बजट की बड़ी बातें: सुधारों का ठोस संकेत, सिर्फ विकास पर फोकस
वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि सरकार सार्वजानिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक सरकारी सामान्य बीमा कंपनी में विनिवेश करेगी. इसके अलावा बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 49 फीसदी से बाधा आकार 74 फीसदी की जायेगी.
रामकृष्ण वाजपेयी
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट बोल्ड कहा जाएगा क्योंकि उन क्षेत्रों को छुआ गया है जहाँ तक जाने में सरकारें अभी तक हिचकतीं थीं. ये बजट विकासोन्मुखी कहा जाएगा और इसमें सुधारों के प्रति गंभीर रुख दिखाई देता है. आइये जानते हैं इस बजट की कुछ बड़ी बातें –
सुधारों का ठोस संकेत
वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि सरकार सार्वजानिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक सरकारी सामान्य बीमा कंपनी में विनिवेश करेगी. इसके अलावा बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 49 फीसदी से बाधा आकार 74 फीसदी की जायेगी. साथ ही वित्त मंत्री ने राज्यों से अपने स्वामित्व वाले उपक्रमों में विनिवेश करने की बात कही है.
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हेल्थ पर पहली बार फोकस
कोरोना काल में जिस क्षेत्र सबसे ज्यादा ध्यान मिलना था वो मिल गया है. पहली बार स्वास्थ्य के क्षेत्र पर फोकस किया गया है. हेल्थ के मद में 137 फीसदी ज्यादा आवंटन किया गया है. जहाँ 2020-21 में 94452 करोड़ दिए गए थे वहीं इस बार 223846 करोड़ रुपये रखे गए हैं. इसके अलावा कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ दिए गए हैं. वित्त मंत्री ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर और पैसा दिया जाएगा.
खर्चा बढ़ाया
वित्त मंत्री ने 2021-22 में सरकारी खर्च बढ़ने की बात कही है. जहाँ 2020-21 में 4 लाख 12 कहर करोड़ का खर्चा था वहीं अब इसे 34.46 फीसदी बढ़ा कर 5.54 लाख करोड़ कर दिया है.
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सिर्फ विकास पर फोकस
आमजन के लिए बीता साल बहुत निराशाजनक और दिक्कतों से भरा रहा है लेकिन वित्त मंत्री ने कोई भी पॉपुलिस्ट यानी लोक लुभावन घोषणा नहीं की है. आयकर में न तो स्टैण्डर्ड डिडक्शन बढ़ाया गया है और न स्लैब में बदलाव किया गया है.
बैंकों की मदद
अब जा कर सरकार ने बैंकों के खराब लोन यानी बट्टे खाते की सुधि ली है. इसके लिए अब एक असेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी बनाई जायेगी जो बैंकों के खराब लोन का निपटारा करेगी. इस कदम से बैंकों को फाइनेंस करने में सहूलियत होगी और अंततः आर्थिक हालात सुधारने में मदद मिलेगी.
डेवेलपमेंट फाइनेंस इंस्टिट्यूशन
देश में आईडीबीआई और आईसीआईसीआई का मूल गठन विकास के कहेत्र में पैसा लगाने के संस्थानों के रूप में किया गया था अलेकिन कालांतर में ये दोनों ही बैंक में तब्दील हो गए. अब वित्त मंत्री ने ऐसा संस्थान बनाने की घोषणा की है जो 20 हजार करोड़ की पूंजी से बनेगा. ये संस्थान लम्बे समय वाले प्रोजेक्ट को पैसा देगा. तीन साल में 5 लाख करोड़ पैसा देने का लक्ष्य रखा गया है.
परिसंपत्ति का मुद्रीकरण
सरकार अपनी बेकार पड़ी या पैसा न कमाने वाली संपत्तियों से लाभ उठायेगी. इसके तहत रेलवे, पॉवर ग्रिड कारपोरेशन, नेशनल हाई वे अथॉरिटी, हवाई अड्डे, गोदाम, स्टेडियम आदि का इस्तेमाल पैसा कमाने में किया जाएगा.
चुनावों पर नजर
वित्तमंत्री कि निगाह विधानसभाओं के चुनावों पर भी हैं. इसी लिए इन राज्यों को बड़े प्रोजेक्ट मिले हैं. तमिलनाडु को 3500 किमी हाईवे का 1.03 लाख करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट, केरल को 1100 किमी के 65 हजार करोड़ का अप्रोजेक्ट, बंगाल को 675 किमी के लिए 25 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट और असम को 1300 किमी के लिए 34 हजार करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट दिया गया है।
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