Karnataka:चुनावी वादों ने बढ़ाईं कांग्रेस की मुश्किलें,खजाना खाली होने से विकास के लिए पैसा नहीं,पार्टी विधायकों में रार

Karnataka Politics: राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि राज्य सरकार के पास नई विकास योजनाओं के लिए पैसा नहीं है क्योंकि सरकार ने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए धन अलग रखा है।

Update:2023-07-28 12:02 IST
Karnataka Politics (photo: social media )

Karnataka Politics: कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस की ओर से किए गए चुनावी वादों में सिद्धारमैया सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। राज्य के पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी की ओर से पांच बड़े चुनावी वादे किए गए थे और राज्य के बजट पर इन चुनावी वादों को पूरा करने का काफी असर दिख रहा है। राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि राज्य सरकार के पास नई विकास योजनाओं के लिए पैसा नहीं है क्योंकि सरकार ने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए धन अलग रखा है।

खजाना खाली होने के कारण विकास का काम न होने से विधायकों में भी नाराजगी पैदा हो गई है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के 11 विधायकों ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विकास कार्यो के लिए पैसा न मिलने की शिकायत दर्ज कराई है। उनका कहना है कि विकास कार्यों के लिए मंत्रियों को पत्र लिखने के बावजूद उनका कोई जवाब नहीं मिल रहा है। इस बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने पार्टी के सभी विधायकों को धैर्य रखने की सलाह दी है।

कांग्रेस की जीत में चुनावी वादों की बड़ी भूमिका

कर्नाटक में पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल करते हुए भाजपा को बैकफुट पर धकेल दिया था। कांग्रेस ने 135 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि भाजपा 66 सीटों पर सिमट गई थी। कांग्रेस की इस जीत में पार्टी की ओर से किए गए चुनावी वादों की बड़ी भूमिका मानी गई थी।

अब इन चुनावी वादों को पूरा करना कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के लिए काफी भारी साबित हो रहा है। चुनावी वादों को पूरा करने में राज्य पर काफी ज्यादा वित्तीय बोझ पड़ रहा है और विकास के काम प्रभावित होने लगे हैं।

राज्य में विकास योजनाओं के लिए पैसा नहीं

राज्य के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का कहना है कि कांग्रेस सरकार इस साल विकास के ज्यादा काम नहीं कर सकती क्योंकि राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता पार्टी की ओर से किए गए पांच चुनावी वादों को पूरा करना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास नई विकास योजनाओं के लिए पैसा नहीं है।

हालांकि उन्होंने पार्टी के 11 विधायकों की ओर से मुख्यमंत्री को भेजे गए शिकायती पत्र को फर्जी बताया। उन्होंने कहा कि विधायकों को धैर्य रखना चाहिए और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने बजट भाषण के दौरान भी विधायकों को यही सलाह दी थी। राज्य सरकार के मंत्रियों की ओर से विधायकों को पूरी स्थिति स्पष्ट तौर पर पहले ही बता दी गई है।

अतिरिक्त संसाधन जुटाने का प्रयास

डिप्टी सीएम ने कहा कि जनता से किए गए वादों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को 40,000 करोड़ रुपए अलग रखने होंगे। लिहाजा हमारे पास नई विकास परियोजनाओं के लिए कोई पैसा नहीं है। कई महत्वपूर्ण विभागों को भी धन नहीं आवंटित किया गया है। उन्होंने राज्य की पिछली भाजपा सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि पूर्व सरकार की गलत नीतियों के कारण राज्य पूरी तरीके से दिवालिया हो चुका है। हम नीतियों में सुधार करके राज्य की आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने की कोशिश में जुट गए हैं।

चुनावी वादों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार अतिरिक्त संसाधन जुटाने की कोशिश में जुटी हुई है और ऐसे में विधायकों को अपने-अपने क्षेत्रों में विकास से जुड़े कामों की अभी उम्मीद नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में तो सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा सकती। आगे स्थिति सुधरने पर इस दिशा में कदम उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि विधायकों को पूरी स्थिति से अवगत करा दिया गया है।

विधायकों को समझाने में जुटे सिद्धारमैया

विकास से जुड़े कामों के लिए पैसा न मिलने से विधायकों में नाराजगी पैदा होने की खबर है। विधायकों को संतुष्ट करने के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक भी की। इस बैठक के दौरान कई मंत्रियों और विधायकों ने अपनी बातें रखीं। मुख्यमंत्री ने विधायकों से अनुरोध किया कि वे शिकायतों के संबंध में सीधे उनसे संपर्क करें। उन्होंने कहा कि इन सभी मुद्दों पर पार्टी के फोरम के भीतर ही चर्चा की जानी चाहिए।

बैठक के दौरान विधायकों ने अपने-अपने क्षेत्रों के लिए पैसा न मिलने की शिकायत की और आरोप लगाया कि मंत्रियों की ओर से कोई सहयोग नहीं किया जा रहा है। इस बैठक के दौरान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भाजपा पर राज्य में झूठ फैलाने का आरोप लगाया और पार्टी विधायकों से अनुरोध किया कि उन्हें भाजपा से सतर्क रहना चाहिए। सिद्धारमैया इससे पूर्व भी विधायकों में असंतोष और नाराजगी की खबरों को खारिज कर चुके हैं।

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