किसान आंदोलनः शुरू हो गया संघ के कुनबे में सरकार का विरोध

दिन प्रतिदिन उग्र होते किसान आंदोलन पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की कड़ी नजर है। ऐसा लग रहा है कि यदि सरकार की ओर से किसानों की मांगों पर सकारात्मक हल नहीं निकाला गया तो संघ से जुड़े आनुषांगिक संगठन खुलकर किसानों के साथ खड़े हो सकते हैं।

Update: 2020-12-07 04:36 GMT
किसान आंदोलनः शुरू हो गया संघ के कुनबे में सरकार का विरोध

दिन प्रतिदिन उग्र होते किसान आंदोलन पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की कड़ी नजर है। ऐसा लग रहा है कि यदि सरकार की ओर से किसानों की मांगों पर सकारात्मक हल नहीं निकाला गया तो संघ से जुड़े आनुषांगिक संगठन खुलकर किसानों के साथ खड़े हो सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो केंद्र सरकार अपने अड़ियल रुख से भारी मुसीबत में पड़ जाएगी।

भारतीय किसान संघ ने तोड़ी चुप्पी

किसान आंदोलन पर संघ से जुड़े भारतीय किसान संघ ने चुप्पी तोड़नी शुरू कर दी है। उसके पदाधिकारी स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि वह सरकारी और निजी क्षेत्र की मंडियों में न्यूपनतम समर्थन मूल्य। (एमएसपी) की गारंटी के पक्ष में है। उनका कहना है कि सरकार को हर हाल में एमएसपी की गारंटी देनी ही होगी।

भारतीय किसान संघ ने तो यह आशंका भी जता दी है कि वर्ष 2017 में मंदसौर की घटना न दोहरा दी जाए, जहां छह किसानों की गोलियों से मौत हुई थी। जिन लोगों ने किसानों को हिंसक आंदोलनों में झोंका वे नेता तो विधायक और मंत्री बन गए, परंतु जो जले-मरे उनके परिवार, आज बर्बादी का दंश झेल रहे हैं।

इतना ही नहीं भारतीय किसान संघ ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए एमएसपी से कम मूल्य पर अनाज की खरीद पर एक आपराधिक कानून बनाने की भी मांग कर दी है।

किसान संघ की मांग

किसान संघ ने यह मांग भी रखी है कि सरकार मौजूदा प्रावधान के बजाय किसानों और निजी खरीदारों के बीच विवाद के मामलों को सुनने के लिए विशेष कृषि अदालतें स्थापित करे। जिसके माध्य म से इस तरह के विवादों को स्थानीय एसडीएम को निर्देशित किया जाना चाहिए।

यह पढ़ें…किसान यात्रा से पहले अखिलेश के घर का इलाका सील, कन्नौज जाने से रोकने की तैयारी

भारतीय किसान संघ के महासचिव बद्री नारायण चौधरी ने तो बहुत साफगोई से कह दिया है, 'इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई किसान अपनी उपज को कहां बेचता है। हमारा उद्देश्यस है कि किसानों को हमेशा फसलों का उचित मूल्य मिलना चाहिए। एमएसपी से नीचे की खरीद पर एक आपराधिक कानून बनाया जाना चाहिए।'

तीनों कृषि बिलों के विरोध में आवाज उठाई थी

बद्री नारायण चौधरी ने कहा कि भारतीय किसान संघ ऐसा पहला संगठन था जिसने तीनों कृषि बिलों के विरोध में आवाज उठाते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू की थी। उन्होंने कहा कि किसान संघ ने देशभर की लगभग 3,000 तहसीलों में विरोध प्रदर्शन किया और किसानों के साथ 20 हजार ग्राम समिति के माध्यिम से कृषि बिलों पर परामर्श किया।

ये भी पढ़ें: किसान आंदोलन: भारत बंद को विपक्ष का समर्थन, सड़कों पर सपा कार्यकर्ता

राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी भी स्पष्ट कहते हैं कि हम आंदोलन पर नजर रख रहे हैं। हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 20 हाजर किसानों के पत्र सौंपे थे। ये कहा था कि कई प्रावधान छोटे किसानों के लिए सही नहीं हैं। हमने अपनी मांग से सरकार को अवगत करा दिया है। सरकार नहीं मानेगी तो आगे का रास्ता चुनेंगे।

रामकृष्ण वाजपेयी

Tags:    

Similar News