श्रीलंका के विदेश सचिव ने क्यों कहा- 'इंडिया फर्स्ट की रणनीति पर चलेंगे', यहां जानें

भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद और श्रीलंका में चीन की बढ़ती मौजूदगी के बीच श्रीलंका के विदेश सचिव जयनाथ कोलंबेज कहा है कि श्रीलंका अपनी नयी विदेश नीति के तौर पर ‘‘पहले भारत दृष्टिकोण’’ अपनाएगा और नई दिल्ली के सामरिक सुरक्षा हितों की रक्षा करेगा।

Update:2020-08-27 13:58 IST
श्रीलंका के विदेश सचिव जयनाथ की फाइल फोटो

कोलंबो: श्रीलंका में महिंदा राजपक्षे की सरकार बनने के बाद से भारत से उसकी घनिष्ठता बढ़ती ही जा रही है। भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद और श्रीलंका में चीन की बढ़ती मौजूदगी के बीच श्रीलंका के विदेश सचिव जयनाथ कोलंबेज कहा है कि श्रीलंका अपनी नयी विदेश नीति के तौर पर ‘‘पहले भारत दृष्टिकोण’’ अपनाएगा और नई दिल्ली के सामरिक सुरक्षा हितों की रक्षा करेगा।

बता दें कि एडमिरल कोलंबेज पहले ऐसे विदेश सचिव बने हैं जिनकी सैन्य पृष्ठभूमि है। कोलंबेज 2012-14 के बीच श्रीलंका की नौसेना के प्रमुख रहे और बाद में विदेशी नीति विश्लेषक बन गए। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा 14 अगस्त को विदेश मंत्रालय का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया था।

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श्रीलंका के पीएम महिंदा राजपक्षे और भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो

भारत को नुकसान पहुंचाने वाला कोई कदम नहीं उठाएंगे- श्रीलंका

एक इंटरव्यू में श्रीलंका के विदेश सचिव ने कहा कि श्रीलंका अपनी नयी विदेश नीति के तौर पर ‘‘पहले भारत दृष्टिकोण' अपनाएगा। उन्होंने अपनी बात को और भी ज्यादा स्पष्ट करते हुए कहा कि श्रीलंका ऐसा कोई भी काम नहीं करेगा जो भारत के सुरक्षा हितों के लिए नुकसानदायक हो।’’

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श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की फाइल फोटो

कोलंबो पोर्ट के पूर्वी टर्मिनल को लेकर श्रीलंका ने कही ये बात

विदेश सचिव ने कहा कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पहले भारत का दृष्टिकोण अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि 2018 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था थी। ‘चीन आज दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसका मतलब है कि हम दो आर्थिक दिग्गजों के बीच हैं।’

उन्होंने कहा कि श्रीलंका यह स्वीकार नहीं कर सकता, उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए और वह स्वीकार नहीं करेगा कि उसका इस्तेमाल किसी अन्य देश-विशेष तौर पर भारत के खिलाफ कुछ करने के लिए किया जाए।

विदेश सचिव ने चीन द्वारा हंबनटोटा बंदरगाह में निवेश पर कहा कि श्रीलंका ने हबंनटोटा की पेशकश पहले भारत को की थी।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने जिस भी कारण से उसे नहीं लिया और तब वह एक चीनी कंपनी को गया।’’ उन्होंने कहा कि पोर्ट वर्कर ट्रेड यूनियनों के विरोध के बावजूद, राष्ट्रपति राजपक्षे कोलंबो पोर्ट के पूर्वी टर्मिनल को लेकर भारत के साथ हस्ताक्षरित सहयोग ज्ञापन पर आगे बढ़ेंगे।

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