Ratan Tata Death: अधूरी रह गई रतन टाटा की लव स्टोरी, आखिर क्यों नहीं हो सकी थी दिग्गज उद्योगपति की शादी
Ratan Tata Death: रतन टाटा को समाज सेवा और परोपकार से जुड़े कामों के लिए भी जाना जाता है और वह अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा हमेशा दान करते रहे।
Ratan Tata Death: देश के दिग्गज उद्योगपति और भारत के सबसे बड़े समूह टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा नहीं रहे। 86 वर्षीय रतन टाटा ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में बुधवार की रात अंतिम सांस ली। रतन टाटा के निधन की खबर से पूरा देश शोक में डूब गया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत शीर्ष हस्तियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। टाटा समूह की ओर से बुधवार की देर रात उनके निधन की सूचना देते हुए कहा गया कि उनकी विनम्रता, उदारता और सेवा भावना की उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
कभी अंजाम तक नहीं पहुंच सका प्यार
रतन टाटा ने 1962 में टाटा समूह के साथ अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। टाटा समूह को बुलंदी पर पहुंचाने के लिए उन्होंने काफी मेहनत की थी और इसी का नतीजा था कि इस कंपनी को दुनिया की प्रतिष्ठित और बड़ी कंपनियों में शुमार किया जाता है।
रतन टाटा को समाज सेवा और परोपकार से जुड़े कामों के लिए भी जाना जाता है और वह अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा हमेशा दान करते रहे। यही कारण है कि वे दुनिया के सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में कभी नहीं आ पाए। रतन टाटा जीवन भर अविवाहित रहे। हालांकि उनकी जिंदगी में चार ऐसे मौके आए जब वे रिलेशनशिप को लेकर काफी गंभीर थे मगर उनका विवाह नहीं हो सका।
जब शादी करने का लिया फैसला
रतन टाटा ने एक बार इंटरव्यू में अपने पहले प्यार का खुलासा किया था। प्यार के मामले में वे सबसे ज्यादा सीरियस उस समय हुए थे जब वे अमेरिका में रह रहे थे। बात यहां तक पहुंच गई थी कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया था।
रतन टाटा ने बताया था कि जब वे लॉस एंजलिस में एक आर्किटेक्चर फर्म में काम कर रहे थे, तो उनकी मुलाकात एक लड़की से हुई थी। इस लड़की से रतन टाटा को प्यार हो गया था और उन्होंने शादी करके अपना घर बसाने का फैसला तक कर डाला था मगर शायद रतन टाटा की किस्मत में शादी नहीं थी। उस वक्त अचानक उनकी दादी का तबीयत खराब हो गई और उन्हें भारत वापस लौटने का फैसला करना पड़ा।
भारत-चीन की जंग बन गई रुकावट
रतन टाटा कुछ दिनों बाद वापस उस लड़की से मिलने पहुंचे और उसके परिवार वालों से शादी की बात की तो वे लड़की को भारत भेजने पर सहमत नहीं हुए। दरअसल उन दिनों भारत और चीन के बीच जंग चल रही थी। लड़की के परिवार वालों का कहना था कि भारत की स्थिति ठीक नहीं है। युद्ध का माहौल होने के कारण वे अपनी बेटी को भारत नहीं भेज सकते। फिर रतन टाटा ने उसे वापस न लाने का फैसला किया। बाद में उस लड़की की किसी दूसरी जगह शादी हो गई और रतन टाटा कुंवारे रह गए।
शादी करने के चार मौके आए
रतन टाटा ने अपने इंटरव्यू में इस बात का भी खुलासा किया था कि ऐसा नहीं है कि उन्हें जीवन में सिर्फ एक बार ही प्यार हुआ। उनकी जिंदगी में चार बार ऐसे मौके आए जब वे रिलेशनशिप को लेकर काफी गंभीर हुए। इन सभी मौकों पर उन्होंने शादी करने के बारे में गंभीरता से सोचा मगर किसी न किसी कारण से बात आगे नहीं बढ़ सकी। वे अपनी किसी भी रिलेशनशिप को शादी के अंजाम तक नहीं पहुंच पाए। इसी का नतीजा था कि वे आजीवन कुंवारे ही बने रहे।
रतन टाटा के मुताबिक इसके बाद उन्होंने अपने काम पर फोकस करने का फैसला किया और इसी दिशा में कदम बढ़ाया। रतन टाटा ने एक बार कहा था कि यह अच्छा हुआ कि वे सिंगल ही बने रहे क्योंकि अगर उन्होंने विवाह कर लिया होता तो उनके लिए हालत काफी जटिल हो सकते थे।
पूरी दुनिया के लिए मिसाल थे रतन टाटा
रतन टाटा जीवन भर देश की तरक्की और दूसरों के बारे में ही सोचते रहे। वे भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए किसी मिसाल से कम नहीं थे। अपनी सूझबूझ के दम पर उन्होंने टाटा ग्रुप को काफी बुलंदी पर पहुंचाया और इसी का नतीजा है कि आज टाटा ग्रुप भारत की सबसे ज्यादा कंपनियों वाला ग्रुप माना जाता है।
टाटा ग्रुप इतना विशाल रूप धारण कर चुका है कि यह नमक से लेकर हवाई जहाज तक सबकुछ बनाता है। देश के प्रति रतन टाटा के योगदान को देखते हुए ही उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था।