Maharashtra: संजय राउत के खिलाफ FIR दर्ज, पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिनजक लेख लिखने का आरोप

Maharashtra News:संजय राउत सामना के कार्यकारी संपादक भी हैं, जिसमें अक्सर पार्टी के सियासी विरोधियों को टारगेट करने वाले आर्टिकल लिखे जाते हैं।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2023-12-12 13:17 IST

FIR against Sanjay Raut   (photo: social media )

Maharashtra: शिवसेना यूबीटी के राज्यसभा सांसद संजय राउत एक नई परेशानी में घिर गए हैं। उन पर पार्टी के मुखपत्र सामना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक लेख लिखने का आरोप लगा है। यवतमावल जिले के एक भाजपा नेता ने उनके खिलाफ FIR दर्ज कराई है। राउत सामना के कार्यकारी संपादक भी हैं, जिसमें अक्सर पार्टी के सियासी विरोधियों को टारगेट करने वाले आर्टिकल लिखे जाते हैं।

यवतमाल पुलिस ने शिवसेना यूबीटी के राज्यसभा सांसद के खिलाफ FIR दर्ज करने की पुष्टि की है। यवतमाल जिले के बीजेपी संयोजक नितिन भुटाडा में 11 दिसंबर को सामना में छपे लेख को लेकर शिकायत दर्ज कराई है। बीजेपा नेता का दावा है कि लेख में पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिनजक भाषा का इस्तेमाल हुआ है। इस आर्टिकल के जरिए विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य पैदा करने की कोशिश की गई है। राउत के विरूद्ध उमरखेड़ पुलिस स्टेशन में धारा 153 (ए), 505 (2) और 124 (ए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

संजय राउत ने दी सफाई

पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिनजक लेख लिखने के आरोप पर शिवसेना यूबीटी के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने सफाई दी है। राउत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर हमारा आदर है। हम जो बोलते हैं, वो निजी नहीं होता है, बल्कि राजनीतिक होती है। दो दिन पहले अमित शाह ने पंडित नेहरू को लेकर बयान दिया था, क्या उन पर कोई केस दर्ज होगा क्या ?

बता दें कि शिवसेना कभी बीजेपी की सबसे पुरानी और भरोसेमंद सहयोगियों में गिनी जाती थी। दोनों के रिश्तों में पहली बार दरार साल 2014 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान आया था। तब दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। हालांकि, बाद शिवसेना राज्य में बतौर जूनियर पार्टनर सरकार में शामिल हो गई थी। 2019 के विधानसभा चुनाव नतीजे के बाद दोनों के रिश्ते बिल्कुल समाप्त हो गए। उद्धव ठाकरे और भाजपा के बीच कड़वे संबंधों का असली दौर जून 2022 से शुरू हुआ, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के एक बड़े धड़े ने बगावत कर दी। उद्धव के हाथों से न केवल सत्ता गई बल्कि संगठन भी चला गया।

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