Sharmistha Mukherjee: प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने कांग्रेस पर फिर साधा निशाना, कहा-गांधी-नेहरू परिवार ने पिता को खैरात में नहीं दिया कोई पद

Sharmistha Mukherjee on Congress: शर्मिष्ठा ने एक दिन पहले ही कांग्रेस को नसीहत दी थी कि पार्टी को नेतृत्व के लिए अब गांधी-नेहरू परिवार से बाहर देखना चाहिए।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-02-07 04:43 GMT

Sharmistha mukherjee  (PHOTO: Social media )

Sharmistha Mukherjee on Congress: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा ने एक बार फिर कांग्रेस पर निशाना साधा है। कांग्रेस की विचारधारा पर सवाल उठाने के साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि गांधी-नेहरू परिवार ने उनके पिता प्रणब मुखर्जी को कोई भी पद खैरात में नहीं दिया। उन्होंने कहा कि मेरे पिता ने इसे अर्जित किया और वे सही मायने में इसके हकदार थे।

शर्मिष्ठा ने एक दिन पहले ही कांग्रेस को नसीहत दी थी कि पार्टी को नेतृत्व के लिए अब गांधी-नेहरू परिवार से बाहर देखना चाहिए। उनका कहना था कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की लीडरशिप में कांग्रेस को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में कांग्रेस को नेतृत्व के लिए किसी नए चेहरे की जरूरत है।

कांग्रेस की विचारधारा पर उठाए सवाल

पूर्व राष्ट्रपति की बेटी की ओर से यह बयान दिए जाने के बाद सोशल मीडिया पर बहफ छिड़ गई। शर्मिष्ठा के बयान को लेकर लोग तरह-तरह सवाल और टिप्पणियां करने लगे। शर्मिष्ठा ने माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने पिता के पद को लेकर एक यूजर को जवाब दिया है।

उन्होंने कहा, 'कांग्रेस या गांधी-नेहरू परिवार ने मेरे पिता को कोई पद दान में नहीं दिया था। उन्होंने इसे अर्जित किया और इसके हकदार थे। क्या गांधी परिवार के लोग उन सामंतों की तरह हैं, जिनसे उम्मीद की जाती है कि उन्हें चार पीढ़ियों तक श्रद्धांजलि दी जाएगी?’

इसके साथ ही शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस नेताओं पर कटाक्ष भी किया है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिरकार वर्तमान कांग्रेस पार्टी के विचारधारा क्या है। चुनाव से ठीक पहले शिव भक्त बन रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी को नए चेहरे की जरूरत

इससे पहले शर्मिष्ठा ने कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर भी एक बड़ी टिप्पणी की थी। उनका कहना था कि एक जिम्मेदार नागरिक और कांग्रेस समर्थक होने के कारण मैं पार्टी के भविष्य को लेकर चिंतित हूं। उनका कहना था कि निश्चित रूप से अब पार्टी के नेतृत्व के लिए गांधी-नेहरू परिवार से बाहर देखने का समय आ गया है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने पार्टी का नेतृत्व किया था मगर पार्टी को बुरी हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में अब किसी नए चेहरे को सामने लाए जाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या वह अपनी विचारधारा को लेकर मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है? पार्टी के जो मूल सिद्धांत रहे हैं, क्या असल में पार्टी में उन सिद्धांतों का पालन किया जा रहा है?

पार्टी नेताओं को कांग्रेस की मजबूती पर सोचना होगा

उन्होंने कहा कि कांग्रेस अभी देश में मुख्य विपक्षी दल है और उसका स्थान निर्विवाद है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस उपस्थिति को कैसे मजबूत बनाया जाए। इस पर विचार करना पार्टी नेताओं का काम है। उनका कहना था कि राहुल गांधी को परिभाषित करना मेरा काम नहीं है। अगर कोई मुझसे मेरे पिता को परिभाषित करने के लिए कहे तो मैं उनकी भी व्याख्या नहीं कर पाऊंगी। नेतृत्व के मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं को ही इसका जवाब देना होगा।

उन्होंने कहा कि फैसले की प्रक्रिया में हर स्तर पर जमीनी कार्यकर्ताओं को शामिल करने की आवश्यकता है। किसी जादू की छड़ी से कांग्रेस को मजबूत नहीं बनाया जा सकता। कांग्रेस नेताओं को यह देखना होगा कि पार्टी को मजबूत बनाने के लिए कैसे काम करना है।

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