गुजरात:पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को मिली उम्रकैद की सजा
30 साल पहले पुलिस हिरासत में हुई मौत (कस्टोडियल डेथ) मामले में पूर्व IPS संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। जामनगर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।संजीव को ये सजा जामनगर के जाम जोधपुर
जामनगर: 30 साल पहले पुलिस हिरासत में हुई मौत (कस्टोडियल डेथ) मामले में पूर्व IPS संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। जामनगर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है।संजीव को ये सजा जामनगर के जाम जोधपुर में 22 साल पहले भारत बंद के दौरान थाने में एक व्यक्ति की पिटाई और बाद में कस्टडी में उसकी मौत के मामले में हुई है।
जाम-जोधपुर कस्टोडियल डेथ मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने पूर्व IPS संजीव भट्ट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 1990 में एक व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी। एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।बाकी पांच आरोपियों की सजा का एलान बाद में होगा।
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1990 में लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा पूरे भारत मे निकली थीं उसी दौरान दंगे भड़कने के आसार को देखकर जामनगर जिले में कर्फ्यू लगाया गया था। संजीव भट्ट उस समय जामनगर के जाम जोधपुर तहसील में ट्रेनी IPS के तौर कार्यरत थे। भट्ट ने उस दौरान 133 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें प्रभुदास माधवजी वैष्णव भी थे। प्रभुदास को कस्टडी में ही संजीव भट्ट समेत 7 लोगों ने टॉर्चर किया, बाद में अस्पताल में प्रभुदास की मौत हो गई। उस समय इन 7 लोगों के खिलाफ केस दर्ज भी हो गया था।
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केस की मुख्य बातें:
- पूर्व IPS संजीव भट्ट को आजीवन कारावास।
- इस केस में तत्कालीन इन्स्पेक्टर शैलेश पंड्या भी आरोपी थे।
- प्रवीण सिंह झाला कॉस्टेबल को आजीवन कारावास।
- ये सजा 302, 323, 506, 34, 114 धाराओं के तहत सुनाई गई है।
- केस में 32 गवाहों की जांच की गई।
- दस्तावेजों के 1000 प्रमाण।
- 5 हजार पन्नों की चार्जशीट।
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आईआईटी मुंबई से पोस्ट ग्रेजुएट संजीव भट्ट वर्ष 1988 में भारतीय पुलिस सेवा में आए। उन्होंने आईआईटी मुंबई से एम टेक किया था। उसके बाद संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में बैठे और सफल हुए। आईपीएस बनने के बाद उन्हें गुजरात काडर मिला।
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इसके बाद करीब ढाई दशकों तक उन्होंने गुजरात के ज़िलों, पुलिस आयुक्त के कार्यालय और अन्य पुलिस इकाइयों में काम किया।. बाद में 2015 में गुजरात सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था। पिछले साल सितंबर में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया गया। तब से वो जेल में ही थे। भट्ट को 2011 में बिना अनुमति के ड्यूटी से नदारद रहने और सरकारी गाड़ियों का दुरुपयोग करने के आरोप में निलंबित किया गया था। बाद में अगस्त 2015 में इसी आधार पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।
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मोदी के खिलाफ पत्नी ने लड़ा था चुनाव
संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट ने 2012 में कांग्रेस के टिकट पर अहमदाबाद की मणिनगर विधानसभा सीट से तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार मिली थी।