जानिए कहां ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में जब्त किए चिंपैंजी और अमेरिकी बंदर?
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल के एक वन्यजीव तस्कर के खिलाफ धनशोधन मामले में जांच के तहत तीन चिम्पांजी और चार मारमोसेट (दक्षिण अमेरिकी बंदर) जब्त किए हैं।
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल के एक वन्यजीव तस्कर के खिलाफ धनशोधन मामले में जांच के तहत तीन चिम्पांजी और चार मारमोसेट (दक्षिण अमेरिकी बंदर) जब्त किए हैं।
धनशोधन के गंभीर मामलों की जांच करने वाली केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के तहत अपनी तरह की पहली जब्ती में कोलकाता के चिड़ियाघर के अधिकारियों को जानवरों को रखने का अधिकार दिया गया है क्योंकि तस्कर उन्हें बाहर भेजने का प्रयास कर रहा था।
प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से की गई जब्ती में इसके मालिकों की संपत्ति उसकी पहुंच से दूर रहेगी और पीएमएलए के अर्द्ध न्यायिक निकाय एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी द्वारा 180 दिनों के अंदर जब्ती को मंजूरी देने के बाद एजेंसी इसे फिर से जब्त कर सकती है।
प्रत्येक चिंपैंजी की कीमत 25,00,000 और अमेरिकी बंदरों की कीमत 1,50,000 आंकी गई है। इस तरह 81,00,000 की कीमत के जब्ती का आदेश जारी किया गया है।
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सिटी कोर्ट में दाखिल हुआ था मुकदमा
कोलकाता पुलिस ने सुप्रदीप गुहा नामक तस्कर पर कार्रवाई करते हुए सिटी कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था। आरोप था कि सुप्रदीप के पास प्रतिबंधित जंगली जानवर हैं और वह उनकी तस्करी कर रहा है।
वन एवं वन्य जीव विभाग ने भी पुलिस के पास सुप्रदीप के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसने फर्जी दस्तावेज के जरिये प्रतिबंधित पक्षियों की तस्करी करने की कोशिश की। ये सभी दस्तावेज वाइल्ड लाइफ की तरफ से जारी दिखाए गए थे।
जांच में पता चला कि सुप्रदीप एक शातिर तस्कर है, जो फर्जी दस्तावेज के जरिये जानवरों की तस्करी कर रहा था और इन्हीं दस्तावेज के जरिये कस्टम विभाग और वन एवं वन्य जीव विभाग को धोखा देने की कोशिश कर रहा था।
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प्रवर्तन निदेशालय ने दर्ज किया मुकदमा
सुप्रदीप ने कस्टम विभाग और वन एवं वन्य जीव विभाग को भी बरगलाने के लिए अलग-अलग जानकारी दी। इतना ही नहीं, जब्त किए गए इन तीनों चिंपैंजी को भारत में ही पैदा हुआ दिखाया और इनके फर्जी दस्तावेज भी दिखाए।
मामला विदेश में मनी लांड्रिंग का होने की वजह से ईडी ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज किया और इसके बाद कार्रवाई कर तीन चिंपैंजी और चार बंदरों को अटैच किया।
भारत में बैन ये जानवर
ईडी ने यह कार्रवाई पश्चिम बंगाल सरकार के वन्यजीव विभाग से प्राप्त जानकारी के आधार पर की है। कोलकाता के सुप्रदीप गुहा के खिलाफ भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत केस दर्ज हुआ था।
बंगाल सरकार के वन्यजीव विभाग ने इस अधिनियम की धारा 9, 39, 44, 48, 49 और 51 के तहत सुप्रदीप गुहा के खिलाफ एक स्थानीय अदालत में मामला दर्ज कराया था. सुप्रदीप पर ऐसे वन्यजीव रखने का आरोप है जिनको भारत में रखने पर प्रतिबंध है।
इसके अलावा, वन्यजीव विभाग की शिकायत पर बंगाल पुलिस ने भी सुप्रदीप के खिलाफ फर्जीवाड़ा करके वन्य जीवों की तस्करी का दर्ज किया था। सुप्रदीप ने फर्जीवाड़ा करके अवैध अनुमति पत्र हासिल कर लिया था और वन्य जीवों की सप्लाई करता था।
इन्होने तीनों चिंपैंजी के भारत में पैदा होने का फर्जी प्रमाणपत्र बनवा लिया था. इन तथ्यों का खुलासा होने के बाद तीनों चिंपैंजी को जब्त कर लिया गया है।”
बनाए गए फर्जी दस्तावेज
तीनों चिंपैंजी और चार अमेरिकी बंदरों को फिलहाल कोलकाता के अलीपुर जियोलॉजिकल गार्डेन में रखा गया है। इसके पहले जू अथॉरिटी ने भी ईडी से अपील की थी कि कार्रवाई करके इन वन्य जीवों को बरामद किया जाए।
सुप्रदीप ने फर्जी दस्तावेजों और बयानों के जरिये इन वन्यजीवों को वापस पाने की भी कोशिश की, लेकिन ईडी ने उसकी कोशिशों को नाकाम कर दिया।
ईडी का कहना है कि इस कार्रवाई के बाद अब ये वन्यजीव जू अथॉरिटी के पास रहेंगे। तीनों चिंपैंजी जू आने वाले दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। ईडी की इस कार्रवाई से वन्यजीव तस्करों पर लगाम लगेगी।
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