पी.चिदंबरम बोले- मेरे बेटा या परिवार का कोई भी सदस्य FIPB पर दबाव नहीं डाल सकता

पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी.चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) में शामिल किसी भी अधिकार से न तो मुलाकात की और न ही भ्रष्ट या अवैध तरीके से बोर्ड को प्रभावित किया।

Update:2017-05-29 18:36 IST
पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम बोले-मेरे बेटे ने FIPB के फैसले को नहीं किया प्रभावितपूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम बोले-मेरे बेटे ने FIPB के फैसले को नहीं किया प्रभावितपूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम बोले-मेरे बेटे ने FIPB के फैसले को नहीं किया प्रभावित

नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी.चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) में शामिल किसी भी अधिकारी से न तो मुलाकात की और न ही भ्रष्ट या अवैध तरीके से बोर्ड को प्रभावित किया। उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा कार्ति पर लगाए गए आरोपों को 'बेबुनियाद तथा निराधार' बताया। कार्ति चिदंबरम के खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है।

चेन्नई तथा कुछ अन्य जगहों पर कार्ति से संबंधित परिसरों में छापे की कार्रवाई के दो सप्ताह बाद चिदंबरम ने सोमवार को बयान जारी कर कहा कि प्राथमिकी से यह स्पष्ट हो जाता है कि उन्हें निशाना बनाया गया है, हालांकि उसमें उनका नाम नहीं लिया गया है।

लेकिन उन्होंने कहा कि वह निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि कार्ति एफआईपीबी से संबंधित किसी भी अधिकारी से नहीं मिला और उसका आवेदक कंपनी आईएनएक्स मीडिया/आईएनएक्स न्यूज से कोई लेना-देना नहीं है।

चिदंबरम ने कहा, "मेरे साथ काम कर चुका कोई भी व्यक्ति यह जानता है कि मेरे फैसले को प्रभावित करने की हिम्मत किसी ने नहीं की होगी। मैंने अपने परिवार के किसी सदस्य को मुझसे या मेरे मंत्रालय के किसी अधिकारी से या किसी अन्य अधिकारी से आधिकारिक मसले पर बात करने की अनुमति नहीं दी थी।"

उन्होंने कहा, "इसलिए यह कहना ऊटपटांग है कि मेरी जानकारी में या मेरी पीठ पीछे मेरे परिवार के सदस्य ने अवैध तरीके से एफआईपीबी के छह सचिवों को प्रभावित किया। इस तरह का आरोप लगाकर सरकार के छह सचिवों को बदनाम करने का यह नीचतापूर्ण काम है।"

चिदंबरम ने कहा कि प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि सरकारी अधिकारी साजिश में शामिल थे। प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करने के लिए भ्रष्ट या अवैध तरीके से उन्हें प्रभावित किया गया, हालांकि प्राथमिकी में एक भी अधिकारी का नाम नहीं है।

उन्होंने कहा, "सबसे हास्यास्पद आरोप तथाकथित पारितोषण के रूप में 10 लाख रुपये के चेक का है।"

चिदंबरम ने कहा कि जहां तक एफआईपीबी से संबंधित मामलों का सवाल है, तो उन्होंने केवल उन्हीं मामलों को मंजूरी दी थी, जिनकी सिफारिश एफआईपीबी ने की थी और आर्थिक मामलों के सचिव ने उन्हें मेरे समक्ष रखा था।

चिदंबरम ने कहा कि उनके बेटे तथा उनके कारोबारी मित्रों को निशाना बनाया जा रहा है।

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने कहा कि वह इसलिए बयान जारी कर रहे हैं, ताकि चेन्नई से आ रही भ्रामक सूचनाओं का पर्दाफाश हो। उन्होंने कहा, "वैसे भी कानून फंसाने वालों का पर्दाफाश कर देगा। मैंने अपने बेटे को सलाह दी है कि वह जांच में पूरा सहयोग करे और वह ऐसा ही करेगा।"

उन्होंने कहा, "उस वक्त एफआईपीबी के अध्यक्ष भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी डॉ.डी.सुब्बा राव थे, जो बाद में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर बने। उनकी जगह आईएएस अधिकारी अशोक चावला ने ली, जो बाद में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के अध्यक्ष बने। अन्य सचिव भी इससी तरह के विशिष्ट नौकरशाह थे।"

उल्लेखनीय है कि सीबीआई ने 16 मई को चिदंबरम के चेन्नई, दिल्ली व अन्य ठिकानों पर छापे मारे थे। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि अपने पिता के वित्तमंत्री रहने के दौरान कार्ति चिदंबरम ने मीडिया कंपनी आईएनएक्स लिमिटेड के एक एफआईपीबी प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने के एवज में 3.5 करोड़ रुपए की रकम ली थी।

--आईएएनएस

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