Ministry of Power: अब पेट्रोल-डीजल की तरह लगेगा बिजली का करंट, विद्युत मंत्रालय हर माह दरें बदलने की तैयारी में
Union Ministry of Power: आम लोगों को जल्द ही बिजली का करंट लगने वाला है. केंद्र सरकार ने जो मसौदा तैयार किया है, उस के मुताबिक अब पेट्रोल-डीजल की तरह ही बिजली के दाम भी ईंधन की कीमतों के आधार पर तय किए जायेंगे.
Union Ministry of Power: आम लोगों को जल्द ही पेट्रोल डीजल की तरह बिजली का भी करंट लगने वाला है. केंद्र सरकार ने जो मसौदा तैयार किया है उसके मुताबिक अब पेट्रोल-डीजल की तरह ही बिजली के दाम भी ईंधन की कीमतों के आधार पर तय किए जायेंगे. जैसा की अभी तक पेट्रोल डीजल के दाम आए दिन बढ़ते घटते रहते हैं उसी तर्ज पर अब बिजली की दर भी तय होगी. बस इसमें थोड़ा फर्क यह होगा कि वह हर महीने बदलेगा. इसकी वसूली सरकार उपभोक्ताओं से करेगी. विद्युत उत्पादन गृहों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन गैस, तेल, कोयला की कीमतों के आधार पर अब बिजली की दरें तय की जाएंगी. इस नए प्रावधान को अगले साल यानी 2023 से लागू किया जा सकता है.
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 176 के तहत 2005 में पहली बार विनिमय बनाए थे. अब इसमें संशोधन की तैयारी हो रही है. इसके लिए विद्युत संशोधन विनिमय 2022 का मसौदा जारी कर दिया गया है. संसद के मानसून सत्र में इस विधेयक के पारित न हो पाने के कारण सरकार ने विनियमों में संशोधन के जरिए इसके प्रस्ताव को लागू करने की दिशा में अब आगे कदम बढ़ाया है.
12 अगस्त को केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के उपसचिव डी चट्टोपाध्याय की ओर से सभी राज्य सरकारों समेत अन्य संबंधित इकाइयों को मसौदा भेजकर 11 सितंबर तक इसके लिए सुझाव मांगे गए हैं. इस मसौदे के पैरा 14 में प्रावधान है कि वितरण कंपनी द्वारा बिजली खरीद की धनराशि की वसूली के लिए ईंधन की कीमतों के आधार पर हर महीने बिजली दरें तय की जाएंगी और इसकी वसूली उपभोक्ताओं से होगी.
नए विधेयक से बदलेगा पीपीए
विद्युत संशोधन विधेयक 2022 का प्रस्ताव लागू होने के बाद कई और भी बदलाव देखने को मिलेंगे. अभी जो व्यवस्था प्रभावी है उसके अनुसार वितरण कंपनियों उत्पादकों के साथ 25 25 साल का विद्युत क्रय अनुबंध (पीपीए) करती हैं . इनमें ईंधन की लागत बढ़ने पर उसकी वसूली का कोई प्रावधान नहीं है टेंडर की शर्तों में यह शामिल रहता है कि ईंधन की कीमत बढ़ने घटने का आकलन करके उसे समायोजित करते हुए वितरण कंपनियों को बेची जाने वाली बिजली की दर अंकित की जाए.
वहीं सरकार द्वारा लाए गए नए विधेयक पर अब विद्युत कर्मचारी संघ सवाल खड़े कर रहा है. उनका कहना है विद्युत संशोधन विधेयक 2022 के जरिए केंद्र सरकार बिजली वितरण का निजीकरण करना चाहती है. निजी क्षेत्र के जो वितरण लाइसेंसी होंगे उनके हितों को देखते हुए उन्हें कोई दिक्कत ना हो इसमें उसका पूरा ध्यान दिया गया है. इसकी कीमत आम उपभोक्ताओं को चुकानी पड़ेगी.