जयंती विशेष: पूर्व पीएम राजीव गांधी को महंगा पड़ा था बोफोर्स घोटाला

Update:2018-08-20 09:50 IST

लखनऊ: कुर्सी संभालने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देश से भ्रष्टाचार समाप्त करने का वादा किया था। मगर वे अपने वादे पूरी तरह खरे नहीं उतर सके। आज राजीव गांधी की 74वीं जयंती है। इसलिए आज हम बताएंगे कि कैसे पूर्व पीएम राजीव गांधी को महंगा पड़ गया था बोफोर्स घोटाला।

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बता दें, भ्रष्टाचार समाप्त करने का वादा करने के बाद उनपर और उनकी पार्टी पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे। सबसे बड़ा घोटाला स्विडिश बोफोर्स हथियार कंपनी द्वारा कथित भुगतान से जुड़ा बोफोर्स तोप घोटाला था। वीपी सिंह सहित उनके कई करीबी लोगों ने उनका साथ छोड़ दिया और भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बना दिया।

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घोटालों के कारण उनकी लोकप्रियता तेजी से कम हुई और 1989 में आयोजित आम चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। एक गठबंधन की सरकार सत्ता में आई और वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री चुने गए। उनके शासनकाल में मंडल कमीशन की सिफारिशों को लेकर भारी बवाल हुआ और आखिरकार उन्हें अपनी कुर्सी छोडऩी पड़ी।

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बाद में कांग्रेस के समर्थन से चंद्रशेकर प्रधानमंत्री बने। उनका शासन भी लंबा नहीं चला और कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया। दो साल बाद ही 1991 में फिर आम चुनाव करवाए गए। राजीव गांधी चुनाव में विजय हासिल करने के लिए जोरदार प्रचार में जुटे थे मगर इसी दौरान 21 मई 1991 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनाव प्रचार के दौरान एलटीटीई से जुड़े आत्मघाती हमलावरों ने राजीव गांधी की हत्या कर दी।

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