किसान आंदोलन को झटका: दो और संगठनों ने खत्म किया धरना, बांधा बोरिया-बिस्तर

किसान यूनियन में आई दरार के बीच आज दो संगठनों के किसान नेताओं ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाक़ात की। जिसके बाद आंदोलन से अलग होने का एलान किया।

Update:2021-01-28 21:35 IST
इस संगठन ने फूंकी किसान आंदोलन में जान, जानिए कैसे काम कर रहा यह अद्भुत आईटी सेल

नई दिल्ली: किसान आंदोलन को दो और संगठनों ने झटका दिया है। गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद किसान यूनियन में आई दरार के बीच आज दो संगठनों के किसान नेताओं ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाक़ात की। जिसके बाद आंदोलन से अलग होने का एलान किया। इन दो संगठनों में भारतीय किसान यूनियन (एकता) और भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) शामिल हैं। ये दोनों किसान संगठनों ने आंदोलन खत्म करने का फैसला लिया है।

ये संगठन हुए किसान आंदोलन से अलगः

दरअसल, दिल्ली में हुई हिंसा के बाद किसान आंदोलन कमजोर हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा में ही फूट पड़ गयी। बीते दिन दो किसान संगठनों ने आंदोलन खत्म कर दिया था जिसके बाद लाखों किसान धरना खत्म कर बॉर्डर से अपने घर रवाना हो गए थे। टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन खत्म होने के बाद अब आज फिर दो और किसान संगठनों के नेताओं ने आंदोलन खत्म करने का एलान कर दिया।

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भारतीय किसान यूनियन (एकता) और भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) ने दिल्ली में नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाक़ात के बाद आंदोलन से अलग होने का एलान किया। बता दें कि इसके पहले अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीएम सिंहने कहा कि वो इस आंदोलन से खुद को अलग कर रहे हैं। वहीं भानू गुट ने भी किसान आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया है।

दिल्ली हिंसा से किसान संगठनों में टकराव

दिल्ली हिंसा की झकझोर देने वाली घटनाओं के बाद न सिर्फ आम किसान यूनियनों से छिटक रहा है बल्कि जिम्मेदारी से बचने के लिए आंदोलन से अलग होने का सिलसिला जारी है। ट्रैक्टर रैली की शुरुआत से पहले ही इस आयोजन से किसान नेताओं का नियंत्रण खत्म हो जाना ही सबसे बड़ी खामी बनकर उभरा है। किसान यूनियनों को भी सोचना चाहिए कि आंदोलन का उद्देश्य क्या था क्या उन्हें हासिल हुआ। क्योंकि इससे न तो कृषि और न ही किसानों का कोई भला हुआ।

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