंजाम दिया गया, उससे कोई भी सिहर जाएगा। दुमका की अंकिता को जहां पेट्रोल छिड़क आग के हवाले कर दिया गया, वहीं दिल्ली के संगम विहार में 9वीं में पढ़ने वाली बेटी को एकतरफा प्यार में पागल एक शख्स ने उस वक्त गोली मार दी, जब वो स्कूल से लौट रही थी।
अब ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल उठने लगा है कि, जब इस तरह के मामले भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित राज्यों में होता है तो विपक्ष लामबंद हो जाती है। लेकिन, ये दोनों ही घटनाएं चाहे वो झारखंड की अंकिता हत्याकांड की हो या दिल्ली की बेटी काजल की, ये गैर बीजेपी शासित राज्यों में घटी हैं। इन घटनाओं से देशवासियों में उबाल है। लेकिन, मन में सवाल भी, कि क्या इन आरोपियों को राज्य सरकारें कठोर दंड दिलवाने का प्रयास करेगी, जो आने वाले समय के लिए नजीर बने।
लोगों के मन में उठा रहे कई सवाल
दरअसल, इन दोनों मामलों को गौर से देखें तो एक जैसा ही प्रतीत होता है। दोनों ही मामलों में आरोपी एक ही समुदाय के हैं। इसलिए अब लोगों के मन में एक प्रश्न उठने लगा है कि सियासत करने वाले इसे अंजाम तक पहुंचाएंगे। क्योंकि, इन दोनों राज्यों (झारखंड और दिल्ली) में क्षेत्रीय पार्टियों की सरकारें है। कई ऐसे मौके हुए हैं जब एक खास समुदाय के मुद्दे पर ये या तो चुप्पी साध लेते हैं या उसे दूसरा रूप दे देते हैं।
शिवराज सरकार ने पेश की नजीर
बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश के रीवा के राज निवास में इसी साल एक नाबालिग से गैंगरेप का मामला सामने आया था। इस वारदात का मुख्य आरोपी एक महंत सीताराम था। लेकिन, एमपी की शिवराज सिंह और उनकी पुलिस ने उस महंत की सारी हेकड़ी निकाल दी थी। पुलिस ने उस रसूखदार महंत को गिरफ्तार तो किया ही उसके पुश्तैनी मकान को बुलडोजर से जमींदोज भी कर दिया। इतना ही नहीं, एमपी पुलिस ने सिविल लाइन थाना से लेकर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट तक जुलूस निकाला। साथ ही, गैंगरेप में शामिल सभी आरोपियों की संपत्ति खंगाली गई ताकि उसे भी जमींदोज किया जा सके। ऐसा कर एक तरफ जहां शिवराज सिंह सरकार ने एक नजीर पेश की, वहीं उन लोगों का भी मुंह बंद किया जिन्हें ये लगता था कि शायद हिन्दू महंत के ऊपर सरकार कोई कार्रवाई न करे।
क्या दिल्ली दिल्ली सरकार स्पीडी ट्रायल के लिए देगी आवेदन?
क्या झारखंड और दिल्ली की सरकारें पेश करेंगी 'नजीर'? जैसे बीजेपी शासित राज्य ने पेश किया था उदाहरणहालिया दोनों मामले भी (दिल्ली और झारखंड वाले) भी कम खतरनाक नहीं हैं। अब लोगों के मन में ये सवाल उठने लगा है कि, क्या इन दोनों राज्यों की सरकारें भी कोई सख्त कदम उठाएगी क्या? हालांकि, अंकिता हत्याकांड में हेमंत सोरेन सरकार दबाव में दिखी। इसकी कई वजहें भी थी। हेमंत सोरेन सरकार अभी खुद ही दबाव में चल रही है। ऊपर से बीजेपी का हमलावर रुख। इस सब पर देशवासियों को आरोपी शाहरुख की हंसी ने और उकसा गई। ऐसे में अब नजर दिल्ली की केजरीवाल सरकार की तरफ है कि क्या वो भी स्पीडी ट्रायल जैसा कोई कदम उठाएगी, ताकि काजल के आरोपी को अंजाम तक पहुंचाया जा सके।