'हमारे साथ आतंकियों जैसा व्यवहार...', सुप्रीम कोर्ट पहुंचे किसान, याचिका में ये कहा

Farmer Protest: किसानों को पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर रोक दिया गया है। उन्‍हें दिल्ली जाने की इजाजत नहीं दी गई है। इसी कारण किसानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

Written By :  aman
Update: 2024-02-23 16:26 GMT

 प्रतीकात्मक चित्र (Social Media) 

Kisan Andolan News: किसान आंदोलन का मामला शुक्रवार (23 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि, किसानों के आंदोलन के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। अर्जी में ये भी कहा गया है कि, केंद्र सरकार इस मामले में किसानों के प्रदर्शन को रोकने के लिए बल प्रयोग कर रही है। इस वजह से किसान घायल हुए हैं। शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में कहा गया है कि, किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं।

याचिका में किसानों ने क्या कहा?

दरअसल, न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। किसानों ने शीर्ष अदालत को दिए अर्जी में केंद्र और राज्य सरकारों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। किसान यूनियन (Kisan Union) का आरोप है कि उन्‍हें शांतिपूर्ण प्रदर्शन से भी रोका जा रहा है। याचिका में दावा किया गया है कि, कई किसान यूनियनों द्वारा अपनी फसलों के लिए MSP की कानूनी गारंटी और स्वामीनाथन समिति (Swaminathan Committee) की सिफारिशों को लागू करने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन के आह्वान के बाद केंद्र और कुछ राज्यों ने धमकी' दी है। 

चिकित्सा सहायता के अभाव में मौतें हुई 

किसानों ने याचिका में आरोप लगाया कि, 'हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों ने किसानों के खिलाफ आंसू गैस (Tear Gas), रबर की गोलियों (Rubber Bullets) और छर्रों का इस्तेमाल करने जैसे आक्रामक और हिंसक उपाय अपनाए हैं। पुलिसिया कार्रवाई में किसानों को गंभीर चोटें आई हैं। याचिका में ये भी दावा किया गया है कि, चिकित्सा सहायता के अभाव में चोटें बढ़ गईं और मौतें भी हुईं।

आतंकियों जैसा व्यवहार

याचिका में आगे कहा गया, कि 'दिल्ली की सीमाओं पर किलेबंदी ने शत्रुतापूर्ण तथा हिंसक स्थिति पैदा की है। किसानों को विरोध करने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति नहीं दी गई है। शीर्ष अदालत को दी याचिका में ये भी कहा कि, शांतिपूर्ण किसानों को केवल अपने लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों के इस्तेमाल के लिए अपनी ही सरकार द्वारा आतंकवादियों जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ा है।

पीड़ित किसानों और उनके परिवारों को मिले मुआवजा

सुप्रीम कोर्ट में दी गई याचिका में केंद्र, चार राज्यों और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission) को देशभर के किसानों की उचित मांगों पर विचार करने का निर्देश देने की मांग की गई है। साथ ही कहा गया है कि, प्रदर्शनकारी किसानों के साथ उचित और सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करने के निर्देश अदालत सरकार को दे। पिटीशन में पीड़ित किसानों और उनके परिवारों के लिए पर्याप्त मुआवजे की मांग भी की गई है।

प्रदर्शनकारियों को राज्य सरकारों ने जबरन अरेस्ट किया

सिख चैंबर ऑफ कॉमर्स (Sikh Chamber of Commerce) के प्रबंध निदेशक एग्नोस्टोस थियोस की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि, 'याचिकाकर्ता उन किसानों के हित की मांग कर रहे हैं जो शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर अनुचित व्यवहार का सामना कर रहे हैं।' ये भी दावा किया गया है कि, कुछ प्रदर्शनकारियों को विभिन्न राज्य सरकारों ने जबरन अरेस्ट किया। उन्हें हिरासत में लिया गया। साथ ही, केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया खातों को बैन किया। यातायात के मार्ग बदले। सड़कों को अवरुद्ध करने सहित निषेधात्मक उपायों को अनुचित रूप से लागू किया है।'

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