G-20 Summit 2023: G-20 शिखर सम्मेलन के लिए सरकार ने शुरू की तैयारियां, जानें क्यों अहम है भारत के लिए सम्मलेन

G-20 Summit 2023: केंद्र सरकार अगले साल सितंबर महीने में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों में जुट गई है। भारत को 1 दिसंबर को G-20 समिट की अध्यक्षता आधिकारिक तौर पर मिल गई है।;

Update:2022-12-05 14:48 IST
Government started preparations for G-20 summit, know why the conference is important for India

G-20 शिखर सम्मेलन 2023 की अध्यक्षता करेगा भारत सरकार ने शुरू की तैयारियां: Photo- Social Media

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G-20 Summit 2023: केंद्र सरकार अगले साल सितंबर महीने में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों में जुट गई है। भारत को 1 दिसंबर को G-20 समिट की अध्यक्षता आधिकारिक तौर पर मिल गई है। शिखर सम्मेलन की तैयारियों को लेकर केंद्र सरकार (Central government) ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में सर्वदलीय बैठक बुलाई है। जिसमें 40 राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को बुलावा भेजा गया है। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) भी शिरकत करेंगे।

साल 2023 में होने वाला आगामी G-20 समिट भारत के लिए काफी अहम होना जा रहा है। लंबे समय बाद दुनिया के चोटी के दिग्गज देशों के शासकों का भारत में जमावड़ा होगा। जिसे कूटनीतिक तौर पर भारत के लिए बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है। भारत चीन और पाकिस्तान जैसे दो विरोधी परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच स्थित है। इस क्षेत्र को दुनिया के अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्रों में गिना जाता है, जहां तीन परमाणु संपन्न ताकतों की सीमा आपस में मिलती है।

बड़ी वैश्विक ताकत के रूप में उभर रहा भारत

इंडोनेशिया के बाली में संपन्न हुए जी-20 समिट में सभी देशों ने मिलकर एक साझा बयान जारी किया था। जिसमें यूक्रेन के साथ जंग शुरू करने को लेकर रूस की निंदा की गई थी। इस साझे बयान में एक वाक्य चिर-परिचित था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से जस हूबहू उठा लिया गया था। ये वाक्य था – आज का दौर युद्ध का नहीं है।

गौरतलब है कि इस वाक्य को इस साल सितंबर में समरकंद में हुए एससीओ सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) के साथ हुई मुलाकात में कहा था। पुतिन के समक्ष दिए इस बयान को रूस विरोधी पश्चिमी देशों ने फौरन लपक लिया था। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रों भी इसका जिक्र कर चुके हैं। विश्लेषकों का कहना है कि जिस चतुराई से भारत ने पश्चिम और रूस के बीच अपने संबंधों में सुंतलन स्थापित किया है, वह देश की कूटनीतिक गहराई को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री मोदी विश्व पटल पर एक ऐसे नेता के तौर पर उभरें हैं, जिनका सभी पक्ष सम्मान कर रहे हैं और उनके बयानों को महत्व दिया जा रहा है। इस स्थिति ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ के रूप में भारत की छवि को मजबूत किया है। भारत एक ऐसा देश है, जो रूस के साथ – साथ पश्चिमी देशों के भी करीब है।

जी20 शिखर सम्मेलन भारत के लिए अहम क्यों ?

पाकिस्तान और चीन जैसे दो जटिल पड़ोसियों के साथ सीमा साझा करने वाले भारत के लिए जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी धमक बनी रहे। ऐसे समय में जब भारत चीन के साथ पिछले दो सालों से सीमा विवाद में उलझा हुआ है, तब भारत में इस तरह का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन काफी मायने रखता है। दुनिया के चोटी के देशों के सामने भारत आतंकवाद और विस्तारवाद का मुद्दा उठाकर अपने दो विरोधी पड़ोसियों को घेर सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की मजबूत होती साख उसे जम्मू कश्मीर जैसे विवादित मसलों पर पाकिस्तान के ऊपर एक कूटनीतिक बढ़त देती है।

बता दें कि जी20 समूह फोरम में 20 देश हैं। इसमें दुनिया के विकसित और विकासशील इकोनॉमी वाले देश हैं। 19 देशों में यूएस, रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, इटली, भारत, जापान, साउथ कोरिया, मैक्सिको, , सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील और यूरोपीय यूनियन शामिल हैं। 

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