उत्तरकाशी: साल 2017 में भूकंप के तीन झटकों के बाद से बड़े पैमाने पर भूगर्भीय गतिविधि की सक्रियता और भारतीय टेक्टानिक प्लेट की सीमा पर इस क्षेत्र के स्थित होने से यहां भूकंप का खतरा बढ़ गया है। बता दें, कि सोमवार की सुबह उत्तरकाशी जिले में 3.2 क्षमता का भूकंप का झटका महसूस किया गया था। इससे किसी तरह की हानि की सूचना नहीं है। हाल ही में क्षेत्र में आय़े झटकों में यह सबसे ताजा है।
इस झटके के आने के बाद से लोगों में भविष्य में शक्तिशाली झटकों के आने का डर बढ़ गया है। भारतीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने गत वर्ष यह महसूस किया था कि उत्तराखंड में 7 या उससे अधिक क्षमता के भूकंप के आने का खतरा बना हुआ है। यह पहाड़ी राज्य हिमालयन फ्रंट के उस सेंट्रल सेसमिक गैप के हिस्से पर स्थित है जहां पिछले 200 से 600 साल में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है।
भूकंपीय गतिविधियां भूस्खलनों का कारण
साल 1991 में क्षेत्र को हिलाने वाले भूकंप से भी बड़े भूकंप का झटका यहां आने की बहुत अधिक संभावना बनी हुई है। तब 6.6 क्षमता के कम तीव्रता के भूकंप ने गढ़वाल में भारी तबाही मचायी थी। देहरादून और अल्मोड़ा जैसे शहर इससे प्रभावित हुए थे। तब से लेकर अब तक क्षेत्र में 58 भूकंप के झटके आ चुके हैं और आधिकारिक रूप से 769 लोगों की मौत हो चुकी है। भूकंपीय गतिविधियां यहां भूस्खलनों का कारण बन रही हैं।
विशेषज्ञों ने चेतावनी दोहराई
विशेषज्ञों ने चेतावनी दोहराई है कि यदि सरकार ने इस क्षेत्र में हो रहे अंधाधुंध निर्माण और हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स को नहीं रोका तो नतीज भयावह होंगे। गौरतलब है, कि 2013 में उत्तराखंड व हिमाचल में आए सैलाब में चार लोगों की जान गई थी।