'हमारा बजट गरीबों के लिए, किसी ‘दामाद’ के लिए नहीं': वित्त मंत्री के बयान पर हंगामा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आजकल विपक्ष की एक आदत बन गई है कि हम पर सिर्फ क्रोनी कैपिटलिज्म को समर्थन करने का आरोप लगाते रहना। हमारे खिलाफ गरीब विरोधी का नैरेटिव सेट करना।
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए विपक्ष पर जोरदार हमला बोला।
सीतारमण ने विपक्ष द्वारा बजट को ‘अमीरों’ का बजट बताए जाने पर पलटवार करते हुए कहा कि हमारा बजट गरीबों के लिए है, किसी ‘दामाद’ के लिए नहीं है।
लेकिन जब विपक्ष ने इस बयान पर आपत्ति दर्ज कराई तो वित्त मंत्री ने चुटकी लेते हुए कहा ‘दामाद हर घर में होता है, इस पर कांग्रेस का कोई कॉपीराइट नहीं है। लेकिन लगता है कि कांग्रेस ने इसे ऐसे ही पहचान दी है। बता दें कि राज्यसभा में बजट पर चर्चा समाप्त हो गई है।
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वित्त मंत्री ने आज और क्या कहा?
निर्मला सीतारमण ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि मेरा उनसे सवाल है कि प्रधानमंत्री आवास योजना , सौभाग्य योजना, GeM के ऑर्डर MSME को देना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिए ज्यादा किलोमीटर सड़क निर्माण के ठेके देना, मनरेगा और अन्य योजनाओं का क्रियान्वयन क्या अमीरों के लिए किया गया काम है?
उन्होंने कहा कि आजकल विपक्ष की एक आदत बन गई है कि हम पर सिर्फ क्रोनी कैपिटलिज्म को समर्थन करने का आरोप लगाते रहना। हमारे खिलाफ गरीब विरोधी का नैरेटिव सेट करना।
हमने अपने बजट में सही आंकड़े दिए हैं। जब पूर्व वित्त मंत्री, वित्त मंत्री थे तो 2007-08 के बजट में उन्होंने capex growth को 62% दिखाया जबकि असल में यह 9% था। इसके अलावा तेल कंपनियों, FCI इत्यादि को नकद सब्सिडी के बदले में स्पेशल बांड जारी किए।
उन्होंने ये भी कहा कि हमने FCI की बैलेंस शीट बेहतर बनाई। FCI देश की खाद्य सुरक्षा और MSP पर की जाने वाली खरीद के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए इसकी सेहत सही करना भी जरूरी है।
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हमारा बजट, दामाद का बजट नहीं
वित्त मंत्री ने कहा कि विपक्ष हम पर क्रोनी कैपिटलिज्म का आरोप लगाता है। हमारी सरकार ने यूपीआई की सुविधा दी और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया। इससे लाखों लोगों को पेमेंट करने में आसानी हुई। क्या इसका लाभ किसी क्रोनी कैपिटलिस्ट या दामाद को हुआ?
अपनी बात को कम्प्लीट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 27,000 करोड़ रुपये का ऋण आवंटित किया गया। यह सब गरीबों के लिए था, ना कि किसी ‘दामाद’ के लिए।
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