WPI Inflation: थोक महंगाई दर में आई गिरावट, खाद्य उत्पादों की कीमतों में भी आई कमी

WPI Inflation: महंगाई के मोर्चे से काफी समय बाद सुकून देने वाली खबर आई है। मंगलवार को केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक महंगाई में गिरावट आई है।

Update: 2022-08-16 11:02 GMT

थोक महंगाई दर में आई गिरावट, खाद्य उत्पादों की कीमतों में भी आई कमी: Photo- Social Media

Lucknow: महंगाई के मोर्चे से काफी समय बाद सुकून देने वाली खबर आई है। मंगलवार को केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय (Union Ministry of Commerce) द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधिरत महंगाई में गिरावट आई है। ये जून महीने के 15.18 प्रतिशत से घटकर 13.93 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं बात करें खाद्य महंगाई दर की तो उसमें भी कमी दर्ज की गई है। आंकड़े के मुताबिक, जुलाई में 12.41 प्रतिशत से गिरकर 9.41 प्रतिशत पर आ गई है।

खुदरा महंगाई में भी आई कमी

खाद्य तेल और सब्जियों की कीमतों में आई गिरावट का असर खुदरा महंगाई दर पर पड़ा है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर जुलाई में घटकर 6.70 प्रतिशत हो गई। जून में ये 7.01 प्रतिशत थी।

खाद्य उत्पादों के दाम कम हुए

दाल, गेहूं और दूध की कीमतों में बढ़ोतरी (price hike) के बीच सरकार का दावा है कि जुलाई में खाने-पीने के वस्तुओं के दाम कम हुए हैं। इसकी थोक महंगाई दर जून 14.39 फीसदी से गिरकर 10.77 फीसदी पर आ गई। सब्जियों की थोक महंगाई दर 56.75% से घटकर 18.25 रह गई। अंडे, मीट और मछली की महंगाई दर 7.24 फीसदी से घटकर 5.55 फीसदी रह गई। फैक्ट्री निर्मित उत्पादों की थोक महंगाई दर में भी मामूली गिरावट आई है।

इन चीजों के दाम बढ़े

खाद्य उत्पादों में आलू और प्याज की कीमतें बढ़ी हैं। आलू की महंगाई 39.38 प्रतिशत से बढ़कर 53.50 प्रतिशत हो गई है। प्याज की कीमत भी 31.54% से बढ़कर -25.93 हो गई। इसके अलावा पेट्रोल–डीजल और एलपीजी (Petrol-Diesel and LPG) की थोक महंगाई दर 40.38% से बढ़कर 43.75% हो गई है।

थोक महंगाई का दोहरे अंक में होना ठीक नहीं

थोक महंगाई दर भले पांच महीने के सबसे निचले स्तर पर हो लेकिन ये अब भी दोहरे अंक में है। आर्थिक जानकारों की मानें तो थोक महंगाई दर का लंबे समय तक डबल डिजिट में होना इकोनॉमी की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। अगर थोक मूल्य अधिक समय तक उच्च रहता है, तो प्रोड्यूसर इसे ग्राहकों को पास कर देते हैं। सरकार टैक्स कटौती के जरिए थोक मूल्य सूचकांक (WPI) को नियंत्रण कर सकती है। लेकिन इसकी भी सीमा है, सरकार एक हद से आगे नहीं जा सकती। क्योंकि सरकार को भी अपने कर्मचारियों को सैलरी देना होता है, विकास योजनाओं के लिए पैसे की दरकार होती है। 

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