Ghulam Nabi Azad: जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी आजाद को बड़ा झटका, तीन वरिष्ठ नेता पार्टी से बाहर, फिर कांग्रेस में जाने की अटकलें

Ghulam Nabi Azad: आजाद ने कांग्रेस से अलग होने के बाद डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी का गठन किया था मगर पार्टी में काफी खींचतान दिख रही है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-12-23 08:51 GMT

Ghulam Nabi Azad (Social Media)

Ghulam Nabi Azad: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को राज्य की सियासत में अपनी ताकत दिखाने से पहले ही बड़ा झटका लगा है। आजाद ने कांग्रेस से अलग होने के बाद डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी का गठन किया था मगर पार्टी में काफी खींचतान दिख रही है। पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए तीन वरिष्ठ नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। इन नेताओं में राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम ताराचंद भी शामिल हैं। मजे की बात है कि जिन नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया है, वे पार्टी के संस्थापक सदस्य थे।

अब इन नेताओं के एक बार फिर कांग्रेस में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इन तीनों नेताओं से पूर्व पार्टी के प्रदेश सचिव जय सिंह भी पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं।

संस्थापक सदस्य ही पार्टी से बाहर

आजाद को काफी वरिष्ठ नेता माना जाता रहा है और लगभग 50 वर्षों तक कांग्रेस सांसद के रूप में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। वे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। कांग्रेस नेतृत्व से मतभेद पैदा होने के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। बाद में उन्होंने आजाद डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया था। सियासी जमीन पर अपनी ताकत दिखाने से पहले ही इस पार्टी में फूट पड़ गई है। पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में आजाद ने पार्टी के तीन संस्थापक सदस्यों ताराचंद, डॉक्टर मनोहर लाल और बलवान सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। आजाद के फैसले पर काफी हैरानी जताई जा रही है क्योंकि इन तीनों नेताओं को आजाद का भरोसेमंद माना जाता रहा है।

अभी एक सप्ताह पहले पार्टी पदाधिकारियों के नाम का ऐलान करते हुए आजाद ने इन तीनों नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी थी। आजाद ने ताराचंद को उपाध्यक्ष और मनोहर लाल व बलवान सिंह को पार्टी का महासचिव बनाया था। अब एक सप्ताह बाद ही इन तीनों पदाधिकारियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।

पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप

आजाद ने इस साल 26 सितंबर को आजाद डेमोक्रेटिक पार्टी के नाम से नए सियासी दल का गठन किया था। तीन प्रमुख नेताओं को पार्टी से निष्कासित करने की जानकारी देते हुए पार्टी महासचिव राजेंद्र सिंह छिब ने बताया कि ये तीनों नेता पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त थे। उन्होंने कहा कि इन तीनों नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियां छोड़ने की नसीहत दी गई थी मगर इनका रवैया नहीं बदला। इस कारण इन तीनों नेताओं को पार्टी से बाहर कर दिया गया है। दूसरी ओर इन तीनों नेताओं का कहना है कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप पूरी तरह बेबुनियाद है।

राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम ताराचंद ने कहा कि वे लंबे समय से गुलाम नबी आजाद के साथ जुड़े हुए हैं। जब उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देने का फैसला किया तो मैंने उनका साथ देते हुए नई पार्टी के गठन में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि हम राज्य की सेकुलर ताकतों को एकजुट बनाने की बात कर रहे थे मगर हमें पार्टी से बाहर कर दिया गया। उन्होंने कहा कि काफी संख्या में नेता और कार्यकर्ता हमारे साथ हैं और हम सभी बैठक करके आगे की रणनीति पर फैसला लेंगे।

आजाद की सच्चाई उजागर

दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष विकार रसूल का कहना है कि डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी से अलग होने वाले चारों नेता कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे हैं। इन चारों नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के साथ जाने में जल्दबाजी दिखाई थी मगर उन्हें जल्दी ही सच्चाई की जानकारी हो गई।

उन्हें इस बात का एहसास हो गया कि गुलाम नबी आजाद भाजपा की बी टीम के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में गुलाम नबी आजाद का वही हश्र होगा जो पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह का हुआ है। उन्होंने कहा कि जम्मू रीजन के ये चारों नेता अगर पार्टी में शामिल होने का फैसला लेते हैं तो इससे कांग्रेस को मजबूती मिलेगी।

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